संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

करछना पॉवर प्लांट का भूमि अधिग्रहण रद्द: इलाहाबाद हाई कोर्ट

हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल 2012 को करछना में प्रस्तावित जेपी ग्रुप के थर्मल पॉवर प्लांट के लिए भूमि का अधिग्रहण रद्द करते हुए कहा कि किसानों को मुआवजा लौटाना होगा, इसके बाद उनकी जमीनें वापस कर दी जाएं। वहीं बारा पॉवर प्रोजेक्ट के मामले में किसानों की याचिका को खारिज कर दिया। दोनों ही मामलों में भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली अवधेश प्रताप सिंह और अन्य किसानों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। बारा में जेपी ग्रुप के पॉवर प्रोजेक्ट के मामले पर न्यायालय ने कहा कि बारा प्लांट में निर्माण का कार्य काफी आगे बढ़ चुका है। इन हालात में वहां भूमि अधिग्रहण रद्द किया जाना मुमकिन नहीं है। नोएडा भूमि अधिग्रहण मामले में गजराज सिंह केस का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि अधिग्रहण के बाद प्रोजेक्ट पर काम प्रारंभ हो चुका है तो वहां का अधिग्रहण रद्द नहीं किया जा सकता है। बारा के किसान मुआवजे को लेकर अपनी लड़ाई जारी रख सकते हैं। करछना के किसानों के मामले में कोर्ट ने कहा कि अभी तक पॉवर प्रोजेक्ट का कार्य शुरू नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि किसानों के आंदोलन के कारण पॉवर प्लांट का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका। कोर्ट ने कहा कि भूमि का अधिग्रहण मनमाने और मशीनरी तरीके से नहीं किया जा सकता है। किसानों की आपत्तियों को सुनना आवश्यक है। करछना में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 23 नवंबर 2007 को अधिग्रहण अधिनियम की धारा चार, 17(1) और 17(4) के तहत जारी की गई थी। धारा छह के तहत अधिसूचना तीन मार्च 2008 को जारी की गई। करछना के मामले में न्यायालय ने प्रदेश सरकार को छूट दी है कि वह चाहे तो कानून के मुताबिक नए सिरे से अधिग्रहण की कार्यवाही प्रारंभ कर सकती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने करछना के देवरीकला, कचरी, कचरा, मेरड़ा, टोलीपुर, देलही भगेसर, भिटार और खई गांवों की 571 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए जेपी ग्रुप ऑफ कंपनीज को हस्तांतरित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने अर्जेंसी क्लाज के तहत भूमि का अधिग्रहण यह कह कर किया था कि भूमि पर उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन द्वारा पॉवर प्लांट लगाया जाएगा। करछना के किसान भूमि अधिग्रहण का प्रारंभ से ही विरोध कर रहे थे।
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