संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पोस्को-एम.ओ.यू.-सरकार एवं स्थानीय आबादी

सात सालों में पोस्को विरोधियों की संख्या हजारों में पहुंच गई है। प्लांट के लिए जिस स्थान का चयन किया गया था वहां के वाशिंदे अपनी जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं। सात साल पहले बीस पेज के जिस एमओयू को दिखा कर बीजेड़ी गर्व कर रही थी विभिन्न शर्तों वाली उक्त एमओयू में पांचवीं शर्त थी कि इस एमओयू की मियाद बढ़ाई भी जा सकती है लेकिन इसके लिए पोस्को को इन पांच सालों में ढांचा खड़ा करने के अलावा, प्लांट स्थापना,मशीनों की फिक्सिंग के अलावा पूंजी विनियोग आवश्यक होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो एमओयू की मियाद कतई नहीं बढ़ाई जाएगी। शर्त के मुताबिक पोस्को एक भी शर्त पूरा करने की बात तो दूर एक इंच जमीन भी अपने नाम हस्तांतरित नहीं करवा सकी। ऐसी हालत में एमओयू रद्द हो जानी चाहिए। एमओयू की आठवीं शर्त यह थी कि नियत समय पर प्रकल्प कार्य शुरू न होने की स्थिति में कंपनी को लोहा पत्थर खदान की लीज, कोयला की लीज व अन्य जो भी प्रोत्साहन सरकार देगी वो खुद-ब-खुद खत्म मानी जाएगी। एमओयू की शर्त के अनुसार सरकार द्वारा दी गई तमाम सहूलियतें अपने आप एक्सपायरी हो गई हैं। ऐसे में सवाल ये है कि उड़ीसा सरकार लोगों की जमीन पर जबरदस्ती कब्ज़ा क्यों कर रही है?


विगत 22 जून को एमओयू के पांच साल पूरा होने पर पोस्को के लिए विस्थापित होने जा रहे आदिवासियों ने काला दिवस मनाया और हजारों की संख्या में पोस्को विरोधियों ने रैली निकाली। बीते सात सालों में मुख्यमंत्री ने पहली बार प्रभावित अंचलों का दौरा करने की बात कही और वो भी बिना पुलिस फोर्स के, परंतु वे वादे से मुकर गये। इसके लिए मुख्यमंत्री को पोस्को विरोधियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण माहौल में चर्चा भी करनी पड़ी। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद सर्वे आरंभ हुआ लेकिन पोस्को विरोधियों ने इसे बंद करवा दिया।

पोस्को कम्पनी के खिलाफ बढ़ता जन-विरोध

जटाधार बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमला तथा हत्या, पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति की अगुवाई में चलने वाले आंदोलनों पर हमले, गिरफ्तारियां, फर्जी मुकदमे कायम करने आदि के तरीके अपनाने के बाद भी सरकार तथा कम्पनी को जब कामयाबी मिलती नजर नहीं आयी तो लालच देकर रास्ता साफ कराने की योजना बनायी गयी। परंतु अपनी जमीन, पहाड़ तथा नदियां बचाने के लिए संकल्प ले चुकी स्थानीय आबादी ने अपने अस्तित्व, आजीविका तथा प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अपने संघर्ष को और तेज कर दिया है।

तेज़ होगा आंदोलन

पुलिस कारवाई के विरोध में अभय साहू और जगतसिंहपुर के सांसद बिभू प्रसाद तराई गोबिंदपुर गाँव के बीचों बीच अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए हैं. दूसरी तरफ़ प्रशासन द्वारा पान की खेतों को उजाड़ने का काम पुलिस की मौजूदगी में जारी है.

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