संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

जनसंघर्षों के हौसले और रचनाशीलता की बेजोड मिसाल थे सुनील भाई

जुझारू समाजवादी नेता और चिन्तक, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील भाई की याद में पांच मई 2014 को केसला में स्मृति सभा का आयोजन किया गया और तवा जलाशय में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया गया. इस कार्यक्रम में देश भर के जनांदोलनों के कार्यकर्ताओं, अंचल के चार जिलों से आये श्रमिक आदिवासी संगठन, किसान आदिवासी संगठन, सजप के सैकड़ों ग्रामवासियों तथा होशंगाबाद, भोपाल से आये बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों ने भाग लिया. ज्ञातव्य है कि सुनील भाई का निधन मस्तिष्क आघात (ब्रेन हैमरेज) के कारण विगत इक्कीस अप्रैल को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हो गया था. सोलह अप्रैल को हुए हैमरेज के बाद उनका भोपाल में आपरेशन किया गया और फिर आगे इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था.

सुनील भाई ने जे एन यू में अर्थशास्त्र पढ़ने के बाद केसला में विस्थापितों, आदिवासियों के हक में लंबे समय तक संघर्ष करने के साथ साथ यहीं से देश भर के पत्र पत्रिकाओं में समतामूलक लेखन और स्वतंत्र पुस्तिकाओं के माध्यम से आर्थिक, राजनैतिक मुद्दों पर जनजागरण का काम किया. इसीलिये तीस साल से उनकी कर्मस्थली रहे केसला गाँव में ही उनकी स्मृतिसभा का आयोजन किया गया. साथ ही उस तवा जलाशय में उनकी अस्थियों को प्रवाहित किया गया, जिसके विस्थापितों को डूब की खेती और मछलीपालन का अधिकार दिलाने के संघर्ष का उन्होंने नेतृत्व किया. क्रान्तिगीतों, ‘साथी तेरे सपनों को मंजिल तक पहुंचाएंगे’ के उद्घोष के बीच एक नाव में झुनकर गांव के पास सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया गया.

उसके बाद केसला में आम के बगीचे में आयोजित सभा में अनेक वक्ताओं ने अपने संस्मरणों, वक्तव्यों के जरिये सुनील भाई को श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सजप के राष्ट्रीय सचिव अफलातून जी ने सुनील भाई के राजनैतिक जीवन और उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि कारपोरेट राजनीति के युग में सुनील भाई ने विचारधारा आधारित वैकल्पिक राजनीति के लिए जो काम किया उसे आगे बढ़ाने के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है. प्रसिद्ध शिक्षाविद, शिक्षा अधिकार मंच के संयोजक श्री अनिल सद्गोपाल ने कहा कि वैश्वीकरण –उदारीकरण की नीतियों के खतरे को समझने की पैनी दृष्टि सुनील भाई के पास थी, और पिछले बीस पच्चीस सालों में वो सरल भाषा में लोगों तक इस समझ को पहुंचा रहे थे. उन्होंने शिक्षा अधिकार मंच के गठन और संचालन में सुनील भाई के योगदान को याद किया. छतीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के नेता, पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर ने कहा कि शहीद शंकर गुहा नियोगी की ही तरह साथी सुनील संघर्ष और निर्माण की जीती जागती मिसाल थे. नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने कहा कि, सुनील भाई सारे जनांदोलनों के लिए एक प्रेरणास्रोत रहे और वर्तमान समय में उनकी पुस्तिकाओं को विभिन्न भाषाओं में अनूदित कर आर्थिक राजनैतिक मुद्दों पर उनके विश्लेषण को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाने की जरूरत है. जिला पंचायत सदस्य और सजप, किसान आदिवासी संगठन के नेता भाई फागराम ने कहा कि जिस प्रकार सुनील भाई की अपील पर सभी जनसंगठनों और प्रतिरोध की आवाजों का समर्थन स्थानीय संघर्षों में मिलता था, उसे जारी रख सुनील भाई के काम को आगे बढ़ाना होगा. समाजवादी जन परिषद की संगठन मंत्री निशा शिवूरकर ने कहा कि जब तक विश्व में विषमता है तब तक समाजवादी विचारधारा की जरूरत रहेगी और जब तक समाजवादी विचारधारा की जरूरत है तब तक सुनील भाई जिंदा रहेंगे. इसके अलावा, सर्वोदय प्रेस सर्विस के चिन्मय मिश्र, सजप के राष्ट्रीय सचिव रणजीत, सजप एवं नियमगिरि सुरक्षा समिति के नेता लिंगराज आज़ाद, पत्रकार एवं लोककवि नरेंद्र मौर्य, फिल्मकार सुरजीत, महान संघर्ष समिति, सिंगरौली की प्रिया, नारी जागृति मंच की ममता सोनी आदि ने सभा को संबोधित किया.

सभा का अंत ‘लड़त जा रे’ नामक स्थानीय संघर्ष के गीत के सामूहिक गायन और इस संकल्प के साथ हुआ कि सुनील भाई ने जिस अलख को जगाया है उसे बुझने नहीं दिया जा सकता. उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सबकी है.

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