संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

सरदार सरोवर परियोजना: समीक्षा की अनिवार्यता

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 17 मीटर बढ़ाने की अनुमति के साथ ही पुनर्वास की वास्तविकता और विस्थापन की विभीषिका के प्रश्न पुनः चर्चा में आ गए हैं। अनेक दस्तावेज व गांवों में रह रहे चर व अचर सभी यह सिद्ध कर रहे हैं कि पूर्ण पुनर्वास तो दूर अभी तो पूर्ण विस्थापन ही नहीं हुआ है। जबकि कुछ समय पूर्व तक नर्मदा नियन्त्रण प्राधिकरण 'जीरो बैलेस' यानि पूरी…
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निवेश का माहौल खराब करने के आरोप में प्रदर्शनकारी लिए गए हिरासत में

ऑस्ट्रेलिया से आया भारतीय आंदोलनकारियों के नाम समर्थन पत्र भारत और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों द्वारा 2012 के…

भारत – ऑस्ट्रेलिया यूरेनियम डील से दोनों देशों के स्थानीय लोगों को नुकसान :…

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट एक नाभिकीय समझौते को अंतिम रूप देेने भारत आए हैं। इस संबंध में नाभिकीय…

भारत में युरेनियम बेचने आए आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री का विरोध करें

आज शाम चार बजे दिल्ली के रेल म्यूज़ियम पर इकठ्ठा हों और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट के विरोध में आस्ट्रेलियाई दूतावास की तरफ शांतिपूर्ण मार्च में शामिल हों। आस्ट्रेलिया में बड़ी बड़ी युरेनियम खदानें होने के बावजूद एक भी अणु संयंत्र नहीं है और आस्ट्रेलिया का श्वेत-धनी वर्ग दुनिया भर में युरेनियम बेच के मुनाफा कमाता है। खामियाजा वहाँ के…
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राजस्थान सरकार का किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण विधयेक

राजस्थान भूमि अधिग्रहण विधेयक 2014 को वापस लेने के संदर्भ में। माननीय मुख्यमंत्री जी, राजस्थान, जयपुर…

आज के दौर में विकास और सामाजिक न्याय: राष्ट्रीय अधिवेशन – अक्टूबर 31,…

प्रिय साथी जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) का दसवां राष्ट्रीय अधिवेशन "आज के दौर में विकास और…

सैन्यवाद, परमाणुकरण और राजकीय दमन के विरोध में उठी आवाजें

परमाणु निरस्त्रीकरण एवं शान्ति गठबंधन Coalition for Nuclear Disarmament and Peace(CNDP) 30 August, 2014 प्रेस विज्ञप्ति दिल्ली में नई सत्ता के आने के बाद हुए अपने किस्म के पहले जुटान में मेधा पाटकर, पी. साईनाथ, एडमिरल रामदास, एस.पी उदयकुमार, प्रफुल्ल बिदवई, ज्यां द्रेज़ और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने बढ़ते सैन्यकरण, नाभिकीय ऊर्जा की सनक और…
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बीटी बैंगन की व्यावसायिक असफलता

तस्वीर विस्फोट डॉट कॉम से साभार बीटी तकनीक को भविष्य का चमत्कार बताया जा रहा है। इसके बारे में कहा जाता है कि इनमें किसी प्रकार के कीट नहीं लगेंगे और इस तरह यह किसान हितैषी है। परंतु बांग्लादेश में इस नई तकनीक की असफलता ने सीमित संख्या में ही सही लेकिन किसानों को नुकसान पहुंचाया है। इस घटना से भारत के जीएम समर्थकों को भी सबक लेना चाहिए। पेश है…
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