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राज्यवार रिपोर्टें
वाह री सरकार ! कारपोरेट हित में विदेशी निवेश को बढ़ावा, जनहित में विदेशी अनुदान पर ताला
'इंसाफ' इस देश में जल जंगल ज़मीन को लेकर चल रहे आन्दोलनों को मजबूत करने वाला एक साहसिक संगठन रहा है जिस पर 30.04.2013को सरकारी दबिश हुई और इसका बैंक अकाउंट फ्रीज़ कर दिया गया है. हाल में एडीबी के विरोध में मोर्चा लेने के क्रम में यह दमन सामने आया है. यहां इंसाफ का खाता दोबारा चालू होना और उसके एफसीआरए पर लगी बंदिश का हटाया जाना उतना प्राथमिक नहीं…
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खनन माफिया: न्याय के लिए 53 दिन से अनिश्चितकालीन धरना
राजस्थान के झुंझनू जिले में अवैध खनन का विरोध कर रहे स्वतंत्रता सैनानी ताड़केश्वर शर्मा के पौत्र प्रदीप शर्मा की…
लोअर सुकतेल: बर्बर दमन, बहादुराना प्रतिरोध और व्यापक समर्थन
दिल्ली के उड़ीसा भवन पर आज सामाजिक संगठनों, कार्यकर्त्ताओं और छात्र-नौजवानों ने बलांगीर जिले के मगुरबेडा गांव में…
कुडनकुलम पर कोर्ट का फैसला: जनता की अवमानना
सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लान्ट से जुड़ी
याचिका को खारिज करते हुये इसे हरी झण्डी दे दी है। अदालत के मुताबिक,
आर्थिक विकास और जनहित में इस प्लांट का शुरू होना जरूरी है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पलाश विश्वास की टिप्पणी;
सरकार से हम जब अपेक्षा कुछ नहीं रख सकते, तब सर्वोच्च न्यायालय से ही जनता का तरणहार बनने की…
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मारुति सुजुकी मजदूरों का आंदोलन
जब-जब दमन बढ़ता गया
तब-तब संघर्ष बढ़ता गया
एक बार फिर मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों पर पूंजी…
प्रतिरोध की आवाज़ ‘इन्साफ’ पर सरकार का निरंकुश हमला: चितरंजन सिंह
जल,
जंगल ज़मीन की लड़ाइयों और लोकतंत्र तथा धर्मनिरपेक्षता के संघर्ष को वर्षों
से मजबूत करने वाले संगठन 'इन्साफ'…
फुकुशिमा से आंख चुराता भारत
फुकुशिमा की दूसरी बरसी पर दुनियाभर में परमाणु उर्जा के सुरक्षित स्वरूप को लेकर बहस चली। इस बीच कुडनकुलम संयंत्र को ठंडा करने वाले संयंत्र के पुनः बिगड़ जाने से परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा पर पुनः प्रश्न चिन्ह लग गया है। मगर भारत वास्तविकता से मुंह फेरकर रट्टू तोते की तरह इसके प्रारंभ होने की बार-बार घोषणा करता जा रहा है। पिछले 18 महीनों में 16…
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नया भू-अधिग्रहण कानून: आमूलचूल बदलाव या यथास्थिति
गुजरी एक मई को नयी दिल्ली में एक विशेष बैठक में, भू अर्जन व पुनर्वास के मुद्दे पर लाए जा रहे नए कानून के…
कला पर बंदिश के खिलाफ उठी आवाजें
झूठे मुकदमे में फंसाए गए ‘कबीर कला मंच’ की कलाकारों की रिहाई की मांग को लेकर 2 मई को श्रीराम सेंटर-मंडी…
दुनिया के मजदूरों एक हो !
पहली मई का पैगाम
काम के घण्टे कम कराने की ऐतिहासिक अनिवार्यता
याद करें! पहली मर्इ 1886 का महान ऐतिहासिक बलिदानी दिवस। अमेरिका के शिकागो शहर की सड़कें जब लाखों मजदूरों के खून से रक्त रंजित हो उठी थीं। ''आठ घण्टे काम, आठ घण्टे आराम, और आठ घण्टे मनोरंजन' की राजनीतिक ऐतिहासिक मजदूर वर्गीय मांग के इस आन्दोलन ने पूंजीपति वर्ग को आठ…
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