संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड : स्वामित्व योजना के खिलाफ रांची में संघर्ष संकल्प गोष्ठी; 9 जुलाई 2022

संघर्ष संकल्प गोष्ठी
दिनांक: 9 जुलाई 2022
समय : 10 बजे से
स्थान : एचआरडीसी रांची, खजूर तालाब के पास।
निवेदक-आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच,
मुंडारी खूंटकटी परिषद।
संपर्क -दयामनी बरला-9431104386
तुरतन तोपनो-7091128043,

आइए मिल कर झारखंड को बचाए। आप सभी जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने सांप, भालू, बाघ, बिच्छू जैसे खुंखार जंगली जानवरों से लड़कर झारखंड की धरती को आबाद किया है। जब-जब हमारे विरासत पर हमला हुआ, समाज ने संघर्ष किया। आज राज्य बनने के बाद लगातार हमारे उपर चारों ओर से हमला हो रहा है, तब हमारी जिम्मेदारी समाज, राज्य और देशहित में बढ़ी है। इसी चिंतन के साथ 9 जुलाई 2022 को एक गांष्ठी बुलायी गयी है।

आप सभी जानते हैं कि झारखंड में सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटकटी एवं 5वीं अनुसूची क्षेत्र के आदिवासी बहुल जिला खूंटी में प्रॉपटी कार्ड बनाने के लिए ड्रोन से जमीन का सर्वे किया जा रहा था, आदिवासी संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। बगोदर के माले विधायक श्री विनोद कुमार सिंह जी ने 10 मार्च को इस संबंध में विधान सभा में सवाल उठाया कि खूटी जिला 5वीं अनूसूची क्षेत्र में आता है, बावजूद इसके ग्राम सभा की सहमति के बिना ही स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति/जमीन का ड्रोन से सर्वे किया जा रहा है। इसके जवाब में स्वंय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने कहा-खूंटी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति और जमीन का डिजिटल सर्वे का काम केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में संशय की स्थिति है, इसलिए राज्य सरकार इसे फिलहाल होल्ड करने का आदेश देती है। उन्होनें कहा-इस संबंध में जांच करायी जाएगी। बजट सत्र में सीएम के आदेश के तुरंत बाद ड्रोन सर्वे को होल्ड कर दिया गया है।

आप सभी जानते हैं कि केंन्द्र सरकार डिजिटल इंडिया लैंण्ड रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम लेकर आयी है। इसके तहत देश भर की सभी संपत्ति और जमीन का स्वामित्व कार्ड बन जा रहा है। इसके लिए देश की सभी जमीन व संपत्ति का एक साफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार कर रही है। जमीन व संपत्ति का ड्रोन सर्वे इसी प्रकिया के तहत खूंटी जिला के गांवों से शुरू किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के पहला चरण में (2020-22) में खूंटी जिला के 725 गांवों का डिजिटल सर्वे पूरा करने के बाद झारखंड के बाकी जिलों में, दूसरे चरण 2022-23 में 12000 गोवों, तीसरे चरण में 20000 गांवों का ड्रोन डिजिटल सर्वे करके डिजिटल नक्शा, खतियान भी बनाया जाएगा। ड्रोन से जमीन व संपत्ति का डिजिटल सर्वे कर संपत्ति/स्वामित्व कार्ड बनाने का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

हम सभी जानते हैं कि झारखंड के आदिवासी, मूवलवासी किसान समुदाय की अपनी विषेश पहचान है। इतिहास गवाह है कि झारखंड में जल, जंगल, जमीन को आबाद करने का आदिवासी-मूलवासी किसान समुदाय का अपना गैरवशाली इतिहास है। आदिवासी समुदाय खतरनाक जंगली जानवकरों से लड़ कर जंगल-झाड़ को साफ किया, गांव बसाया, जमीन आबाद किया। आदिवासी-मूलवासी किसान समुदाय जंगल, जमीन, नदी, पहाडों की गोद में ही अपनी भाषा-सास्कृतिक पहचान के साथ विकसित होता है।
प्राकृतिक-पर्यावरणीय जीवन मूल्य के साथ आदिवासी-मूलवासी समुदाय के ताना-बाना को संरक्षित और विकसित करने के लिए ही छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 बनाया गया है। साथ ही भारतीय संविधान में 5 वीं अनूसची एवं पेसा कानून 1996 में आदिवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन पर इनके खूंटकटी अधिकारो सहित अन्य परंपरागत अधिकारों का प्रावधान किया गया है।

सर्व विदित है कि आदिवासी समुदाय के जल, जंगल-जमीन, सामाजिक-राजनैतिक, अर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए भारतीय संविधान में विशेष कानूनी प्रावधान किये गये है, उसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि-गांव की सीमा के भीतर एवं बाहर जो प्रकृतिक संसाधन है जैसे, गिट्टी, मिट्टी, बालू, झाड-जंगल, जमीन, नदी-झरना, सभी गांव की सामुदायिक संपत्ति है। इस पर क्षेत्र के ग्रामीणों का सामुदायिक अधिकार है। ये सभी सामुदायिक अधिकार सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून, कोल्हान क्षेत्र के लिए विलकिंसन रूल, मुंडारी खूंटकटी में कानूनी मन्यता मिली हुई है। ये सभी अधिकार आदिवासी समुदाय के लंबे संघर्ष और शहादत के बाद मिला है। खतियान एवं वीलेज नोट में दर्ज सामुदायिक एवं खूंटकटी अधिकार को बचाना जगरूक नागरिकों के साथ राज्य के कल्याणकारी सरकार की भी जिम्मेदारी है।

5 वीं अनुसूची क्षेत्र के संरक्षक राज्यपाल महोदय है, इनकी भी जिम्मेदारी है हमारे अधिकारों को संरक्षित करने का। लेकिन वर्तमान केंन्द्र सरकार नीति आयोग द्वारा नित नये कानून लाकर आदिवासी, मूलवासी, किसानों के परंपरागत एवं संवैधानिक अधिकारों का क्षरण या कमजोर करके पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानो के हित को पूरा करने जा रही है। वर्तमान में लायी जा रही स्वामित्व योजना इसी उद्वेश्य का एक हिस्सा है। स्वामित्व योजना के तहत जमीन मालिकों के जमीन का प्रॉपटी /संपत्ति कार्ड बनायी जाएगी। जिस जमीन का दस्तावेज लोग पेस कर पायेगें, उसी जमीन का संपत्ति कार्ड बना कर गांव वालों को दिया जाएगा। बाकी जमीन का क्या होगा? उसका कोई जिक्र नहीं है।

इससे कई बड़े सवाल उभर कर आ रहे हैं-

  1. आदिवासी सामुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक संपत्ति/धरोहर -जल, जंगल, जमीन जैसे भूईहारी खेत, डालीकतारी खेत, भूत खेत, पहनाई खेत, चरागाह, सरना, मसना, ससनदीरी, हड़गड़ी, कब्रिस्तान, जहिरा, जाहेर स्थान, देवस्थान, अखड़ा, बांध, पोखरा, जतरा टांड जैसी बेलगान जमीन है। यह समाज की सामुदायिक संपत्ति है। सवाल है- स्वामित्व योजना के तहत इस धरोहर का प्रॉपटी कार्ड किसके नाम से बनेगा?
  2. आदिवासी-मूलवासी समुदाय के सामुदायिक जमीन, खतियान पार्ट दो में, वीलेज नोट में, सीएनटी, एसपीटी एक्ट में, पेसा कानून में सामुदायिक स्वामित्व का प्रावधान है। ग्रामीण आदिवासी, मूलवासी, किसान समुदाय की जीवन शैली इसी ताना-बाना के साथ जीवत है, इसमें गैर मजरूआ आम, गैरजरूआ खास, गैर मजरूआ जंगल-झाड़ी, नदी-नाला, सरना, मसना, हडगडी, जाहेर, देशाउली, ससनदीरी, अखड़ा, हड्रगडी, खेल मैदान, जतरा टांड आदि को भूमि बैंक में शामिल किया गया है। यह जमीन गांव की सामुदायिक संपत्ति है-इसका संपत्ति/स्वामित्व कार्ड किसके नाम से बनेगा?
  3. जबकि केंन्द्र सरकार के पंचायत मंत्रालय के स्वामित्व योजना गाईडलाइन में स्पृष्ट लिखा गया है कि
    ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद 1932 के खतियान में भारी छेड़ छाड़ हुई है, जिसमें खतियान धारको का नाम गलत दर्ज किया गया है। किसी में खाता संख्या गलत दर्ज है, किसी में असली जमीन मालिक को हटा कर दूसरे लोगों का नाम दर्ज कर दिया गया है । ऑनलाइन गलत अपडेट होने के कारण जमीन मालिक जमीन की रसीद नहीं कटा पा रहे हैं। स्वामित्व योजना के तहत इस तरह के जमीन का प्रॉपर्टी /स्वामित्व कार्ड किसके नाम से बनेगा?

सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून 1996, 1932 के खतियान में प्रावधान अधिकार, वन अधिनियम कानून 2006 एवं 5 वीं अनूसचित क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन पर इनके परंपरागत अधिकारों का प्रावधान किया गया है। इस स्वामित्व योजना से आदिवसियो के जंगल-जमीन, सामाजिक-संस्कृतिक मूल्यों पर प्रतिकूल असर होगा।

ये सभी गंभीर सवाल हैं-जमीन का ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद भारी संख्या में ऑनलाइन जमीन की लूट और नजायज कब्जा चल रहा है। इसको ठीक करने लिए आदिवासियों, मूलवासियों को, किसान प्रज्ञा केंन्द्र, सीओ कार्यालय, सीओ और अमीन के पास दौडतें दौड़ते दो-तीन साल बीत गये, लेकिन गलती ठीक नहीं हो रही है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

प्रॉपटी कार्ड मे मकान के साथ, उनकी सभी जमीन को एक में लिंक किया जाएगा, तब इसका संपति कार्ड बनेगा। (जिस जमीन पर ग्रामीण अपना मालिकाना हक साबित कर सकेगें, जिस जमीन का मालिकाना हक साबित नहीं कर पाऐगें उस जमीन को सरकार अपने नाम कर लेगी, जो डिजिटल नक्शे में रखा जाएगा।

भारत सरकार पंचायत मंत्रालय की स्वामित्व योजना नियामावली के अनुसार अब जमीन का स्वामित्व पंचायत मंत्रालय के हाथ में दिया जाएगा। यहां समझने की जरूरत है कि परंपरागत गांव समुदाय के हाथ में जो जमीन का अधिकार था, उसको सरकारी पंचायती व्यवस्था के अधीन किया जाएगा। यह नयी व्यवस्थ लागू होने पर निश्चित तौर पर कागजों में सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूची, मुंडारी खूंटकटी अधिकार, कोल्हान विलकिंसन रूल्स सहित अन्य परंपरागत व्यवस्था दर्ज तो रहेगी, लेकिन इसका जमीनी अधिकार स्वतः कमजोर हो जाएगा। यह कहना गलत नही होगा कि-आने वाले समय में सभी परंपरागत अधिकार अस्तित्व विहीन हो जाएगे। आदिवासी समुदाय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
इन सवालों को लेकर खूंटी जिला में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, मुंडारी खूंटकटी परिषद, आदिवासी एकता मंच 2021 से ड्रोन डिजिटल सर्वे का विरोध करते आ रहे हैं, क्योंकि परंपरागत गांव सभा को इसकी पूरी जानकारी दिये बिना ही सर्वे किया जा रहा था।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अभी होल्ड किया है। अब इससे किस तरह से स्थायी तौर पर रोका जाए और सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट,पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून को संरक्षित और कड़ाई से लागू करने के लिए राज्य सरकार इस दिशा में आगे बढे, इसके लिए जन दबाव बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। ताकि झारखंड का बचाया जा सके।

संपत्ति कार्ड/प्रॉपटी कार्ड लागू होने से आदिवासी इलाके को निम्नलिखित खतरों का सामना भविष्य में करना होगा-

  1. परंपरागत आदिवासी इलाके की जनसंख्यकी और भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी।
  2. 5वीं अनुसूची, सीएनटी, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटकटी एवं विलकिंसन रूल्स में प्रावधान किया गया है गांव की सीमा के भीतर के गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाड़ी, परती-झारती, नदी-नाला आदि सामुदायिक जमीन पर बाहरी समुदाय का प्रावेश एवं कब्जा वर्जित होगा।
  3. प्रकृतिक जीवनशैली से जुड़े आदिवासी-मूलवासी, किसान, दलित समुदाय का परंपरागत सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, आधार ध्वस्त हो जाएगा।
  4. ड्रोन सर्वे पूरा होने के साथ ही गांव का डिजिटल नक्शा बनेगा, नक्शा डिजिटल होगा, तब खतियान भी डिजिटल होगा। तब सवाल है कि-आदिवासी-मूलवासी समुदाय को सामुदाचिक अधिकार देने के साथ ऐतिहासिक पहचान देने वाला 1932 (जिससे आधार माना जाता है) खतियान का अस्तित्व बना रहेगा? या स्वतः निरस्त हो जाएगा?
  5. ड्रोन से सर्वे के बाद जमीन के मालिकाना हक क्लेम या दावा करने के लिए ग्रामीणों से कहा जाएगा, तब जिस जमीन की मालगुजारी रसीद काटी जा रही है, उस जमीन का फ्रूफ या सबूत पेस करेगें, लेकिन ग्रामीणों का सामुदायिक जमीन जिसकी रसीद नहीं काटी जाता है, उसका क्या होगा?
  6. ग्रामीण इलाके में बढ़ता शहरी आबादी के कारण ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था, परंपरागत जल स्त्रोतों, वन व्यवस्था, जैव विविधता, एवं पर्यावरणीय व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  7. प्रॉपटी कार्ड योजना के तहत ग्रीमीण आदिवासी इलाके में बड़ी संख्या में बाहरी आबादी के प्रवेश होने से, राज्य में आदिवासी आबादी तेजी से घटेगी। परिणाम स्वरूप आदिवासी समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति स्वतःकमजोर होगी।

ऑनलाइन खतियान में गलती के कारण बहुत से जमीन मालिक 4-5 वर्षों से जमीन का रसीद नहीं कटवा पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ खतियान से परंपरागत रैयतों का नाम हटाकर रातों-रात पांजी टू में में जमीन मालिक का नाम बदल दिया जा रहा है। कम पढ़े-लिखे सीधे, साधे आदिवासी किसानों को नहीं समझ में आ रहा कि ये क्या हो रहा है? बड़ा सवाल है कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

इस तरह से आदिवासी-मूलवासी किसान, समुदाय से जमीन, जंगल निकलती जा रही है। साथ ही समुदाय का सुरक्षा कवच सीएनटी, एसपीटी एक्ट, कमजोर होता जा रहा है। अब जमीन की लूट बढ़ेगी, परिवार और समाज में अशांति बढ़ेगी। इससे उत्पन्न परिस्थियों से विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी, भूख, गरीबी, भूमिहीन, स्वास्थ्य, सूखा-आकाल एवं पर्यावरण प्रदूषण जैसे महामारी का सामना करना होगा।

हमारी मांगें-

  1. केंन्द्र सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों एवं पूंजिपतियों के लिए लायी जा रही स्वामित्व योजना के तहत प्रॉपटी/ संपत्ति कार्ड योजना को रद्द किया जाए।
  2. झारखंड में सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, 5वीं अनुसूची एवं पेसा कानून को कड़ाई से लागू किया जाए।
  3. आदिवासी बहुल खूंटी जिला में प्रॉपटी कार्ड बनाने के लिए ड्रोन से जमीन /संपत्ति का सर्वे किया जा रहा था को होल्ड किया गया है, इसको पूरी तरह स्थायी रूप से रोका जाए।
  4. रघुवर सरकार ने गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाड़ी जमीन को भूमि बैंक में शामिल किया है, इस भूमि बैंक को रद्द किया जाए।
  5. राज्य के सभी जलस्त्रोंतों, नदी-नाला, झील-झरना का पानी लिफ्ट ऐरिगेशन के तहत पाइप द्वारा किसानों के खेतों तक कृषि विकास के लिए पहुंचाया जाए।
  6. ऑनलाइन जमीन के दस्तावेजों के साथ हो रही छेड़-छाड़ पर रोक लगायी जाय.

उपरोक्त सभी अधिकारों एवं बिंन्दुओं पर गहन मंथन करने के लिए 9 जुलाई 2022 को रांची स्थित एचआरडीसी हॉल में आप सभी आमंत्रित हैं।
समय-10 बजे, सभी समय पर आने का कष्ट करें।
स्थान-एचआरडीसी रांची, खजूर तालाब के पास।
निवेदक-आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच,
मुंडारी खूंटकटी परिषद। संपर्क -दयामनी बरला-9431104386
तुरतन तोपनो-7091128043, फूलचंद मुंण्डा, हादु तोपना-9801705283, राजू लोहरा-6202988865, दयाल कोनगाड़ी-8797772125,

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