संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

करछना के किसानों पर जारी है दमन

करछना (इलाहाबाद) के किसानों की जमीन छीनने पर आमादा प्रशासन अब फर्जी चौपालों का सहारा ले रहा है। प्रशासन द्वारा किसानों के साथ लिखित समझौता करने वाले जिलाधिकारी संजय प्रसाद का स्थानान्तरण कर दिया गया। उनके स्थान पर आये जिलाधिकारी आलोक कुमार अब न केवल समझौता मानने से इन्कार कर रहे हैं बल्कि अपने मातहत कार्यरत एडीएम चिन्कूराम के साथ धमकी देने के रास्ते पर उतर आये हैं। 26 मार्च 2011 को चौपाल कचरी ग्राम में लगाकर राजबहादुर पटेल को बुलाया गया। वहां पूरे स्थानीय प्रशासन के साथ जिलाधिकारी आये और राजबहादुर से कहा कि तुम्हीं अकेले हो बाकी सारे किसान सहमत हैं कंपनी के पक्ष में हैं। बंधक बनाने के प्रकरण में फंसाने तथा जेल भेजने की धमकी दी। एडीएम प्रशासन चिन्कूराम ने कहा चाहे भगवान को धरती पर उतार लाओ तुम्हारी मांगें पूरी नहीं हो सकतीं, तथा पावर प्लांट बनकर रहेगा। इस प्रकार ‘प्रशासन की ओर से लगातार फर्जी एफ.आई.आर. में फँसाने तथा रासुका में बन्द करने की धमकी दी जा रही है।
पहली चौपाल नये डीएम आलोक कुमार ने 25 फरवरी 2011 को तहसील देवरी प्राइमरी स्कूल में लगाई, जिले में तमाम योजनाओं के लाभ की बात कहते हुए पावर प्रोजेक्ट को लगाने से क्षेत्र का विकास होगा ये बताया। उस चौपाल में 10-20 पावर प्रोजेक्ट से प्रभावित किसान थे बाकी सभी दूसरे गांव के प्रधान द्वारा लाये गए थे।

इधर असली किसान अपनी मांगों को न मिलने/प्राप्त होने तक क्रमिक अनशन कर रहे हैं। किसान पुनर्वास कल्याण सहायता समिति के बैनर तले उनका क्रमिक अनशन जारी है। प्रशासन, तहसील, एसडीएम तथा तहसीलदार व कुछ प्रधान तथा दलाल व क्षेत्रीय गुण्डों के द्वारा राय मसौदा करके पावर प्रोजेक्ट लगाने के पक्ष में एक पत्र अप्रैल 2011 के प्रथम सप्ताह में टाइप कराया गया तथा ग्राम प्रधान एवं दलालों को हस्ताक्षर कराने को दिया गया जिसमें किसानों द्वारा उस प्रपत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये गये।
प्रशासन द्वारा किसानों की मांगों को पूरा न किये जाने के कारण किसानों द्वारा पावर प्रोजेक्ट के लगने के प्रपत्र पर हस्ताक्षर न करने से परेशान प्रशासन ने पूर्व प्रधान देवरीकलाँ कमलेश द्विवेदी के साथ तहसीलदार व एसडीएम के इशारे पर कई ग्राम प्रधानों को बुलाकर 26 मई 2011 को डीएम की चौपाल लगाना निश्चित किया गया। 25 मई 2011 को पूर्वप्रधान कमलेश द्विवेदी ने बीरपुर, महेवा, पुरैनी, पनासा, वलुहा तथा मेजा के कई ग्रामों की महिलाओं तथा पुरुषों को 100 रुपये देकर भीड़ इकट्ठा की, जिसमें दस-बीस किसान प्रभावित थे। शेष सभी किराये पर थे। डीएम इलाहाबाद ने दस-बीस किसानों की फोटो खिंचवाई तथा शेष किराये पर आये हुए पुरुष एवं महिलाओं से पावर  प्रोजेक्ट लगाने की माइक पर हामी भरवाई।
इस बीच किसानों की मांगें पूरी करने की प्रशासन की 4 महीने की मियाद भी 21 मई 11 को खतम हो गयी। संघर्षरत किसानों ने राज्यपाल तथा जिलाधिकारी को लिखित रूप से बता दिया है कि वे किसी भी हालत में अपनी जमीनें नहीं देंगे। किसानों का कहना है कि हम अपनी जमीन पर खेती करेंगे। हमारे पूर्वजों की दी हुई जमीन है। पूरे परिवार की जीविका का साधन है।
इधर अधिग्रहण की कार्यवाही का विरोध करने वाले किसान तथा न्यायालयों में वाद करने वाले याची एवं उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करायी जा रही है। 14 अप्रैल 2011 को तथा 23 मई 2011 को रामहित (याची) के परिवार के खिलाफ कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गयी। उधर प्रशासन प्रधान संघ, दलालों तथा अपराधियों के सहारे मीटिंगें करा रहा है। इसी तरह की एक मीटिंग रविवार 12 मई 2011 को की गयी जिसमें प्रधान संघ ने करछना पावर प्रोजेक्ट को लगाना क्षेत्र का विकास बताया तथा गलत तरीके से अधिग्रहण की कार्यवाही का विरोध करने वालों को अराजकतत्वों की संज्ञा दी तथा शासन से मांग की कि उन अराजक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करें जो पावर प्रोजेक्ट लगाने का विरोध कर रहे हैं।
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