संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

उत्तर प्रदेश : पेप्सी प्लांट के विरोध में किसानों का कलेक्ट्रेट घेराव

उत्तर प्रदेश के हरदोई स्थित पेप्सिको प्लांट का 4 जुलाई 2018 को भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हजारों किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। पेप्सिको के विरोध में किसानों ने कहा कि सण्डीला में पेप्सिको की फैक्ट्री में इतना ज्यादा जल दोहन हो रहा है कि पूरे इलाके में किसानों के सामने सिंचाई के पानी के लिए संकट पैदा हो गया है। पेप्सिको के कारण पुराने सभी सिंचाई के नलकूप आदि फेल हो गए हैं। किसानों के खेतों को पानी नहीं मिल पाता और किसानों के पानी से पेप्सी बन रही है।

पेप्सिको द्वारा अत्यधिक जल दोहन करने से क्षेत्र में पानी का संकट पैदा हो गया है, जिससे किसानों को सिंचाई में दिक्कत आ रही है।

किसान नेताओं का कहना था कि केन्द्रीय भू-गर्भ जल प्राधिकरण के नियमों के अनुसार यदि भू-गर्भ जल स्तर सुरक्षित, सेमी क्रिटिकल या क्रिटिकल श्रेणी में है तो जल सघन उद्योग, यानी जिन उद्योगों में मुख्य रूप से जल का प्रयोग हो रहा है, वर्षा जल के संचयन से भू-गर्भ जल स्तर को बनाए रखने का क्रमशः 200, 100 व 50 प्रतिशत जल ही उपयोग कर सकते हैं। यदि भू-गर्भ जल स्तर अति दोहित श्रेणी में है तो भू-गर्भ जल के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

केन्द्रीय भू-गर्भ जल प्राधिकरण की परिभाषा के अनुसार पेप्सी के उत्पाद, यानी बोतलबंद पानी व शीतल पेय जल सघन उद्योग की श्रेणी में आते हैं।

ऐसा अनुमान है कि पेप्सी संयंत्र 5 से 15 लाख लीटर पानी रोजाना जमीन के नीचे से निकाल रहा है। एक लीटर शीतल पेय बनाने में 2.5 से 3 लीटर पानी खर्च होता है। पेप्सी व कोका कोला कम्पनियों के 1,200 बोतलबंद पानी के व 100 के करीब शीतल पेय बनाने के कारखाने हैं। ये पानी के 50 प्रतिशत बाजार पर काबिज हैं।

हम हरदोई जिला प्रशासन से जानना चाहेंगे कि वह आम जनता को बताए कि सण्डीला क्षेत्र कर भू-गर्भ जल स्तर उपर्लिखित कौन सी चार श्रेणियों में आता है व क्या भू-गर्भ जल उपयोग हेतु भू-गर्भ जल प्राधिकरण के नियमों को पालन किया जा रहा है ? यदि भू-गर्भ जल प्राधिकरण के नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो यह संयंत्र तुरंत बंद किया जाना चाहिए।

यह कितने शर्म की बात है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सण्डीला क्षेत्र में पेप्सी के संयंत्र को स्थापित करने की अनुमति दी है। भारत पेप्सी के 5 बड़े बाजारों में से एक है। यह कम्पनी इन वायदों के साथ भारत में आई थी कि 50,000 लोगों को रोजगार देगी, 74 प्रतिशत निवेश खाद्य व कृषि प्रसंस्करण उद्योग में करेगी, 50 प्रतिशत उत्पादन निर्यात करेगी व कृषि अनुसंधान केन्द्र खोलेगी जिनको इसने पूरा नहीं किया।

जब तक भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र में सरकार नहीं बना थी तब तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक ईकाइ स्वदेशी जागरण मंच विदेशी कम्पनियों का विरोध करती थी लेकिन जब से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशी पूंजी निवेश आकर्षित करने का तेज अभियान छेड़ा है और यहां तक कि रक्षा क्षेत्र को भी विदेशी पूंजी निवेश के लिए खोल दिया है तब से स्वदेशी जागरण मंच ऐसे गायब हो गया है।

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