संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

हिमाचल हाईकोर्ट की ग्रीन बैंच ने सुंदरनगर सीमेंट प्लांट रद्द किया

दिनांक 13 दिसंबर 2010 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के स्पेशल हरित बैंच ने सुंदरनगर सीमेंट प्लांट जिला मंडी की पर्यावरण मंजूरी तथा भू-अधिगहण अधिसूचना को रद्द कर दिया। इस परियोजना का स्थानीय जनता तथा पर्यावरणविद लंबे समय से विरोध कर रहे थे।

स्थानीय निवासियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पर्यावरणविदों ने कुल मिलाकर 6 याचिकाएं इस प्लांट के विरोध में हाईकोर्ट में दायर की थीं।

हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि ‘‘कोर्ट ने सही समय पर हस्तक्षेप किया है जबकि राजनैतिक दल तथा सरकारें पर्यावरण को बचाने में असफल रही हैं और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला-झाड़ चुकी हैं।

इस प्लांट को लगाने का प्रस्ताव 1989 में अस्तित्व में आया था, तभी से इसे जबरदस्त स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 1993 में सरकार बदलने के बाद, 1995 में तत्कालीन सरकार ने 1.27 मिलियन टन सालाना सीमेंट की क्षमता वाले इस प्लांट को स्थापित करने के लिए हरीश सीमेंट के साथ एक मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए बंद कर दिया कि यह वन्यजीव अभ्यारण्य के बहुत नजदीक है।

इसके बाद इस प्लांट को और किसी जगह पर लगाने की योजना बनायी गयी। अंततः इस विवादास्पद परियोजना को 2005 में सैद्धांतिक तौर पर पर्यावरण मंजूरी मिल गयी। इस मंजूरी से सशंकित स्थानीय निवासियों तथा पर्यावरणविदों ने कोर्ट में इसे चुनौती देते हुए कहा कि खनन क्षेत्र में स्थानीय निवासियों की आपत्तियों को दर्ज करने के लिए ज़रूरी जन सुनवाई को जानबूझ कर टाल दिया गया तथा किसी भी तरह की जनसुनवाई नहीं की गई।

इस बीच जबकि यह मसला अभी कोर्ट में लंबित था, राज्य सरकार ने भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया। उद्योग विभाग के अनुसार 15 जनवरी 2007 को हरीश सीमेंट के साथ 725.85 हेक्टेयर की माइनिंग लीज पर हस्ताक्षर किये गये। इसमें से 469.68 हेक्टेयर जंगल की जमीन थी तथा बाकी निजी भूमि थी।

इस सीमेंट प्लांट के लिए प्रस्तावित खनन स्थल केरन गाँव (मण्डी) जो सुंदरनगर के पास अवस्थित है, में 19 दिसंबर 2010 को एक जनसभा करके उत्साहपूर्वक आंदोलनकारियों ने न केवल विजय दिवस मनाया बल्कि संघर्ष में भागीदारी एवं सहयोग के लिए मीडिया, बुद्धिजीवियों, पर्यावरणविदों, वकीलों तथा हिमाचल के विभिन्न जनसंघर्षों को धन्यवाद दिया। सभा में संघर्ष को जारी रखने तथा आवश्यकता पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय तक जाने का संकल्प दोहराया गया। कृषक विकास समिति ने इस सभा का आयोजन किया था। सभा को सुंदर नगर संघर्ष समिति के अध्यक्ष का. अमर सिंह राघवा, कुलभूषण उपमन्यु ने विशेष तौर पर सम्बोधित किया। इस मौके पर इंसाफ के महासचिव का. चितरंजन सिंह एवं हिमालय नीति अभियान के साथी गुमान सिंह भी मौजूद थे।

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