संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

भूमि अधिग्रहण के प्रस्तावित कानून (2011) के विरोध तथा जल, खनिज, वन, भूमि की लूट के खिलाफ जंतर-मंतर (दिल्ली) में संयुक्त धरना, प्रदर्शन एवं विरोध सभा

भूमि, जल, जंगल, खनिज की लूट के खिलाफ वषों से संघर्षरत विभिन्न जन संघर्षों, संगठनों ने साझे तौर पर 3 से 5 अगस्त 2011 तक संसद के समक्ष जंतर-मंतर पर धरने, प्रदर्शन और विरोध सभा का आयोजन किया। यह प्रदर्शन संसद के मानसून सत्र के मौके पर किया गया। प्रदर्शनकारी ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बहस के लिए जारी किये गये ‘भूमि-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन विधेयक 2011‘ के विरोध में अपनी आवाजें बुलंद करते हुए सरकार की कारपोरेट परस्त, पूंजीपरस्त तथा किसान-आदिवासी विरोधी विकास की अवधारणा पर भी सवाल खड़ा कर रहे थे। विरोध सभा में देश के लगभग सभी प्रांतों से आये प्रतिनिधियों-आंदोलनकारियों ने अपनी बातें रखते समय एक-स्वर से भूमि-जल-जंगल-खनिजों की लूट बन्द करने की मांग की। इसे रोकने के लिए सुझाव देते समय वक्ताओं तथा जन संघर्षों के अगुआकारों की बातों में भले ही थोड़ा बहुत गुणात्मक-मात्रागत अंतर रहा हो परंतु सभी के सभी सरकारी कानून की नीयत, नीति तथा इसके जन विरोधी होने की बात प्रमुखता से उठाते रहे। कुछ जन संघर्षों ने केवल पहले दिन के ही कार्यक्रम में हिस्सेदारी निभायी परंतु अधिकांश संगठन 3 से 5 अगस्त तक के कार्यक्रम में शामिल रहे।

विभिन्न जन संघर्षों तथा विभिन्न प्रांतों में कार्यरत साझे मंचों ने अपने-अपने मांग पत्रों को आयोजकों को सौंपा जिससे एक राष्ट्रीय स्तर का मांग-पत्र बनाया जा सका।

इस विरोध कार्यक्रम के पूर्व देश के कोने-कोने में सभायें, चर्चायें, रैलिया आयोजित करके लोगों को इस मुद्दे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने का प्रयास किया गया था। अलग-अलग संगठनों ने अपने अपने तरीके से इस अभियान में पहल की। जहां एन.ए.पी.एम. ने वैकल्पिक कानून का प्रारूप तैयार करने के लिए कई स्थानों पर प्रांतीय तथा राष्ट्रीय स्तर की चर्चायें आयोजित कीं वहीं नव निर्मित जन संघर्ष समन्वय समिति ने राजनीतिक दलों, विभिन्न जन संघर्षों तथा सांसदों को पत्र लिखकर इस कानून की विसंगतियों की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट किया तथा विभिन्न संघर्षों से एकजुट संघर्ष की अपील की।
इस विरोध कार्यक्रम के बाद यह तय पाया गया कि इस साझे संघर्ष को और व्यापक तथा कारगर बनाते हुए संसाधनों की लूट के खिलाफ निर्णायक संघर्ष को और तेज किया जाय।
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