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उत्तराखण्ड : हाथियों के लिए बनेगा कॉरिडोर; विरोध में पदयात्रा शुरू 26 दिसम्बर को लालकुआं पर विशाल प्रदर्शन

-कैलाश पाण्डेय

हल्द्वानी। उत्तराखण्ड सरकार हाथियों की सुरक्षा के नाम पर हाथी कॉरिडोर का निर्माण करने जा रही है। इस कॉरिडोर से सकड़ों वर्षों से जंगलों में रह रहे स्थानीय लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है। प्रभावित परिवारों ने अखिल भारतीय किसान महासभा की अगवाई में हाथी कॉरिडोर के खिलाफ पदयात्रा शुरू की है जो 26 दिसम्बर 2018 को लालकुआं पर विशाल  प्रदर्शन के साथ समाप्त होगी।

हल्द्वानी 13 अखिल भारतीय किसान महासभा की “प्रस्तावित हाथी कॉरिडोर रद्द करो, बिन्दुखत्ता राजस्व गांव बनाओ” मुद्दे पर पूर्वघोषित पदयात्रा व हस्ताक्षर अभियान शुरू हुआ। जिसे वरिष्ठ नेता व किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने किसान महासभा का झंडा सौंपकर रवाना किया। पदयात्रा की शुरुआत सीमैप गेट के सामने से हुई, जिसके बाद सुभाषनगर से लेकर पश्चिमी घोड़ानाला तक घर घर जाकर “प्रस्तावित हाथी कॉरिडोर रद्द करो, बिन्दुखत्ता राजस्व गांव बनाओ” मुद्दे पर हस्ताक्षर कराये गए साथ ही बड़े पैमाने पर किसान महासभा की सदस्यता भी ग्रामीण महिला-पुरुषों को दी गई। यह भी सुनिश्चित किया गया कि दो दिन की पदयात्रा के बाद 15 नवंबर को दोपहर 1 बजे से इस क्षेत्र की किसान महासभा की बड़ी बैठक बाजपुर चौराहा,सुभाषनगर में होगी।

पदयात्रा को झंडा देकर रवाना करने से पूर्व किसान महासभा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि,”हाथी कॉरिडोर को अमलीजामा पहनाया गया तो बिन्दुखत्ता के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जायेगा। मोदी-त्रिवेन्द्र की डबल इंजन सरकार ने बिन्दुखत्ता को उजाड़ने के लिए हाथी कॉरिडोर का नया दांव चला है।जनांदोलन के दम पर इसे पीछे धकेल दिया जायेगा।”

उन्होंने कहा कि, “बिन्दुखत्ता राजस्व गांव के सवाल भाजपा ने विधानसभा चुनाव में वायदा किया था कि हमारी डबल इंजन सरकार बनते ही सर्वप्रथम बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने का वायदा पूरा किया जायेगा। लेकिन एक प्रस्ताव तक उत्तराखंड की कैबिनेट और विधानसभा से पारित करने की कोई भी पहलकदमी नहीं की गई है। जो कि बिन्दुखत्ता की जनता के साथ विश्वासघात है। और अब हाथी कॉरिडोर के नाम पर बिन्दुखत्ता को उजाड़ने की साजिश मोदी-त्रिवेन्द्र की सरकार द्वारा रची जा रही है। बिंदुखत्ता को उजाड़ने की पहले भी कई कोशिशें हुई हैं जिनका यहाँ की जनता ने मुहतोड़ जवाब दिया है। हाथी कॉरिडोर हाथियों के लिए नहीं बिन्दुखत्ता के वजूद को खत्म करने के लिए बनाया जा रहा है।इसे नहीं बनने दिया जायेगा। असल में हाथी कॉरिडोर बनाने के पीछे बिन्दुखत्ता की एकता को खंडित कर यहाँ की जमीन को कॉरपोरेट के हवाले करने की चाल लगती है।”

वक्ताओं ने कहा कि, “लोगों को अपनी भूमि से बेदखल करने के लिए विकास और पर्यावरण सरकार के दो हथियार हैं। सरकारें अपनी सहूलियत के हिसाब से बारी बारी से इनका इस्तेमाल करती हैं। बिन्दुखत्ता को उजाड़ने के लिए इस बार पर्यावरण संरक्षण के हथियार का इस्तेमाल किया जा रहा है इसे समझना जरूरी है।”

कहा कि, “सरकार में बैठी भाजपा राजस्व गाँव के सवाल पर शर्मनाक चुप्पी साधे हुए है। बीजेपी-कांग्रेस का यही राजनीतिक चरित्र है, जब सरकार में रहो तो राजस्व गांव पर चुप्पी साध लो और जब विपक्ष में आओ तो राजस्व गांव पर नौटंकी शुरू कर दो। अब बिन्दुखत्ता की जनता को भ्रमित करने और उजाड़ने के लिए हाथी कॉरिडोर की बहस को लाया जा रहा है। जिसके खिलाफ जन अभियान चलाते हुए 26 दिसंबर को लालकुआं में विशाल रैली निकाली जायेगी।”

पदयात्रा अभियान की शुरुआत करने वालों में राजेन्द्र शाह, नैन सिंह कोरंगा, ललित मटियाली, गोविंद जीना, पुष्कर दुबड़िया, नैन सिंह कोरंगा,चंदन राम,हरीश चंद्र सिंह भंडारी, कमल जोशी, आनंद सिंह दानू,देव सिंह बिष्ट आदि शामिल रहे।

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