संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

उड़ीसा : नियमगिरि में राज्य दमन लगातार जारी, 5 आदिवासियों की गिरफ्तारी

दमन की एक नई कार्रवाई में, ओडिशा पुलिस ने 24 जुलाई 2018 को नियमगिरि सुरक्षा समिति के पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। यह वेदांता और ओडिशा सरकार की खनन-विरोधी संघर्षों पर दमनकारी नीति की अगली कड़ी है. सूर्य शंकर दास की रिपोर्ट जिसका हिंदी अनुवाद अंकुर जयस्वाल ने किया है;

नियमगिरी सुरक्षा समिति के कार्यकर्ताओं जीलू माझी, तुंगुरु माझी, रांगे माझी, सलपू माझी और पात्रा माझी को 24 जुलाई की सुबह ओडिशा के कालाहांडी जिले के पालबेरी और कुनाकाडू गांवों से गिरफ्तार कर लिया गया। नियमगिरि संघर्ष के नेताओं और कार्यर्ताओं की यह गिरफ्तारी वेदांता और ओडिशा सरकार का साफ तौर पर षड्यंत्र है, क्योंकि आगजनी और तोड़फोड़ के जिन आरोपों में इन्हें गिरफ्तार किया गया है वे केस 2008-09 के हैं. खनन-विरोधी आंदोलन की शुरुवात से ही यह दोनों गांव संघर्ष का हिस्सा रहे हैं।

कल की इन गिरफ्तारियों के साथ ही इस साल मई में धमनपांगा गांव के युवा नेता डोडी काद्रका की गिरफ्तारी सहित कम से कम सात डोंगरिया कोंड एक्टिविस्टों को पिछले दो महीनों में हिरासत में लिया गया है। इसके पहले डोडी काद्रका को पिछले साल हिरासत में उत्पीड़न किया गया था। वेदांता के खिलाफ उसकी रिफाइनरी के सामने 18 मार्च को विरोध प्रदर्शन करते लोगों पर औद्योगिक सुरक्षा बलों ने भीषण हिंसा की थी। लांजीगढ़ रिफाइनरी की हिंसा के एक हफ्ते पहले, नियमगिरि सुरक्षा समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक लिंगराज आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में बेल पर रिहा किया गया था। लिंगराज की गिरफ्तारी, नियमगिरि पहाड़ों के विभिन्न हिस्सों में सीआरपीएफ कैम्पों के बलपूर्वक निर्माण का विरोध करने के कारण हुई थी। संबंधित ग्राम सभाओं ने कैम्प के निर्माण की सहमति नहीं दी थी और वास्तव में तो इन निर्माणों पर आपत्ति जताते हुए इनके खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था।

पिछले साल नियमगिरि सुरक्षा समिति के अध्यक्ष लाडो सिकाका को अगवा कर उत्पीड़न किया गया था। आतंक का मौजूदा शासन, सरकार की हताशा की निशानी है, जो कि अपने आका वेदांता की इच्छा को पूरा करने के लिए कलिंग नगर से नियामगिरि तक दिखाई देता है। नवीन पटनायक के शासनकाल के लगातार चार कार्यकालों में ओडिशा के आदिवासी लोगों के साथ सबसे ज्यादा अन्याय हुआ है। टाटा और वेदांता जैसी कंपनियों द्वारा सिविल सोसाइटी और मीडिया के एक बड़े हिस्से को चुप करा दिया गया है। हालांकि नियमगिरि में आदिवासी नेताओं पर क्रूर दमन जारी है, भुवनेश्वर में अंग्रेजी समाचार दैनिक उड़ीसा पोस्ट (जिसका मालिक पूर्व बीजद सांसद तथागत सत्पती है) वेदांता और अन्य खनन कंपनियों द्वारा प्रायोजित ‘क्विज़ एक्सट्रावगांजा’ की मेजबानी कर रहा है। पांच नियामगिरि नेताओं की गिरफ्तारी की खबर अभी तक किसी भी मीडिया आउटलेट द्वारा कवर नहीं की गई है।

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