संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

अब की बार भगवा गुडों की सरकार : स्वामी अग्निवेश हुए भगवा आतंक के शिकार

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की कड़ी निंदा और अविलम्ब न्यायिक जाँच की मांग करता है

17 जुलाई 2018: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर भाजपा के युवा गुंडों द्वारा हमले की हम पूरी तरह निंदा करते हैं और स्वामी अग्निवेश के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हैं।

स्वामी अग्निवेश अपनी बेबाक राय रखने के लिए और हमेशा आदिवासियों, मजदूर, किसान और जन आंदोलनों के साथ सक्रिय भागीदारी निभाने के कारण पहचाने जाते हैं। भाटी माइंस के बंधुआ मजदूरों की जमीनी लड़ाई को लेकर वे सर्वोच्च न्यायालय तक गए हैं। शराबबंदी आंदोलन के लिए देशभर में में लगातार अलख जगाते रहे हैं।

समाजवादी विचारधारा से जुड़े स्वामी अग्निवेश हमेशा शांतिपूर्ण बातचीत के हिमायती रहे हैं तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित अनेक आंदोलनों में भी सरकार के साथ बहुत से मसलों पर बातचीत करके समाधान निकलवाते रहे हैं।

स्वामी अग्निवेश अपने सिद्धांतों से कभी समझौता करने वाले या झुकने वाले व्यक्ति नहीं हैं। आर्य समाज की मूल विचारधारा को लेकर वे हमेशा अंधविश्वास के खिलाफ खड़े रहे हैं और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर मुखर भी। कई जगहों में जाकर उन्होंने आदिवासी समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए काम किया है और वे हमेशा से ही शांति के पक्षधर रहे हैं। शायद यही कारण है कि RSSउनको विरोध की नजर से देखती रही है।

RSS किसी भी तरह की कोई स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष आवाज़ के पक्ष में नहीं है। झारखंड, छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों, मुसलमानों पर अब लगातार ईसाई समुदायों पर हमले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी हफ्ते रायपुर में एक चर्च पर हिंदू संगठनों ने हमला किया जिसको पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही और बाद में पुलिस चर्च के पादरी को ही गिरफ्तार करके थाने ले गई, यह सब बताता है कि हिंन्दुत्ववादी संगठन, बेलगाम सत्ता की शह से लोगों पर हमले कर रहे हैं।

लोकतंत्र में विश्वास करने वाले देशभर के तमाम संगठन व व्यक्ति इस हमले की कड़ी भर्त्सना करते हैं। इतनी बड़ी भीड़ का इकठ्ठा होना और एक छोटे से शहर में पुलिस को इसकी जानकारी भी न होना प्रशासन और इन हिंदुत्ववादी अराजक तत्वों की सांठ- गाँठ प्रतीत होती है। स्वामी अग्निवेश जैसे शांतिप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता पर यह कातिलाना हमला एक सुनियोजित षड्यंत्र जान पड़ता है।

आज ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा भीड़ की हिंसा को नाकाबिले बर्दाश्त करार देते हुए केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने की हिदायत देने को नजरअंदाज कर ऐसी घटना को अंजाम दिया जाना यह जताता है कि ऐसे अराजक और अपराधी तत्वों को न अब कानून की और न कोर्ट की परवाह है और इनमें ऐसा साहस बगैर सत्ता की शह के असम्भव है। पूरे देश में और विशेषकर झारखंड में भीड़ के द्वारा बेरोकटोक बढ़ती जा रही मारपीट और हत्या की घटनाएँ चिन्ता का विषय है और इन घटनाओं ने एक भय और असुरक्षा का माहौल पैदा दिया है ।

हम इन आतंकी संगठनों को जो लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं स्पष्ट बताना चाहते हैं कि वह कभी भी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होंगे, इन हमलों की वजह से जन आंदोलनों की प्रतिरोध की आवाज कभी नहीं दबेगी।

देश में लगातार ऐसे हमले हो रहे है| दलित, आदिवासी, अल्प संख्यखों से लेकर पत्रकारों, सामजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक नेताओं तथा सभी प्रगतिशील विचारधारा रखने वाले बुद्धिजीवियों पर प्रहार बढ़ते जा रहे हैं | RSS के अजेंडे अजेंडे पर चलने वाली भाजपा की 2019 के चुनावों के लिए यही तैयारी है। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय इसका खंडन करते हुए जनता से जागरूक होने का एलान करता है और राज्य सरकार से माँग करता है कि :-

  1. सरकार सीसीटीवी में कैद पूरी घटना के आधार पर दोषियों को चिन्हित कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार करे और उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए।
  2. पूरे मामले की न्यायिक जाँच हो और 45 दिनों में इस रिपोर्ट को जाहिर किया जाए।
  3. स्वामी अग्निवेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है इसलिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करायी जाये।
  4. झारखण्ड में भाजपा के प्रवक्ता ने घटना की ‘निंदा’ करते हुआ कहा कि ‘स्वामीजी’ का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ सही नहीं है, इसलिए यह हमला एक प्रकार से अपेक्षित था। इस तरह हिंसा को समर्थन देने वाले नेताओं पर भी उचित कार्यवाही की जाये।
  5. सरकार झारखंड में लगातार हो रही ऐसी ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाये ।
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