संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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किसान संकट

कॉर्पोरेट खेती की ओर बढ़ता भारत : न रहेगा किसान न किसानी का संकट

शायद भारत अब किसानोंका देश नहीं कहलायेगा। यहां खेती तो की जायेगी लेकिन किसानों के द्वारा नही, खेती करने वाले कार्पोरेट्स होंगे, कार्पोरेट किसान। पारिवारिक खेती की जगह कार्पोरेट खेती। आज के अन्नदाता किसानों की हैसियत उन बंधुआ मजदूरों या गुलामों की होगी, जो अपनी भूख मिटाने के लिये कार्पोरेट्स के आदेश पर काम करेंगे। उनके लिये किसानों की समस्याओं का…
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30 नवंबर 2018 को देश भर के किसानों का दिल्ली कूच : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय…

14 जुलाई 2018, नयी दिल्ली। 193 किसान संगठनो द्वारा बनाये गये, अखिल भारतीय किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) ने…

ओला पीडित किसानों से किसान संघर्ष समिति की अपील

मध्य प्रदेश सहित देश के कई इलाको में ओलावृष्टि हुई है जिससे किसानों की फसले बर्बाद हो गई है। अभी तक किसी भी…

किसानों को राहत दे पाने में असमर्थ सरकार : किसान खुद आगे आए किसानों की मदद के लिए

20 जनवरी को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की कोतवाली महमूदाबाद के ग्राम भौंरी में एक दलित किसान ज्ञानचंद्र की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी। हमेशा की तरह न ही प्रशासन ने और न सरकार ने मृतक किसान की कोई सुध ली। किंतु इस बार किसान खुद अपने मारे गए किसान भाई की मदद के लिए आगे आए। किसानों के संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने मृतक परिवार से मिलकर शोक…
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भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ किसान संघर्ष : पांच वर्ष पूर्ण होने पर विरोध सभा

28 अगस्त 2015 को नवलगढ़ क्षेत्र के गोठड़ा गाँव में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान सभा हुई जिसमें राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से किसान-मजदूर संगठनों एवं नागरिक अधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। सम्मेलन के दौरान सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए नवलगढ़ के 18 गांवों में जबरन भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन…
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भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ प्रदर्शन : योगेंद्र यादव पुलिस हिरासत में !

नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 10 अगस्त 2015 को भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन कर रहे स्वराज…

संसद किसान मार्च 10 अगस्त 2015

जरा सोचिये .......। चालीस सालों में गेहूं सात गुना बढ़ा, लेकिन सोना नब्बे गुना, साबुन अस्सी गुना, नमक चालीस गुना, ट्रेक्टर बारह गुना महंगा हुआ, देश का हर किसान पचास हज़ार रूपये का कर्जदार है, पांच लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों का खून बहाया जा रहा है । ऐसा सरकारों कि किसानी कि नीति को ख़त्म करने के कारण हुआ…
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