संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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स्वतंत्रता और समता

संविधान के हक़ में

आज़ादी के समय लोकतंत्र व्यवस्था के साथ-साथ एक स्वप्न भी था-संवेदना, संवाद और संघर्ष से उमग रहा ओजस्वी सपना! यह ऐसा समय था जब संविधान सभा की बहसें नए गणतंत्र की नैतिक आकांक्षा का पारदर्शी प्रतिनिधित्व कर रही थीं। नैतिक आकांक्षा इसलिए कि सारी आकांक्षाएँ नैतिक नहीं थीं। कुछ सांप्रदायिक और निहित स्वार्थ तब भी सिर उठा रहे थे और अपने संकीर्ण हितों को…
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