छत्तीसगढ़ : सुप्रीम कोर्ट के जंगल खाली करने के फैसले के खिलाफ बस्तर में प्रदर्शन
कांकेर (छत्तीसगढ़)- गुजरी 2 जुलाई 2019 को आदिवासी समाज ने रैली निकालकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर कहा जल जंगल जमीन पर जमारा हक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिये निर्णय को वापस लेने और वन अधिकार अधिनियम 2005-06 को पुनः लागू करने की मांग को लेकर कोयलीबेड़ा विकासखंड के आदिवासी समाज ने कंदाड़ी गांव में रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया है।आदिवासी समाज के लोगो ने गोटुल से रैली निकाल कर स्कूल मैदान तक रैली निकाली। और सभा का आयोजन किया। इस सभा में आलदंड खैरीपदर, घोड़िया, बैरेहबेड़ा,आमाटोला, हिदूर,पोरियहूर,राजा मुंडा छिंदपुर बीनागुंडा खेड़ेगाव कोपिनमुंडा सीतराम कलपर हचेहकोट कंदाड़ी जरावर 17 गांव के हजारों ग्रामीणों व स्कूली बच्चों ने शामिल हुए।
कंदाड़ी में आयोजित सभा में समाज प्रमुख आल्दण्ड निवासी नवलु राम धुर्व ने कहा कि सरकार किसी भी पार्टी का हो फैसला जनभावना को देखकर करना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला आदिवासियों के खिलाफ दिया है उसे वापस लिया जाए। वही आगरसाय कुजूर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। समाज के पदाधिकारी आनंद कुजूर मंगू कचलम बीजू रामसू ने कहा कि जमीन से बेदखल करने का फैसला षडयंत्र है, इस फैसले में सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार भी शामिल है। केन्द्र सरकार के इशारे पर यह फैसला लिया गया है, पर हम तब तक लड़ेंगे, जबतक सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को पूर्ण रूप से निरस्त नहीं करेगी। इस क्षेत्र के ग्रामीण तहसील मुख्यलाय तक नही पहुच पाते है जिससे हम यही पर रैली निकाल कर सभा आयोजन किये और डाक के माध्य्म से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेंगे।
ये है प्रमुख मांगें
- आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को वापस लेकर वन अधिकार अधिनियम 2005-06 को पूर्णतः लागू किया जाए, खनिज वन संपदा का दोहन तत्काल बंद किया जाए।
- उत्खनन व परिवहन का अधिकार पारंपरिक ग्राम सभा के माध्यम से आदिवासी समुदाय को दिया जाए। अनुसूचित क्षेत्र में गौण खनिज व गौण लघु वनोपज के क्रय विक्रय का संपूर्ण अधिकार पारंपरिक ग्राम सभा को दिया जाए।