बैलाडीला अडानी खनन मामला : कछुए की चाल से चल रही है फर्जी ग्राम सभाओं की जाँच
-मंगल कुंजाम/तामेश्वर सिन्हा
दन्तेवाड़ा 17 जुलाई 2019 – छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित बैलाडीला पहाड़ी के 13 नंबर पहाड़ को उत्खनन के लिए अड़ानी को फर्जी ग्राम सभा कर देने के बहुचर्चित मामले में जांच दल ने हिरौली गांव के ग्रामीणों का बयान दर्ज किया। जंहा महीने भर से दो बार जांच टलने के बाद आख़िरकर 106 लोगो मे से 29 ग्रामीणों का जांच दल ने बयान दर्ज किया।
हिरौली गांव से बयान दर्ज कराने आए 22 वर्षीय गुड्डी मंडावी कहते है मैंने आज जांच समिति को अपना बयान दर्ज कराया है। मेरा भी नाम 2014 के ग्राम सभा में सचिव के द्वारा दर्ज किया गया है। मैं उस समय कुआकोंडा हॉस्टल में पढ़ाई कर रहा था, मेरा उम्र 18 साल भी नही हुआ था गुड्डी आगे कहता है मैं पढा लिखा हूँ मैं क्यो अंगूठा लगाऊंगा लेकिन ग्राम सभा के 2014 के प्रस्ताव में नाम भी है और अंगूठा भी लगा है गुड्डी कुंजाम आगे कहते है अड़ानी को खनन के लिए किए गए ग्राम सभा पूरा फर्जी है।
बता दे कि विगत दिन 7 जून को आदिवासियों ने अपने विराजमान देवता पर्वत को अड़ानी को देने के विरोध में तीन जिले के हजारों आदिवासियों ने ऐतिहासिक हुंकार रैली और अनिश्चित कालीन प्रदर्शन कर फर्जी ग्राम सभा कर अड़ानी को ठेका में देने का विरोध किया था। एनएमडीसी और एनसीएल जॉइंट वेन्सर कपनी ने आडनी इंटरप्राइजेज कंपनी को 25 साल के लिए लौह अयस्क उत्खनन करने के लिए माइनिंग लीज ठेका में दिया है। अड़ानी के ठेकेदार के द्वरा माइनिंग करने के उस स्थान पर वनों को कटाई कर रहे थे तभी एका बड़ा आन्दोल संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के द्वारा हज़ारो आदिवासियों के साथ एनएमडीसी प्रशासनिक भवन के सामने 7 दिन तक अनिश्चित कालीन हड़ताल किया गया था। इस आन्दोल में फ़र्ज़ी ग्राम सभा कर संबंधित अधिकारियों पर कानूनी करवाई एक महीने बाद भी लंबित है।
इस रैली को जिला प्रशासन और राज्य सरकार के द्वारा आंदोलनकरियो द्वारा उनकी दो शर्त मनाने के बाद आंदोलन को स्थगित किया गया था। जिनमे 15 दिवस के अंदर फर्जी ग्राम सभा की जांच होनी थी लेकिन दो बार जांच टलने के बाद दिनाँक 16 जुलाई को मात्र 29 लोगो का ही बयान दर्ज किया गया ।
बता दे कि मंगलवार को हुए ग्राम सभा जांच में संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के 15 सदस्यों को भी शामिल किया गया और उस जांच में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता बल्लू भावनी ने बताया कि जितने भी लोगो का आज बयान हमारे सामने दर्ज किया गया है सभी लोगो ने 2014 में कोई भी ग्राम सभा नही होने की बात अपने बयान में दर्ज करवाया है।
बल्लू भवानी ने बताया कि सबसे पहले उस समय रहे तत्कालीन सचिव बसन्त नायक का बयान दर्ज किया गया है। जब जांच अधिकारी ने सचिव को ग्राम सभा के सम्बंध में पूछा तो उन्होंन ग्राम सभा हुई है ऐसा तो जरूर बोला लेकिन कोई सरकार का आदेश नही था और कोई नोडल अधिकारी भी इस ग्राम सभा के लिए सरकार के तरफ से नही आया था। बल्लू भवानी ने आगे बताया कि सचिव ने बताया है कि मुझे एन एम डी सी के अधिकारियों के द्वारा बार बार दबाव बनाया जा रहा था तब यहां ग्राम सभा प्रस्ताव पास कर मैंने ही दिया ऐसा सचिव का बयान आया है। सचिव के बयान के आधार पर देखे तो पूरा फ़र्ज़ी है ,और इस जांच में पूरा हमारे ही पक्ष में आने की उमीद है और आधा लड़ाई हम जीत चुके है।
अपना बयान दर्ज करने पहुंचे हिरोली ग्राम के तत्कालीन सचिव रहे बसन्त नायक ने बताया की हिरौली में ही ग्राम सभा प्रस्ताव पास किया गया है और सरपंच खुद अपना हस्ताक्षर किए है। सचिव मानते है कि इस ग्राम सभा के लिए कोई सरकार का आदेश नही था एन एम डी सी के अधिकारी मुझे बार बार दबाव कर रहे थे तब मैंने लिख कर दिया है।
फर्जी ग्राम सभा के लिए बनाए गए जांच अधिकारी दंतेवाड़ा एस.डी.एम नूतन कुमार कवर ने बताया की 29 लोगो का बयान दर्ज किया गया है और बाकी जो बचे है उनको जिला प्रशासन और राज्य सरकार के आला अधिकारियों को सूचना दिया जाएगा। फिर उसके बाद बचे हुए लोगो का बयान दर्ज होगा। जिला प्रशासन भी चाहता है जितना जल्दी जांच हो हम सरकार को रिपोर्ट सौपेंगे और जो जांच हुई है उस पर अभी खुलासा करना उचित नही है जब पूरी जांच होगी सारे रिपोर्ट पेश किया जाएगा और ग्रामीण लोगो के सहयोग के बिना पूरा जांच होना संभव नही है ,वो सहयोग करंगे थो जल्द पूरी जांच होगी।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन संघठन से आलोक शुक्ला कहते है। में पुनः इस बात को कह रहा हूँ कि जांच वन स्वीकृति की जानी चाहिए। क्यूंकि ग्रामसभा तो दस्तावेज देखकर ही पता चल जाता हैं कि वह फर्जी हैं। पहाड़ के सांस्कृतिक, धार्मिक पहलुओं को छुपाकर, जैव विविधता पर झूठ बोलकर, फर्जी ग्रामसभा के आधार पर हासिल की गई वन स्वीकृति को निरस्त किया जाना चाहिए।
इस मामले में मनीष कुंजाम कहते है पूरे कागजो में दिख रहा है कि ग्राम सभा पूरी तरीके से फर्जी है ये जांच के नाम पर परेशान कर रहे है इन अधिकारों के ऊपर अब तक कार्यवाही नही हुई है।