छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एतिहासिक फैसला : पर्यावरण विभाग के मेंबर सेक्रेटरी ही कर सकेंगे जनसुवाई
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पर्यावरण विद् रमेश अग्रवाल ने महाजेको की जनसुनवाई के बाबत याचिका पर बहुत महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने माना कि कलेक्टर और पर्यावरण अधिकारी जन सुनवाई की तिथि और स्थान तय नहीं कर सकते. पर्यावरण विभाग के मेंबर सेक्रेटरी को खुद जनसुनवाई में उपस्थिति होना पडेगा। कलेक्टर को यह अधिकार नहीं है कि वह एसडीएम या किसी और अधिकारी को नियुक्ति कर दे और वह जनसुवाई का संचालन करे । कलेक्टर या उनके द्वारा अधिकारी अध्यक्षता कर सकते है और कानून व्यवस्था सम्हालने का काम करेंगे.लेकिन जनसुनवाई मेंबर सेक्रेटरी को ही करना है।
महाधिवक्ता ने खुद यह माना कि पर्यावरण अधिकारी को सुनवाई या तिथि स्थान तय करने का हक नहीं है. सीजेआई और जस्टिस भादुड़ी ने सुनवाई की और लगभग रमेश अग्रवाल के तर्क से सहमत थे.उन्होंने आदेश दिया कि न तो कलेक्टर और न उनके द्वारा नियुक्त अधिकारी जनसुनवाई की प्रोसीड़ कर सकेगा . मेम्बर सेक्रेटरी को खुद सुनवाई का संचालन करना पड़ेगा। रमेश अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता के रोहन ने पैरवी की जबकि शासन की ओर से महाधिवक्ता स्वयं मौजूद थे।
रमेश अग्रवाल ने इस निर्णय को एतिहासिक बताया और कहा इसका प्रभाव पूरे देश में जन सुनवाई के चरित्र पर पडेगा। कोर्ट ने शासन की एक भी दलील नही मानी, पूरे भारत मे पहला मामला जब SPCB का सबसे ऊंचा अधिकारी मेंबर सेक्रेटरी खुद जन सुनवाई का संचालन करेगा।
यह निर्देश 27 जून को तमनार में महाजेनको की जनसुनवाई के पहले आया है और यह इस सुनवाई पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
अब तक सरकारें प्रशासनिक अधिकारियों को जनसुनवाई में प्रमुख बनाकर जनता की आवाज़ दबाने का काम करतीं रहीं हैं।