संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मध्य प्रदेश : लॉकडाउन में वन कर्मियों ने आदिवासियों के घर जलाए

भोपाल 2 जून 2020। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के सिवाल गांव के आदिवासी निवासियों कहना है कि वन अधिकारियों ने सोमवार 1 जून 2020 की सुबह न केवल एक मिट्टी के घर को जला दिया, बल्कि आने वाले दिनों में और अधिक घर जलने की धमकी दी और कहा कि वह उन्हें फसलों के लिए बीज बोने की अनुमति नहीं देगा। नेपानगर पुलिस थाने में एक शिकायत में, ग्रामीणों ने दावा किया कि वन अधिकारी ने एक  अतिक्रमण हटाओ  अभियान के मद्देनजर सोमवार दोपहर 1 बजे के आसपास 45 वर्षीय सिल्डर के मिट्टी के घर को जला दिया। हालाँकि, सिल्डर के पास वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत निवास और कृषि भूमि का प्रमाण पत्र  है और वह पिछले 40 वर्षों से गाँव में रह रहे हैं। इसी तरह की घटना 9 जुलाई, 2019 को उसी गाँव में सामने आई थी जब वन अधिकारियों ने कथित तौर पर ग्रामीणों पर गोलियां चलाई थीं, जिससे चार आदिवासी घायल हो गए थे। पढ़िए जितेंद्र प्रथ्वी मीणा की टिप्पणी;

“अभी तो बस एक घर जलाया है, सारे टपरे उड़ाएंगे अभी, अभी तुझे बोने (फसल बोने) भी नहीं दूंगा। तू टेंशन मत ले, सब उड़ा दूंगा अगली बार फिर वापस आऊंगा तो”- कहते हुए अधिकारी ने अपना फोन रख दिया और इस तरह एक ओर आदिवासी परिवार का घर वन विभाग के अधिकारियों ने जला दिया।

संविधान की 5 वीं अनुसूची में देश भर के कई हिस्सों को आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त वनाधिकार कानून 2006 के अन्तर्गत आदिवासियों के एक हिस्से को मालिकाना हक प्राप्त है शेष अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था जब तक दावों से जुड़ी कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी भी आदिवासी को उसकी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा।

लेकिन मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में कल दोपहर सिलदार नामक आदिवासी के घर को उसकी गैर मौजूदगी में जला दिया गया। घटना के समय पर तमाम लोग खेत पर गए हुए थे, जब तक पहुंचे घर जल चुका था और सरकारी अमला भाग चुका था।उसके बाद वनाधिकारियों से हुई बात चित का सार ऊपर लिखा है।

यह आदिवासी परिवार इस जमीन पर 1984 से खेती करता आ रहा है और उससे जुड़े कागजात भी उनके पास है मालिकाना हक के लिए दावा भी किया हुआ है मामला सुप्रीम कोर्ट में है। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने उनके घर को जला दिया। पिछले वर्ष भी इस तरह की कार्यवाही इस गांव में हुई थी।

यह पहली बार नहीं है जब लॉक डाउन की आड़ में आदिवासियों के घरों को उजाड़ दिया गया। अप्रैल 2020 में उड़ीसा में इसी तरह की कार्यवाही में लगभग 3 दर्जन परिवारों को उजाड़ दिया गया।

पिछले एक महीने से गुजरात के नर्मदा जिले में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम पर 14 गांवों के आदिवासियों की जमीन छीन ली गई हैं, लगातार गिरफ्तारी जारी है। आज फिर सरकारी महकमा जमीन की बाड़बंदी करने आया और आदिवासियों से फिर टकराव हुआ। कुछ आदिवासी नौजवानों ने पेट्रोल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया लेकिन नेतृत्व कि समझदारी के चलते दुर्घटना को रोक लिया गया।

अब सवाल यह है कि क्या #AdivasiLivesMatter नहीं करती हैं ? जब संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ही सरकार और उसके नुमाइंदे नहीं मान रहे हैं ऐसे में आदिवासी क्या करें ?

नोट :- वीडियो आज के हैं, गुजरात में आदिवासियों पर हो रहे पुलिस दमन के हैं।
#StatueOfDisplacement

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