सरगुजा में जल-जंगल-जमीन की लूट के खिलाफ महाजुटान
छत्तीसगढ़ (सूरजपुर)- छत्तीसगढ़ राज्य के जिला सूरजपुर के ग्राम जगन्नाथपुर में 1 जुलाई 2018 को रूढ़ी जन्य विशाल आदिवासी महासभा का आयोजन किया गया ,जिसमें सरगुजा संभाग के विभिन्न गाँव के ग्राम बैगा, ग्राम मुखिया, पारंपरिक पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि, अधिकारी ,कर्मचारी महिला पुरूष हजारों की संख्या में उपस्थिति रहे।
इस सभा नें अपने संविधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए अनुसूचित जनजातियों की हक व हितों की संरक्षण हेतु सर्वसमिति से 3 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया। जिसमें पहला प्रस्ताव ग्राम जगन्नाथपुर सहित अन्य ग्रामों में महान 3 कोल परियोजना के लिए प्रशासन द्वारा जोर जबरन कृषि भूमि का अधिग्रहण किया है जिसका शुरू से ही ग्रामवासी अनुसूचित जनजाति किसान कड़ाई से विरोध कर रहे हैं इस प्रकार जोर जबरन अधिग्रहण अवैध है ।
क्योंकि 1. इस अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की कोई भी सहमति नहीं है बल्कि ग्राम सभा ने कड़े शब्दों में प्रस्ताव पारित कर प्रशासन को चेताया था कि ग्रामसभा 1 इंच भी जमीन परियोजना की लिए नहीं देगी इस ग्राम सभा की विरुद्ध में जाकर कुछ बाहरी दबंगो ने घर-घर जाकर अलग-अलग परिवार से नगद रुपया वह नौकरी का लालच तथा जमीन तो सरकार ले ही लेगी मुआवजा ले लो नहीं तो वह भी नहीं मिलेगा कह कर भय दिखाकर सहमति फार्म भरवा कर ग्राम सभा की जानकारी के बैगर ही घर घर मुआवजा बांटा गया।यह कृत्य ग्राम सभा की सर्वोच्च शक्ति की विरुद्ध साजिश किया गया जो अपराध है। माननीय हाई कोर्ट जबलपुर का जजमेंट 11 जून 2016 ग्राम सभा भजिया विरुद्ध कलेक्टर कटनी के अनुसार कलेक्टर को ग्राम सभा की विरुद्ध जाने का अधिकार नहीं है अर्थात प्रशासन भी ग्राम सभा के खिलाफ नही जा सकता। महान 3 जगन्नाथपुर के मामले में प्रशासन ने ग्राम सभा की विरुद्ध जाकर जबरन अधिग्रहण किया इसमें बड़े किसान गांव की जमीदार लोग इस अन्याय की विरुद्ध कड़े विरोध में है।
2.) प्रशासन ने बड़े किसानों के विरोध के बावजूद किसानों के बिना सहमति के उनके पैतृक व कृषि भूमि को जबरन अधिग्रहण किया जो अनुसूचित जनजातियो के संवैधानिक हकों व हितों का उल्लंघन है तथा अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार है। प्रशासन भारतीय सविधान के अनुच्छेद 244 (1) के उपबंधों को नहीं मान रही है इसका उल्लंघन कर रही है प्रशासन अनुसूचित जनजातियों के रूढ़ि प्रथा जिसे भारत की संविधान के अनुच्छेद 13(3)क के विधि के बल का उलंघन कर रही है। प्रशासन पेशा एक्ट 1996 का उलंघन कर रही है। प्रशासन भू राजस्व संहिता की धारा 170 (ख) का उलंघन कर रही है। प्रशासन भू अर्जन अधिनियम धारा 41 का उलंघन कर रही है।
प्रशासन वन अधिकार अधिनियम 2005, 2012 का उलंघन करते हुए बिना ग्राम सभा के सहमती के वन विभाग ने गांव के जंगल को अधिग्रहण के लिए दे दिया। जिससे ग्रामवासी काफ़ी आक्रोशित एवं नाराज़ है महासभा नें इस अधिग्रहण को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया। दूसरा प्रस्ताव आदिवासी मुखियाऒं को फंसाकर गिरफ्तार किये जाने व हक व हितों राज्य सरकार के अतिक्रमण के विरूद्ध प्रस्ताव पारित किया गया कि राज्यपाल स्वयं संज्ञान व जिम्मेदारी लें। तीसरा प्रस्ताव राजनीतिक पार्टीवाद के विरूद्ध निर्दलीयवाद को बढ़ावा देने का पारित किया गया। उक्त प्रस्ताव की काॅपी भारत के महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्य पाल को प्रेषित किये जाने का निर्णय लिया गया।
इस सभा में सभापति तधन सिंह धुर्वे जी( हाई-कोर्ट अधिवक्ता बिलासपुर मुख्य अतिथि- सोहन पोटाई ( भूत पूर्व सांसद कांकेर), एवं विशिष्ट अतिथि- अमित बघेल (छत्तीसगढ़ीया क्रांति सेना प्रमुख), पूनम कुजूर, नार्वेन कासव टेकाम , रामनरायन टेकाम (जयस प्रभारी छ. ग.), बसंत कुजूर, त्रिभुवन टेकाम,रघुनाथ सिंह मरकाम जी(,प्रदेश उपाध्यक्ष),सरोज सिंह आयाम, मोतीलाल पैकरा (जिला अध्यक्ष) विनोद केराम जी, संतोष मिंज, चन्द्रिका आयम ,जंगसाय पोया, बृजमोहन सिंह पोया जी एवं अन्य बहुत से समाज प्रमुख उपस्थित थे।