छत्तीसगढ़ : पेसा नियम 2022 में हुए छल के खिलाफ आदिवासी एकजुट, रायपुर में निकाली रैली
रायपुर। गांधी जयंती के अवसर में छत्तीसगढ़ के समस्त आदिवासी इलाके की ग्राम सभाओं का एक महासम्मेलन गोंडवाना भवन में आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न ग्राम सभाओं के 5000 से अधिक आदिवासी प्रतिनिधि हिस्सा लिए।
इस मौके पर सूबे के अलग-अलग हिस्सों से आए सिलगेर से रघु,कोयलीबेड़ा से सहदेव उसेंडी, दुर्गुकोंदल से जगत दुग्गा, अंतागढ़ से संत लाल दुग्गा, सिहावा से लोकेश्वरी नेताम, मीरा संघमित्रा,मानपुर से सरजु टेकाम, बीजापुर से दशरथ मंडावी,राजनांदगांव से सुदेश टिकम आदिवासी छात्र युवा संगठन बस्तर से राजेश नरेटी, सर्व आदिवासी समाज से कार्यकारी अध्यक्ष बी एस रावटे तथा सर्वआदिवासी समाज के संरक्षक पूर्व केंद्रीय मंत्रु अरविंद नेताम सभा को संबोधित किया।
कल करीब 3 बजे गोंडवाना भवन से ग्राम स्वराज रैली के रूप में तब्दील हो कर आजाद चौक पहुंच कर गांधी जी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद सभा की शुरुआत हुई । सभा मे प्रमुख रूप से सुदेश टेकाम, सरजू टेकाम, जीत गुहा नियोगी इत्यादि वक्ताओं ने मोदी सरकार एवं भूपेश सरकार के कारपोरेट पूंजी को सहूलियत देने के लिए जिस तरह गैर संवैधानिक एवं गैर कानूनी रूप से छत्तीसगढ़ में पेसा नियम 2022 और वन संरक्षण नियम 2022 में संशोधन किए जा रहे हैं उसकी भर्त्सना करते हुए चेतावनी दी गई कि सरकार को संविधान सम्मत कार्य करना होगा वरना लोग उन्हें उखाड़ फेकेंगे । सभा में यह भी संकल्प लिया गया कि संविधान सम्मत ग्राम सभा के जरिये गांधी जी तथा अनगिनत आदिवासी शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए ग्राम सभाओं के प्रतिनिधि पुरजोर प्रयास करेंगे।
बताते चलें कि गांधी जयंती पर छत्तीसगढ़ के बस्तर-सरगुजा संभाग सहित कई जिलों के ग्रामीण आदिवासी राजधानी रायपुर पहुंचे। गोंडवाना भवन टिकरापारा से आजाद चौक स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा तक रैली निकाली। और फिर यहीं सभा हुई। बाद में राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर नये PESA-अधिसूचित क्षेत्रों में पंचायतों का विस्तार नियम को रद्द करने की मांग की गयी।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन सहित दर्जन भर संगठनों के नेतृत्व में आदिवासी समाज के लोग सुबह से ही रायपुर पहुंचने लगे थे। दोपहर बाद रैली की शक्ल में सभी लोग टिकरापारा स्थित गोंडवाना भवन से आजाद चौक के लिए रवाना हुए। वहां पहुंचकर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। यहां आदिवासी नेताओं ने सरकार पर आदिवासी क्षेत्रों में मनमानी करने का आरोप लगाया। कहा गया कि सरकार ने जानबूझकर PESA नियम में ग्राम सभा को कमजोर किया है। डेढ़ साल से चल रहे सिलगेर आंदोलन की सुध नहीं ली जा रही है। सरकार ने फायरिंग की जांच की बात कही थी, आज तक वह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी।
उनकी जमीनों पर लगातार पुलिस कैंप बनाया जा रहा है। वहीं सरकार ने अदालत में आदिवासी समाज के आरक्षण को भी नहीं बचाया। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों को दो अलग-अलग ज्ञापन सौंपे गए। इसमें से एक राष्ट्रपति को संबोधित था। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के नये PESA नियम को रद्द करने की मांग की गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की ओर से जारी वन संरक्षण नियम की अधिसूचना को भी रद्द करने की मांग की गई है। वहीं छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32% आरक्षण लागू कराने की मांग की। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम भी ऐसा ही ज्ञापन सौंपा गया।
हसदेव में पेड़ कटाई का भी विरोध
आजाद चौक पर हुई सभा में आदिवासी संगठनों ने हसदेव अरण्य में खदान के लिए पेड़ों की कटाई का भी विरोध किया। कहा गया, इस मामले में सरकार ने धोखा दिया है। कहा गया कि बिना उनकी सहमति के कोई खदान नहीं खुलेगी। स्थानीय ग्रामीण कई महीनों से धरने पर बैठे हैं। ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पारित कर खदान का विरोध किया है। उसके बाद भी सरपंचों और दूसरे ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जंगल की कटाई शुरू करा दी गई।