संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

वागड़ मजदूर किसान संगठन का 19वां गांव गणराज्य सम्मेलन : प्राकृतिक संसाधनों पर गांव सभाओं का मालिकाना हक सुनिश्चित हो



23-24 दिसंबर 2017 को वागड़ मजदूर किसान संगठन ने अपने 19वें गांव गणराज्य सम्मेलन का डुंगरपुर, राजस्थान में आयोजन किया। सम्मेलन में आए विभिन्न गांव सभाओँ की कमेटियों अपने कामों का ब्यौरा देते हुए अपने संकल्प को दोहराया कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर हमारा मालिकाना हक हम लेकर रहेंगे। सम्मेलन में आए विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नेतृत्वकारी साथियों ने कहा कि पेसा कानून के अधिकारों को गांव सभाओं में लागू करने के लिए हमें गांव के स्तर पर सशक्त संघर्ष खड़े करने होंगे। हम यहां आपके साथ वागड़ मजदूर किसान संगठन द्वारा सम्मेलन के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति साझा कर रहे है;

वागड़ मज़दूर किसान संगठन, डूंगरपुर द्वारा आदिवसीय स्वशासन क़ानून (PESA) 1996 के उपलक्ष्य में दो दिवसीय गाँव गणराज्य सम्मेलन दिनांक 23-24 दिसम्बर को बादल महल के पास स्थित मैदान में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में गाँव सभा कमेटी के 2000 सदस्यों ने बहुत उत्साह व आत्मविश्वास के साथ भाग लिया । “हमारे गाँव में हमारा राज”, “जयपुर दिल्ली हमारी सरकार, हमारे गाँव में हम सरकार”,  “हम अपना अधिकार माँगते, नहीं किसी से भीख माँगते है” जैसे नारों से सभा गूँज उठी ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सुनीलम, पूर्व विधायक, राष्ट्रीय संयोजक जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय व अध्यक्ष, किसान संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश तथा श्री देवेंदर कटारा, विधायक डूंगरपुर थे।

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में जनसंघर्ष समन्वय समिति, उत्तर प्रदेश से अरुण सिंह, प्रकृतिक संसाधन बचाओ अभियान के विक्रम कटारा, अनुसूचित क्षेत्र  संघर्ष समिति के श्री सोमलाल कोटेड, आदिवासी महासमिति के श्री सुन्दरलाल परमार, महावीर समता संदेश, पक्षिक अक़बार के सम्पादक श्री हिम्मत सेठ, बांग्लादेश पाकिस्तान पीपल्स फोरम  की सचिव श्रीमती रीटा चक्रवर्ती, एकल नारी शक्ति संगठन से श्रीमती धुली बाई, वाग़ड मज़दूर किसान संगठन के संचालक मंडल की सदस्य श्रीमती राधा देवी तथा श्रीमती मणी बाई, पंचायत समिति सदस्य, संचिया की पंचायत समिति सदस्य प्रियंका वरहात, प्रधान बिछीवाड़ा, श्रीमती राधा देवी घाटियाँ प्रधान डूंगरपुर , श्री लक्ष्मण कोटेड, सरपंच रघुनाथपुरा, श्री सूखलाल अहरि, सरपंच दामड़ी, श्री सूरमालजी, सरपंच वालोता, श्री कांतिलाल रोत, कडाना डूब संघर्ष समिति के श्री रामललजी, आदिवासी विकास मंच, कोटड़ा के श्रीमती नापी बाई, महिला जाग्रती संगठन झाड़ोल से बतकी बाई, अध्यक्ष, भारतीय आदिवासी संगमम, श्री वेलराम गोगरा, सदस्य जिला परिषद, श्री बालकृष्णा परमार, उप ज़िला अध्यक्ष डूंगरपुर, राष्ट्रीय मनवाधिकत एवं महिला बलविकास आयोग, श्री सवजीरामजी ने भाग लिया।

सम्मेलन में विकलांग अधिकार मंच, एकल नारी शक्ति संगठन, गाँव सभा कमेटियों ने अपना अपना स्टॉल लगाया जिसमें चित्र व चार्ट के माध्यम से अपने गतिविधियों के बारे में समझाया । विभिन्न शांति कमेटियों ने अपने-अपने गांवों के नजरिए नक्शे की प्रदर्शनी भी लगाई। एक बूथ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा मातृत्व लाभ के बारे में व  ईपीओ  मनोज पण्ड्या जी ने भामाशाह व अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में व्यापक प्रचार किया।
विभिन्न गांव सभा कमेटियों के सदस्य 23 दिसंबर की शाम को सम्मेलन स्थल पर पहुंच गए। विभिन्न कमेटियों के सदस्यों ने अपने पिछले एक साल की उपलब्धियों व अनुभवों का आदान प्रदान किया।

कोड़ियागुन गाँव सभा के सूरज़मालजी दमोर ने उनके गाँव में विस्थापन के ख़िलाफ़ हुए संघर्ष की कहानी सुनायी । चाक सरक़नकोपचा गाँव सभा के नाथुभाई ने चाक की ज़मीन पर खातेदारी हक़ के लिए गाँव सभा स्तर पर व ज़िला स्तर पर हुयी लड़ाई व मिली उपलब्धियों के बारे में बताया। रामपुर की सविताजी ने अपने गाँव में गाँव सभा के माध्यम से खेत तलावडी बनाने के निर्णय से लेकर काम की निगरानी व मज़दूरों को पूरा भुगतान दिलवाने तक में गांव सभी की भूमिका के बारे में बताया । चाक मांडवा की अमरीजी ने बताया की 3-4 पीड़ियों से खेती कर रहे ज़मीन को अलग अलग बाँट के सरकार किसान परिवारों को खातेदारी हक़ से वंचित कर रही है लेकिन यह अंधी बहरी सरकार उनकी व्यथा नहीं सुनना चाहती है ।

एकल नारी शक्ति संगठन की धुली बाई ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा की समाज में एकल महिलाओं के ख़िलाफ़ भावनए बदलने का आह्वान किया । राजस्थान के 33 जिलों में संगठन में कार्यरत एकल महिला सदस्यों के बारे में जानकारी दी और अपने ख़ुद के संघर्ष की कहानी सुनायी ।

किसान संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष  डॉ सुनीलम ने पेसा क़ानून बनवाने में विशेष भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय श्री  बी.डी. शर्मा जी को याद किया । सुनीलम ने गाँव सभाओं को मार्गदर्शन देते हुए कहा की सशक्त गाँव सभा बनाने के लिए गाँव के हर व्यक्ति को गाँव सभा के प्रति रुचि बनाने की ज़रूरत है । और अपनी आवाज़ व ताक़त पहले पंचायत में दिखाना और यह कोशिश निरंतर करना की सरपंच से लेकर संसद तक सारे जन प्रतिनिधियों की लोगों के प्रति जवाबदेही बने । संघर्ष के साथ निर्माण कार्य को भी जोड़ते हुए आगे बढ़ने का आह्वान किया । सारे अतिथियों ने गाँव सभाओं को मज़बूत करने के लिए सदस्यों का प्रोत्साहन किया ।

24 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे सारे सदस्यों ने बस स्टैंड से बादल महल तक नारों के साथ रैली निकाली । वागड़ मज़दूर संगठन के शांतिलालजी ने वार्षिक रिपोर्ट सदस्यों के सामने रखा । जिसमें नरेगा, सूचना का अधिकार, वन भूमि, चक भूमि के संबंध में संगठन के प्रयासों के बारे में बताया। संगठन के साथ रहके, कई संघर्षों के साथ जुड़के उन प्रयासों में शहीद हुए साथियों को याद किया । संगठन के संरक्षक मानसिंह जी ने सभी अथितियों का स्वागत किया । उन्होंने सबसे पहले सरकार सचिव होना बताया । जब तक सचिव यह नहीं मानते की वह लोगों के लिए काम करते है और उनकी ज़िम्मेदारी लोगों की प्रति है तब तक हमारे गाँव में हमारा राज लाने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ेगा ।

उप ज़िला अध्यक्ष डूंगरपुर, राष्ट्रीय मनवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग, सवजीरामजी ने सभी सहभागियों से प्रतिज्ञा दिलवाई की सब अपने जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा करेंगे, और ख़ुद का बनाए हुए नियमों के तहत उपयोग करेंगे। गाँव सभा का संचालन हम ख़ुद करेंगे । हम आदिवासी, किसान, दलित, महिला, विशेष योग्यजनों की मानवाधिकारों की रक्षा करेंगे और जाति धर्म राजनीति से ऊपर उठ कर काम करेंगे । रिश्वत नही देंगे। नशीले पदार्थों का नियंत्रण करेंगे। हम संघर्ष, रैली, धरना के माध्यम से सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, नेताओं की जवाबदेही सुनिशित करेंगे ।

इस सम्मेलन से गाँव सभाओं ने अपना ताक़त दिखायी व सरकार के सामने ज्ञापन द्वारा अपनी मांग रखी किः

  • भारतीय संविधान की मंशा के अनुसार PESA क़ानून को पूर्ण रूप से लागू करवाके आदिवासियों को मिले संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करवाएं । जल जंगल ज़मीन पर उनके पारम्परिक अधिकारों को बचाएं ।
  • ज़मीन के अधिकार से वंचित चक भूमि पर आश्रित किसान परिवारों को खातेदारी के हक़ दिलवाएं ।
  • वन अधिकार क़ानून के क्रियान्वयन में आयी शिथिलता को दूर करते हुए वंचित परिवारों को निजी व समुदायक वन अधिकार पत्र जारी करवाएं।
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