संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

शांति समानता और जनवाद के नारे पर आधारित होगी समाजवादी एकजुटता : 21-22 अक्टूबर 2016 मुंबई

मुंबई | अक्टूबर 18, 2016 पिछले एक सालभर में देश में तथा महाराष्ट्र में जो घटित है, उससे हमारा देश, समाज  तथा समाजधुरित एवं राज्यकर्ता हमें किस दिशा में ले जाना चाहते हें, यह सवाल हर सामान्य नागरिक के मन में खड़ा हो, तो वह स्वाभाविक है | हमारे संवैधानिक आधार समता, बंधुता और न्याय के हैं, सर्वधर्म समभाव राज्य से अपेक्षित है, जातिवाद ख़त्म करने के उद्देश्य से ही आरक्षण जैसा ‘न्याय के लिए असमानता’ का  सिद्धांत है, यह स्पष्ट होते हुए, ’राज्य’/शासन ही हर नीति, हर निर्णय और भूमिका उसी के आधार पर तय होनी है | लेकिन इसे सोच समझकर बाजू में रखा जा रहा है या राजनेताओं के  वक्तव्यों से जाहिर है, इसे भुलाने के लिए दुसरे ही विरोधी भी वक्तव्यों की बौछार कर रहे है |

उरी में हुए ‘आतंकवादी हमले को आज एक महीना पूरा हुआ है | इस महीने में पकिस्तान की आतंकवादी समर्थक भूमिका पर कडा असंतोष व्यक्त करने, उन्हें चेतावनी देने के भी आगे जाकर, लक्ष्यवेधी हमले या युद्ध ज्वर फैलाने जैसे हर वक्तव्य से हम या यह ‘भारतीय उपखंड’ माने  गए प्रदेश की जनता क्या हासिल करेगी, यह सोचने की बात है ? हमारे प्रधानमंत्री कभी शांति का सन्देश ही क्या नजराना लेकर नवाज़ शरीफ़ के घर जाते हैं, तो कभी उरी में हुए हमले पर काफी समय स्तब्ध रहने के बाद ‘सबक सिखाने की’ या ‘पकिस्तान को आतंकवाद की मातृभूमि’ घोषित करने में लग जाते हैं| उनके  अनुयायी या सहयोगी इसमें नया भारत निर्माण के आसार देखते हैं और भारत में पकिस्तानी कलाकारों की फिल्मों तक बंद करवाने का निर्णय बीच में लाते हैं| ‘सार्क’ के मंच का या BRICS का उपयोग शांति स्थापना के लिए करने के बदले सार्क से दूर रहना और BRICS सम्मलेन में मुख्यत: ‘सुरक्षा व्यापार’, शस्त्र उत्पादन व वितरण कंपनियों तक सीमित रखना क्या राजनैतिक दुरस्ती कही जा सकती है या ‘बाजारी राजनीति’ ?

आज देश में ज़रूरी है शान्ति जो आंतरिक व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो तो ही हम सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक समस्याओं से जूझ सकेंगे, सुलझाव ढूंढ सकेंगे | देश के समविचारी संगठन, शान्तिप्रिय नागरिकों ने, इसी लिए महबूबा मुफ़्ती के ‘युद्ध ही कोई एकमात्र शासन या विकल्प’ ना होने की भूमिका का स्वागत व समर्थन करना चाहिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पाकिस्तान ही नहीं, भारत-नेपाल, भारत-बांग्लादेश,भारत-भूटान के साथ भारत-चीन जैसे जन-जन मंचो के साथ, सहयोग देना चाहिए|

धर्म और धर्मसत्ता को राजनीति के अंतर्गत या राजसत्ता के पास का स्थान अदा करने की कोशिश अर्थात राजनीती में धर्म निरपेक्षता की भूमिका से काफी अलग ही नहीं, उसके विरोधी है| साथ ही जातिवाद जाकर जातिनिर्मूलन की हासिली की ओर बढ़ना बेहद ज़रूरी संवैधानिक दायित्व होते हुए ‘आरक्षण’ का मुद्दा जातिवार शक्ति प्रदर्शन सामने ला रहा है| हर कोई जाति, मराठा ही नहीं ब्राह्मण समाज तक आरक्षण की मांग को लेकर इस तरह आग्रही हैं कि मानो 100 सीटों के लिए 2000 अर्जियां आ रही हैं, और निर्णय के निकषी ही तय नहीं है | मराठा समाज में कृषि प्रधानता और कृषिपद गैरबराबरी का संकट ही नहीं, प्रवृत्तिक मार भी भुगतने वाले परिवार ,शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण के कारण वंचित रहने वाले विद्यार्थी युवा, निश्चित ही असंतुष्ट है |

गुजरात में पटेल आन्दोलन इसी का नतीजा है | मराठा शक्ति कोपर्डी की घटना से स्वाभावित: विचलित होना समझ सकते है लेकिन दलित आदिवासी विरोधी अत्याचार के खिलाफ देश में एक मात्र कानून बदलने की मांग कर रहा है | इन दो मुद्दों में जुड़ने का एह्साह और स्पष्टता भी शायद क्रांतिकारी प्रदर्शनकारियों को भी नहीं है, यह कुछ सर्वेक्षण, कुछ विश्लेषण बताता है | अत्याचार विरोधी कानून के अमल के लिए लड़ने वाले हम सबने एकत्रित आकर, सच्चाई उजागर करना, आरक्षण पर स्पष्ट विचार करना, साथ ही दुनिया के बढ़ते तापमान पर चर्चा से हल निकालना ज़रूरी है जिसके लिए जीवनशैली की बेहस के अलावा रास्ता नहीं है | हमारे खेतिहार, आदिवासी, दलित अपने हाथों से संसाधनों के छीने जाने या श्रम और प्रकृति का सही मूल्य न देने के खिलाफ संघर्षरत है ही |

इन तमाम राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय मुद्दों पर देश भर के जन-संगठन, संस्थाएं, राजनीति  में उतरे कार्यकर्ता मिलकर चर्चा करेंगे और ‘विकल्प एजेंडा’ के साथ कार्यक्रम सुनिश्चित करेंगे, 21-22 अक्टूबर को मुंबई में यह जमावड़ा उनका होगा जो जनतंत्र और समाजवाद दोनों मूल्यों की चौखट में देश की समसयाओं का सुलझाव एवं सही विकास नीति चाहते है, जो समता और शान्ति के बिना संभव नहीं है |

इस सम्मलेन में सहभागियों में प्रमुख नाम है तीस्ता सेताल्वाद, इरफ़ान इंजिनियर, हुसैन दलवाई, सौम्या दुत्ता (उर्जा-जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञ), प्रो. अरुण कुमार (जेएनयु); राजेंद्र रवि , सुनीति सु. र. मुक्त दाभोलकर, पुष्पा भावे, आम. कपिल पाटिल, जम्मू के भूतपूर्व विधायक शैख़ अब्दुल रहमान, नीरज जैन , सुरेख दलवी व डा. सुनीलम, एनी राजा, डा. जी.जी. पारीख अध्यक्षता करेंगे व मेधा पाटकर और मधु मोहिते संयोजक रहेंगे | देश के करीबन 15 राज्यों से प्रतिनिधि 21 अक्टूबर को पूरे दिन  समारोह दामोदर हाल, परेल में व 22 अक्टूबर सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक, शिरोडकर हाई स्कूल परेल में सघन चर्चा के साथ ठोस प्रस्ताव व आगे की दिशा, कार्यक्रम तय होना है | 22 अक्टूबर दोपहर १ बजे से आज़ाद मैदान में विशाल आम सभा होगी जिसमे मुंबई व महाराष्ट्र के श्रमिक, गरीब बास्तियों  के लोग, विस्थापित व समविचारी संघठन, नागरिक सहभागी होंगे |

निवेदक
सदाशिव मकदूम (राष्ट्र सेवा दल ), हरभजन सिंह सिद्दू, शंकर साल्वी, (हिन्द मजदूर सभा ), मेधा पाटकर (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), डा. सुनीलम (पूर्व विधायक, समाजवादी समागम), आम.  कपिल पाटिल (छात्र भारती) , मधु मोहिते (युसूफ मेहर अली केंद्र),
संपर्क सूत्र: 9423965153 | 9425109770 | 9869289457

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