संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

बिहार : 28 दिनों से दैनिक सफाईकर्मी हड़ताल पर; दलित हितेषी मुख्यमंत्री खामोश

बिहार के भागलपुर  के इन सफाई कर्मियों ने खुद को दलितों का हितेषी कहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री से पूछा हैं कि 208 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी जिसमे से कट कर सिर्फ 160 रुपये हाथ में आते है.कौन सा परिवार खुद को पाल सकता है. इसके अलावा सफाई कर्मचारियों ने स्थाईकरण के मुद्दे को भी उठाया. हम यहाँ न्याय मंच के रिंकु की एक संक्षिप्त रिपोर्ट साझा कर रहे है;

बिहार के घोषित स्मार्ट सिटी भागलपुर में 600 दैनिक सफाईकर्मियों ने हड़ताल के 27वें दिन “जेल भरो आंदोलन” के जरिए अपनी लड़ाई को नयी धार दी.भागलपुर स्टेशन चौक पर सैकड़ों की तादाद में सफाईकर्मी दिन के 11बजे तक जुटे और डीएम कार्यालय की तरफ मार्च शुरू किया.शहर के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए डीएम कार्यालय के मुख्य द्वार पर पहुंचकर प्रदर्शन शुरू किया.कार्यालय के मुख्य द्वार को 1घंटे तक जाम रखने के बाद सैकड़ों सफाईकर्मियों की गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तार सफाईकर्मियों को पुलिस लाईन परिसर में रखा गया. शाम को रिहाई हुई.

भागलपुर के दैनिक सफाईकर्मियों को केवल 208रु. प्रति दिन मजदूरी मिलती है.इसमें भी इपीएफ व छुट्टी के दिनों की मजदूरी की लूट हो जाती है.औसतन 160 रू. प्रतिदिन मजदूरों को हासिल होता है.सफाईकर्मी बिहार के महादलित हितैषी होने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री से आज बुलंद नारों के जरिए पूछ रहे थे,”महंगाई की बढ़ती आग में 160रू. में गुजारा कैसे होगा?नीतीश कुमार बता दें! सफाईकर्मियों ने नीतीश कुमार से जवाब तलब किया कि आखिर क्यों,सफाई का ठेका लिए निजी एजेंसियों व नगर निगम प्रशासन को हमें लूटने-दबाने की छूट मिली हुई है?आंदोलनकारी सवाल दाग रहे थे कि गंदगी फैलाना अगर स्थायी काम है तो फिर सफाईकर्मी अस्थायी क्यों ? हड़ताल के शुरूआती दौर में ही नगर निगम प्रशासन व सरकार की पुलिस के गठजोड़ द्वारा सफाईकर्मियों पर दो फर्जी मुकदमे लाद दिए गये हैं.एक सफाईकर्मी को जेल में डाल दिया गया है.आज फर्जी मुकदमों की वापसी व जेल में साथी की रिहाई की मांगों को भी बुलंद किया और नीतीश कुमार के महादलित प्रेम पर सवाल खड़ा किया.

गिरफ्तार सफाईकर्मियों ने पुलिस लाइन परिसर में ही बैठक की और अधिकार व सम्मान के लिए सत्ता के दमन व संवेदनहीन रवैये को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प लिया.लड़ाई जारी रखने का एलान किया.
सफाईकर्मियों के जेल भरो आंदोलन में न्याय मंच के रिंकु,डॉ मुकेश,दलित संघर्ष समन्वय समिति के रामानंद पासवान,प्रगतिशील छात्र संगठन के अंजनीऔर नौजवान संघर्ष सभा के नवीन ,आकिब,अमित,सुधांशु और स्वतंत्रपत्रकार व वामपंथी छात्र आंदोलन से जुड़े रहे आशुतोष, बुद्धिजीवी आदित्य कमल ने सक्रिय हिस्सेदारी की.

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