संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

24 फरवरी को संसद के सामने भूमि अधिग्रहण पर रोक और भू अधिकार की गारंटी की मांग के लिए पहुंचेगे राजस्थान से हजारों किसान

भूमि अधिकार आंदोलन, राजस्थान
 दिनांक : 19. 02 . 2016
भूमि अधिकार आंदोलन, राजस्थान का सम्मेलन संपन्न
24  फरवरी को संसद के सामने भूमि अधिग्रहण पर पूरी तरह रोक लगाने और भू अधिकार की गारंटी की मांग को लेकर राजस्थान से हजार से ज्यादा किसान पहुचेंगे।
सभी का मानना था की वर्त्तमान समय में बोलने की आज़ादी पर जबरदस्त प्रहार किया जा रहा है ,  जेएनयू पर हमला इस इसकी  मिसाल है।  

19 फ़रवरी को  जयपुर में 70 से भी अधिक कार्यकर्त्ता राज्यभर से इकट्ठे हुए। देल्ही से आये कॉमरेड बीजू कृष्णन (अखिल भारतीय किसान सभा, सयुक्त सचिव) का कहना था की सरकार ने जन दबाव के कारन भूमिअधिग्रहण अध्यादेश वापस लिया लेकिन सभी राज्यों को छूठ दे दी है गई की वे अपने भूमिअधिग्रहण का कानून बना सकते है और राजस्थान में तो भूमि अधिग्रहण का मसला विधान सभा संसदीय समिति के पास है  और अगर यंहा जन आंदोलन नहीं हुआ तो सरकार किसी भी समय पारित कर लेगी। उनका यह भी कहना था की मोदी सरकार हर कीमत पर कॉर्पोरेट अजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी  है । इसके लिए बैंकिंग व् बीमा क्षेत्र, श्रम कानून में नकारत्मक बदलाव किये जा रहे है । पर्यावरण संबधित कानून में बेहताशा बदलाव, औद्योगिक नीति में बदलाव किये जा रहे है जिससे जल, जंगल, जमीन को कॉरपेट के हवाले कर देना चाहते है। उन्होंने आव्हान किया की हमें किसान पक्षधर नीतियों की मांग और भी जोरदार ढंग से करनी होगी इसलिए 24 फरवरी को देल्ही में महारैली आयोजित की है।

बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के राजस्थान सचिव का कहना था की वसुंधरा सरकार की सिर्फ एक नीति है की कैसे किसानो की जमीन लेकर डीएमआईसी, एक्सप्रेसवे इत्यादि बनाई जा रही है । यंहा तक की 2014 में सरकार ने कोशिश की कि एक भी किसान की आत्महत्या न दर्शाई जाये, जबकि 2014 अनेको  कारणों से आत्महत्या की थी । कैलाश मीणा, मेहवा भराला अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति के लोगो ने राजस्थान में जमीनी संघर्ष में लोकतान्त्रिक अधिकार खो दिये है  और नीम का थाना क्षेत्र में गैर कानूनी ढंग से खनन किया जा रहा है, जिससे देल्ही व् गुड़गांव में बड़े बड़े भवन बन रहे है और अरावली पहाड़ एकदम ख़त्म हो रहा है । उन्होंने कहा की नीम का थाना की लड़ाई प्रदेश की अरावली पहाड़ बचाने की लड़ाई है ।

इसी तरह राजस्थान के नवलगढ़ भूमि अधिग्रहण विरोधी समिति के प्रतिनिधि दीप सिंह दलित अधिकार नेटवर्क के तुलसीदास, अलवर के जाजोर पहाड़ी का डीआरडीओ कब्ज़ा, किशनगढ़ एयरपोर्ट अधिग्रहण विरोधी समिति इत्यादि से आये लोगो ने अपने संघर्षों की मांग रखी और कहा की वे जमीन लेने नहीं देंगे जितना भी आम आधा सरकार हो । दलित आदिवासी व् घुमन्तु प्रतिनिधियों ने जमीन के बटवारे की बात की और कहा की आज भी घुमन्तु समाज के लोगो के पास समसान की भी भूमि नहीं है । देल्ही से आये शबाना व् रावत ने देशभर में जमीन के संघर्षो की बात की खाशतोर पर डीएमआईसी जो किसानो को बर्बाद   करेगा व् कॉर्पोरेट खेती की और हमें धकेला जा रहा है । इसी तरह निर्माण मजदूर संगठन से  हरकेश बुगालिया का कहना था की स्मार्ट सिटी तो गरीबो की मलिन बस्ती को सफाया करने की योजना है । यह भी बताया गया की 100 दिन की जवाबदेही यात्रा के दौरान हर गाव और ज़िले में ज़मींन के मुद्दे अहम रहे, या तो अदिग्रहण, या अतिक्रमण व सामुदायिक ज़मीनो पर हक़ के मुद्दे पर संघर्ष की जा रहा था। इन मुद्दों पर विषलेष्णात्मक दृष्टि अगर डाली जाये तो स्पष्ट है की दबंगो के साथ सरकार है। गरीव त्रस्त है। सुचना व रोज़गार अभियान के मुकेश का कहना था की 8, 9, 10 मार्च को जवाबदेही यात्रा के समापन के दरमयान जयपुर में 8 को महिला दिवस को यात्रा में उठे महिला मुद्दों पर जनसुनवाई, 9 को सरकार के साथ संवाद और 10 को विधान सभा तक रैली व सभा।

यह तय हुआ की हर जिले में भूमि अधिकारों पर सम्मलेन होगा और विशेष रूप से खनन,डीएमआईसी,स्मार्ट सिटी, वन अधिकार व् दलितों और महिलाओ का भूमि अधिकार पर विशेष कार्यशालाएं की जाएँगी ।

अंत में यह प्रस्ताव लिया गया की जेएनयू में  बोलने की आज़ादी व् विविद मत रखने के अधिकार  पर मीडिया व पुलिस व प्रशासन का प्रहार एक तरीके से फासीवाद की आहट है और मोदी सरकार की विफलता पर ध्यान भटकाने के लिए रचा गया। राष्ट्रीयता पर हिंसात्मक व् उग्र रुख अपनाया जा रहा है । जेएनएसयू के अध्यक्ष कन्हैया की रिहाई की मांग रखी गई और उमर खालिद पर किये जा रहे बेवजह हमले की निंदा की गई ।

हम सब: प्रेमकृष्ण शर्मा, कविता श्रीवास्तव (पी.यू .सी.एल. राजस्थान), सांवल राम यादव, कैलाश मीणा (एन.ए.पी.एम.), जयराम (भौमिया समिति डाबला), राधेश्याम यादव (जीवन बचाओं आंदोलन), प्रताप सिंह राठौड़ (एयरपोर्ट संघर्ष समिति किशनगढ़), नितेन्द्र मानव (जीवन बचाओं संघर्ष समिति), मानसिंह, मधु (बागड मजदूर किसान संगठन, डूंगरपुर), भंवर सिंह (जंगल जमीन जन आंदोलन), किशन मेघवाल, रमेश बैरवा (दलित शोषण मुक्त मंच, राजस्थान), अमराराम, दुली चन्द्र, डॉ. संजय माधव (अखिल भारतीय किसान), तारा सिंह (राजस्थान किसान सभा), निशा सिद्धु (एन.एफ.आई.डब्ल्यू), निखिल डे एवं शंकर सिंह (मजदूर किसान शक्ति संगठन), सवाई सिंह (राजस्थान समग्र सेवा संघ), विरेेन्द्र विद्रोही (इंसाफ), हरकेश बुगालिया (निर्माण मजदूर यूनियन), डी.एल. त्रिपाठी, अनन्त भटनागर (पी.यू.सी.एल. अजमेर), कैप्टन दीप सिंह (नवलगढ़ भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति, कपिल सांखला, ममता जैटली, विजयलक्ष्मी जोशी (पी.यू.सी.एल.जयपुुर), जवाहर डांगुर (प्रयास),  भंवर मेघवंशी (दलित आदिवसी घूमंतु अधिकार मंच)।

कविता श्रीवास्तव                       डॉ. संजय माधव

(9351562965)                         (9414073669)

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