संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

अघोषित आपातकाल : हीरो होण्डा से लेकर जेएनयू तक हर जगह व्याप्त राजकीय दमन

राजस्थान के अलवर जिले के टपूकड़ा कस्बा स्थित होंडा मोटरसाइकिल एण्ड स्कूटर इण्डिया में 16 फ़रवरी 2016 को कर्मचारियों ने यूनियन की मांग लेकर कम्पनी में टूल डाऊन हड़ताल कर दी। इस दौरान कम्पनी में काम करने वाले करीब दो हजार श्रमिक हड़ताल पर चले गए। श्रमिकों का आरोप है कि कम्पनी हमारी यूनियन का रजिस्ट्रेशन नहीं होने देना चाहती है। श्रमिकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। ठेकेदारी प्रथा चला रखी है मजदूरों के हितों का शोषण किया जा रहा है, जिसके चलते यूनियन का रजिस्ट्रेशन श्रमिकों ने श्रम विभाग में कराया गया जिसका कम्पनी ने रजिस्ट्रेशन पर स्टे लगवा दिया। जिससे मजदूर परेशान है।

जहां एक जगह विश्वविद्यालयों में छात्रों के उपर दमन चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा शासित हरियाणा तथा राजस्थान की सरकारें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में युवा मजदूरों के शांतिपूर्ण विरोध का भी दमन कर रही हैं। ऐसे में आज जरूरत है कि मोदी राज, जिसका फासीवादी चरित्र अब खुल कर हमारे सामने आ चुका है, के विरुद्ध प्रतिरोध बुलंद किया जाए। आज जब राज्य ने छात्रों और मजदूरों का एक साथ दमन शुरु कर दिया है तो जरूरत है कि छात्र और मजदूर एकताबद्ध होकर हर तरीके से इस दमन का विरोध करें। हम यहां पर राजस्थान तथा हरियाणा सरकारों द्वारा फैक्ट्री मालिकों के साथ मिलकर पिछले दिनों में मजदूरों पर किए गए निर्मम अत्याचार का युवा कार्यकर्ता नयन ज्योति द्वारा लिखा गया ब्यौरा पेश कर रहे हैं।

हमें उम्मीद है कि इस ब्यौरे से भारत में चल रही परिस्थितियों की सही समझ बन सकेगी। मोदी सरकार एक भीषण संकट से गुजर रही है और इससे निकलने का भाजपा सरकार (केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें) सिर्फ एक रास्ता जानती है और वह है हिंसा। नरेंद्र मोदी इंदिरा गांधी के सबसे होनहार शिष्य साबित हो रहे हैं। वह 1975 में लागू आपातकाल के दौरान इस्तेमाल होने वाले राष्ट्र-द्रोह जैसे तमगे इस्तेमाल कर उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। हालांकि अभी चीजें अलग हैं किंतु बहुत कुछ एक जैसा भी हैअघोषित और घोषित आपातकाल में नाम मात्र का ही फर्क है। अब समय आ गया है कि हम इस औपचारिकता के परदे के पीछें की चीजों को देखें.

(साभार ; काफ़िला)

इसको भी देख सकते है