संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

‘गंगा एक्सप्रैस वे’ एवं ‘भूमि अधिग्रहण’ के खिलाफ 30 अक्टूबर से 16 नवम्बर तक ‘किसान जन जागरण यात्रा’ सम्पन्न पूरा गंगा का मैदान ‘‘जान देंगे, ज़मीन नहीं देंगे’’ के नारे के समर्थन में

उ. प्र. के किसानों ने अपनी जीविका, कृषि, भूमि की रक्षा के लिए जारी अपने संघर्ष को तेज करते हुए ‘गंगा एक्सप्रेस वे’ परियोजना के खिलाफ राज्यव्यापी यात्रा का आयोजन किया। यह यात्रा 30 अक्टूबर को बलिया के नरही गांव से शुरू हुई और गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, फर्रूखाबाद, शाहजहांपुर, काशीराम नगर, बदायूं, अलीगढ़, बुलंद शहर और गौतम बुद्ध नगर होती हुई ग्रेटर नोएडा के ऐतिहासिक शाहबेरी गांव में 16 नवम्बर को समाप्त हुई। 

 
किसान जनजागरण यात्रा का यदि कोई एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है तो वह यह कि इस 1047 किमी. लंबे गंगा के मैदान में प्रत्येक गांव और कस्बा, जो गंगा एक्सप्रैस वे के निर्माण से प्रभावित होगा, चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि ‘‘हम जान देंगे पर ज़मीन नहीं देंगे’’। किसान समझ रहा है कि उसकी कीमत पर देशी-विदेशी कम्पनियों को मालामाल करने के लिये यह एक्सप्रैस वे बनाया जा रहा है। उसे अहसास हो चुका है कि एक्सप्रैस वे बनने के बाद उसके हाथ में मुआवजे का कुछ रुपया आने के अलावा कुछ भी नहीं रहेगा। पुश्तों से चली आ रही उपजाऊ खेती, छोटा-मोटा कारोबार और आजीविका का ठौर ठिकाना उसके हाथ से निकल जायेगा और वह विस्थापित होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मोहताज़ हो जायेगा। किसानों के बीच यह अवधारणा मजबूत होती जा रही है कि ज्यादा मुआवजे की मांग करने वाले संगठन या आंदोलन, अधिकांश राजनीतिक पार्टियां, दलालों       ठेकेदारों और भूमाफियाओं द्वारा खड़े किये जा रहे हैं। आम किसान और खेत मजदूर का उनसे कोई लेना देना नहीं है। 
बलिया से नोयडा तक के किसानों ने जन जागरण यात्रा के प्रतिनिधियों को जानकारी दी कि उन्होंने  एक्सप्रेस वे के लिये होने वाले सर्वे को आंदोलन करके रोक दिया है, निषान के लिये लगाये गये पत्थरों/खम्बों को उखाड़ फेंका है और सरकारी कर्मचारियों को भगा दिया है और वे आंदोलन के अगले कदम के लिए तैयार हैं।
जन जागरण यात्रा में शामिल किसान संगठनों के नेताओं और साामजिक कार्यकर्ताओं ने गांवों गांवों में  बैठकें करके लोगों को लामबन्द किया और सक्रिय किसान नेताओं को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की। प्रत्येक जिले में प्रेस वार्तायें करके मीडिया के माध्यम से गंगा एक्सप्रैस वे और भूमि अधिग्रहण के पीछे की साजिशों का पर्दाफाश किया गया। 
जन संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय सह-संयोजक रामाश्रय यादव एवं कृषि भूमि बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष राघवेन्द्र कुमार का कहना है कि ‘‘बलिया से नोयडा तक 1047 किमी. लंबा, 300 मीटर चौड़ा और 8 मीटर ऊँचा यह एक्सप्रैस वे पूरे उत्तर प्रदेश के बीचोंबीच बांध जैसा बनकर पूरे प्रदेश को दो भागों में बांट देगा। इस एक्सप्रैस वे के बनने के बाद गंगा का उपजाऊ मैदान और यहां के बाजारों तक देशी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सीधी पहुंच हो जायेगी। यह एक्सप्रैस वे पीपीपी माडल पर तैयार हो रहा है, जहां किसान के टैªक्टर, बैलगाड़ी, साइकिल नहीं चलेगी बल्कि पैसे वालों की फर्राटा कारें और कंपनियों के भारी भरकम मालवाहक ट्रकें तेज रफ्तार से चला करेंगी। इसे बनाने वाली कंपनी (जे.पी. समूह) 35 वर्षों तक टोल टैक्स वसूलेगी। एक्सपै्रस वे के किनारे शापिंग माल्स, सुपर मार्केट, मनोरंजन पार्क, रिहाइशी कालोनियों, औद्योगिक क्षेत्र बनाकर कारपोरेट खेती एवं कान्ट्रेक्ट खेती के लिये किसानों की जमीन लेकर कंपनियां मुनाफा कमाने के नये-नये रास्ते निकालेंगी। किसान मालिक न रहकर कंपनियों की  मजदूरी- नौकरी करेगा। इस बांध से गंगा के दोनों तरफ बाढ़ का प्रकोप बढ़ेगा, जल जमाव से दिमागी बुखार जैसी महामारियां फैलेंगी और गंगा और ज्यादा प्रदूषित होगी।’’
किसान जन जागरण यात्रा के दौरान हजारों किसानों से सम्पर्क हुआ। इनके नाम, पते, फोन नंबर लिये गये और उन्हें इस लंबे संघर्ष में एकजुट होकर तैयार रहने का आवाहन किया गया। किसान तैयार दिखे बशर्ते कोई ईमानदार नेतृत्व उन्हें मिले। इस किसान यात्रा में कई संगठनों ने तथा स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मदद की एवं सभाओं का आयोजन किया।
नरही में गोपाल राय, एडवोकेट रणजीत सिंह, गाजीपुर में कृषि भूमि बचाओ मोर्चा के शिवाजी सिंह, जयशंकर सिंह, वाराणसी में आजादी बचाओ आंदोलन के डा. वशिष्ठ सिंह, कैथी में वल्लभाचार्य पाण्डे समाजवादी जन परिषद के डा. जे.पी. सिंह, नागेपुर से एन.ए.पी.एम. के नन्दलाल मास्टर और उनके सहयोगी, मिर्जापुर में अरुण मिश्र, टिलथी में जयशंकर दूबे प्रधान जी, भदोही में एडवोकेट राजू श्रीवास्तव और डेरबा में सुशीला, रामप्यारे मिश्र प्रधान जी, इलाहाबाद में ढोकरी में कछार किसान संघ के बाबा रामाधार यादव, इलाहाबाद में डा. श्रीराम यादव, रामाधार पटेल, श्रृंगवेरपुर में बालकृष्ण पाण्डे, प्रतापगढ़ मे प्रकाश सिंह, रायबरेली में रविन्द्र भाई, उन्नाव में डा. पी.एन. श्रीवास्तव एवं अशोक टियार, हरदोई में देवेश पटेल, राधेश्याम कपूर, फर्रूखाबाद में एडवोकेट लक्ष्मण सिंह और रामवीर शास्त्री, बदायूं में भगवान सिंह अलीगढ़ में सुबोधनन्दन शर्मा, रामकुमार जी और जिरौली में बहादुर सिंह, बुलंदशहर में भारत भूषण त्यागी, प्रवीण त्यागी, गौतम बुद्ध नगर में चन्द्रपाल सिंह, ग्रेटर नोयडा के शाहबेरी में चेयरमैन साजिद हुसैन, राजपाल आर्य जी, रामवीर सिंह प्रधान जी, अशोक त्यागी ने अपने-अपने स्थानों पर सम्पर्क एवं  सभी ने प्रेस कांफ्रेंस करवाईं और यात्रियों के रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की। यात्रा के खर्च में भी सहयोग दिया। इसके अलावा तमाम वे साथी जो जगह-जगह मिले और साथ-साथ घूमकर गांवों में सम्पर्क करवाया उनके नाम भले ही न दिये गये हों पर उन्होंने यात्रा के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में इन सभी का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
किसान जन जागरण यात्रा का आखिरी पड़ाव ग्रेटर नोयडा का शाहबेरी गांव था। शाहबेरी के किसानों का अपनी जमीनों को बचाने का संघर्ष ऐतिहासिक है। 16 नवम्बर को शाहबेरी के राजपाल आर्य जी के अहाते में हुई बैठक में शाहबेरी के तथा आसपास के 3-4 गांवों के प्रमुख किसान नेता जुटे। यहां हुई बैठक में बातचीत के बाद महत्वपूर्ण निर्णय हुए-
  • भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रदेश में आंदोलन चलाने के लिये एक तदर्थ संघर्ष समिति का गठन हुआ। इस समिति में बलिया से राघवेन्द्र कुमार, डा.जे.पी. सिंह, गाजीपुर से अमरनाथ यादव, रामाश्रय यादव, वाराणसी से नन्दलाल मास्टर, मिर्जापुर से राजेन्द्र मिश्रा, भदोही से सुशीला और रामप्यारे मिश्र, इलाहाबाद से डा. श्री राम यादव रिटायर्ड आई.ए.एस., प्रतापगढ़ से अरूण सिंह, रायबरेली से रवीन्द्र भाई, उन्नाव से अशोक कटियार, हरदोई से देवेश पटेल, फर्रूखाबाद और शाहजहांपुर से एडवोकेट लक्ष्मण सिंह और रामवीर शास्त्री, बदायूं से श्री भगवान सिंह, अलीगढ़ से सुबोध नन्दन शर्मा और बहादुर सिंह, बुलंदशहर से भारत भूषण त्यागी और प्रवीण त्यागी, ग्रेटर नोएडा से चेयरमैन साजिद हुसैन, रणवीर सिंह, शराफत अली, अशोक त्यागी, देवेन्द्र सिंह। कुल 25 व्यक्तियों की एक समिति बनी।
  • इस समिति की पहली बैठक 20 दिसम्बर 2011 को स्वराज विद्यापीठ इलाहाबाद में होना तय पाया गया।
  • इस आंदोलन का प्रादेशिक कार्यालय इलाहाबाद में रखने का विचार बन रहा है।
किसान जन जागरण यात्रा का आयोजन कृषि, भूमि बचाओ मोर्चा, विंध्य एनवायरनमेंटल सोसायटी, किसान संघर्ष समिति, किसान मंच, समाजवादी जन परिषद, लोक समिति, भूमि प्रतिरोध संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मण्डल, आजादी बचाओ आंदोलन, कछार किसान संघ आदि संगठनों ने किया। यात्रा में कृषि-भूमि बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष राघवेन्द्र कुमार, उपाध्यक्ष अमरनाथ यादव, महामंत्री रामाश्रय यादव, समाजवादी जन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डा.जे.पी. सिंह विंध्य एनवायरनमेंटल सोसायटी के राजेन्द्र मिश्र, आजादी   बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयेाजक प्रो. बनवारी लाल शर्मा, उ. प्र. संयोजक मनोज त्यागी लगातार शामिल रहे। -रामाश्रय यादव
इसको भी देख सकते है