संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड स्थानीय नीति के विरोध में उलगुलान जनसभा

आदिवासी समन्वय समिति एवं आदिवासी-मूलवासी संधर्ष समिति सिमडेगा (झारखण्ड) के तत्वावधान में दिनाक 21-6-2016 को महासंधर्ष उलगुलान जनसभा किया गया । जिसमें झारखण्ड सरकार द्वारा बनाया गया आदिवासी-मूलवासी विरोधी स्थानीयता नीति को वापस करने, जनजातीय सलाहकार परिषद का गैर आदिवासी अध्यक्ष को तत्काल पदच्युत करने, छोटानागपुर-संथालपरगना कस्तकारी अधिनियम तथा वनाधिकार अधिनियम-2006 को सक्ती से लागू करने, आदिवासीयों-मूलवासीयों को विकास के नाम पर विस्थापन बन्द करने तथा पाचवी अनुसूची के सवैधानिक प्रवधानों को अनुसूचित क्षेत्रों अक्षरश: लागू करने सबंधी विषय पर विचार किया गया ।


सिमडेगा में हुए मीटिंग में बुद्धिजीवी वर्ग और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोग जल,जंगल,जमीन और वर्तमान में लागू स्थानीय नीति के विरोध में एक मंच पर आये तो जरूर । पर स्थानीय नीति पर अलग अलग दलों के के विभिन्न विचार भी अवश्य होंगे।आने वाले चुनाव में सारे लोग अलग अलग सुर आलापने लगेंगे और कोई तीसरा बाज़ी मार ले जायेगा । शुरू से ऐसा ही होता आ रहा है और आदिवासी मूलवासी ठगे से खड़े रह जायेंगे।जब तक एका नही होगा तब तक कुछ भी हासिल नही होगा।इस तरह के मंच पर इकट्ठा होकर कोई फायदा नही।

विचारोपरान्त इनसे संबंधित ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति को सोंपने का निर्णय लिया गया । सभा को डी०एन०चाम्पिया पूर्व उपाध्यक्ष विहार विधान सभा,बेंनजामिन लकडा पूर्व आयकर आयुक्त,विघायक जार्ज तिर्की,सुशील बारला संयोजक आ०स०स०,स्टेन स्वामी-मनवाधिकार कार्यकर्ता,ग्लेडसन डुँगडुँग मनवाधिकार कार्यकर्ता,पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा,नियल तिर्की,बसन्त लोंगा, मान्यवर विसेंन्ट बारवा, प्रभाकर तिर्की-झारखण्ड आऩ्दोलनकारी के अलावे पंचायत प्रतिनिधि,झारखण्ड आन्दोलनकारी एवं समाजसेवीयों ने भी सम्बोधित किया। सभा के बीच-बीच में हमारे गाँव में -हमारा राज,जल-जंगल-जमीन-हमारा है,आदिवासी-मूलवासी एकता जिन्दाबाद के गंगनचुम्बी नारे लग रहे थे। सभा का संचालन एवं धन्यावाद ज्ञापन जास्टीन बेक ने किया ।

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