हरियाणा : खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दशकों से बंद पर्यावरण संवेदी अरावली में खनन शुरु करने की मांगी इजाजत
-विवेक मिश्रा
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान बढ़ी बेरोजगारी को दूर करने के लिए संवेदी अरावली में खनन की इजाजत चाहता है।
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पर्यावरण संवेदी अरावली में खनन करने के लिए इजाजत की मांग की है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि नोवेल कोरोनावायरस के कारण हुई महामारी ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा की है ऐसे में यदि कानून मुताबिक खनन गतिविधि को इजाजत दी जा सकती है तो इस क्षेत्र मे रोजगार सृजित किए जा सकते हैं और यह गरीबों में भी गरीब को मदद करेगा। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च, 2021 को विचार करेगा।
सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली भू-गर्भ जल के रीचार्ज, जैव विविधता और अन्य पर्यावरणीय दृष्टि से संरक्षण के लिए काफी अहम है। लिहाजा पर्यावरणविद और अन्य कार्यकर्ता अरावली में खनन के विरुद्ध आवाज उठाते रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में वकालतनामा हरियाणा के खनन एवं भूगर्भ विभाग के सहायक निदेशक अमिताभ सिंह ढिल्लो की ओर से दाखिल किया गया है। याचिका में कहा गया है कि फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात (अब नूह) जिले की अरावली पहाड़ियों में खनन का मामला लंबित है। इसमें एमसी मेहता बनाम भारत सरकार, टीएन गोदावर्मन थिरमुदपाम बनाम भारत सरकार और अन्य का मामला शामिल है, जिसे संयुक्त तौर पर “हरियाणा खनन मामले” के तौर पर जाना जाता है।
याचिका के मुताबिक फरीदाबाद में मई 2002, गुरुग्राम में दिसंबर 2002 और नूह में मई 2009 से अरावली पहाड़ी में खनन गतिविधि पर सुप्रीम कोर्ट की रोक जारी है। सुप्रीम कोर्ट में 19 अगस्त, 2011 से इन मामलों पर सुनवाई नहीं हो सकी।
हरियाणा सरकार का कहना है कि अरावली का विस्तार राजस्थान से लेकर हरियाणा तक है। राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले में खनन जारी है लेकिन हरियाणा के हिस्से में 2002 से ही रोक लगना शुरु हो गई जो अब तक जारी है। इसकी वजह से राज्य अपने प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। राज्य ने दलील दी है कि प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल न कर सकने के कारण न सिर्फ उनकी इंफ्रा परियोजनाओं में देरी हो रही है और नजदीकी राज्यों से संसाधनों के मंगाने पर उनका ज्यादा दाम लोगों और सरकार को चुकाना पड़ रहा है।
वहीं, सरकार ने याचिका में विश्वास दिलाया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिन इलाकों का रिहबैलिटेशन और रेस्टोरेशन होना था उस पर भी निर्णय नहीं हो पाया है। सरकार कोर्ट के आदेश के अनुरूप इन इलाकों में खनन नहीं करेगी। खनन से ही उसके राज्य की अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट का याचिका पर विचार किया जाना बाकी है।
साभार : डाउन टू अर्थ