संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पोस्को कम्पनी के खिलाफ तीखा हुआ संघर्ष

उड़ीसा की नयी पर्यावरण नीति: पेड़ की रक्षा करोगे तो जेल जाओगे!
प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून : भूमि अधिग्रहण के विरोधी दण्डित किये जायेंगे!
 
पोस्को स्टील प्लांट तथा जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गोविंदपुर तथा नुआगाँव के सैकड़ो निवासी रोजाना धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच सरकार ने नुआगाँव में पेड़ काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार का 6 लाख पेड़ काटने का लक्ष्य है जिसमें लगभग तीन लाख पेड़ काजू तथा अन्य अत्यधिक उपयोगी प्रजातियों के हैं।

 

22 अगस्त 2011 को पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के नेता अभिना राऊत तथा एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के स्टेट कमेटी के सदस्य सदाशिवा दास पर झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें कुजंग जेल भेज दिया गया। इनका अपराध यह है कि इन्होंने पेड़ काटने के विरोध की अगुवाई की।
26 अगस्त 2011 को पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति द्वारा धरना स्थल पर भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापन तथा पुनर्वास कानून 2011 के मसौदे पर कन्वेंशन आयोजित किया गया। इस कन्वेंशन में विस्थापन के खिलाफ संघर्ष कर रहे अलग-अलग संगठनों तथा उड़ीसा के नागरिक समाज के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस कन्वेंशन में सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सामंतरा, समाजवादी जन परिषद से लिंगराज, गंधमारदन सुरक्षा समिति से प्रदीप पुरोहित तथा भूतपूर्व विधायक बिजय नायक ने हिस्सा लिया तथा सभी ने पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के संघर्ष में अपनी एकजुटता व्यक्त की।
सभी नेताओं ने जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ साझा संघर्ष चलाने की जरूरत पर बल दिया। कन्वेंशन में भूमि अधिग्रहण के विरोध में सितम्बर माह में अलग-अलग जगहों में पदयात्रा निकालने तथा एक बड़ी रैली का निर्णय लिया गया।
कन्वेंशन में मांग की गईः-
1. भूमि अधिग्रहण एक्ट 1894 को तत्काल रद्द किया जाये।
2. प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून में कृषि भूमि तथा वन भूमि अधिग्रहित करने पर रोक लगाने के प्रावधान हों।
3. जो कृषि भूमि विभिन्न उद्योगों के लिए अधिग्रहित की जा चुकी है तथा अभी भी जिसका इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है उसे जमीन के असली मालिकों को वापिस दे दिया जाये।
4. विभिन्न संयंत्रों, परियोजनाओं द्वारा जबरन हथियाई गई जमीन को असली मालिकों को लौटा दिया जाये।
5. उपजाऊ कृषि भूमि तथा ऐसी अन्य भूमि जो लोगों को आजीविका मुहैया कराती हो; पर किसी तरह का औद्योगिक ढांचा न खड़ा किया जाये।
6. सरकारी या निजी परियोजनाओं द्वारा लोगों को विस्थापित करने से पहले स्थानीय जनता को विश्वास में लिया जाये तथा उनकी सहमति ली जाये।
जिस वक्त इस संघर्ष को कुचलने के लिए सरकारें पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुकी हैं उसी वक्त पर्यावरण की रक्षा, पानी के संकट, ग़रीबी उन्मूलन, जी.डी.पी. में कृषि के योगदान को बढ़ाने, भ्रष्टाचार दूर करने आदि मसलों पर संसद में आंसू बहाये जा रहे हैं।
वास्तव में पोस्को कम्पनी की परियोजना की स्थापना के लिए कटिबद्ध सरकारें किसी भी स्तर पर तथा किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने में जरा सी भी कोताही के लिए तैयार नजर नहीं आतीं।
पी.एम.ओ., पर्यावरण मंत्रालय, सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे खटखटाने के बाद आशानुकूल सफलता अर्जित करते हुए ओडिशा के विकास पुरुष नवीन पटनायक सशस्त्र बलों के कंधे पर चढ़कर लम्बी छलांग लगाने के लिए एकदम से उतावले हैं और इसके लिए वे अपने राज्य नागरिकों के हित को  खूंटी पर टाँग चुके हैं।
इसको भी देख सकते है