संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

MP: किसान संघर्ष समिति का 27 वां सम्मेलन समाप्त, आराधना भार्गव बनीं पहली महिला अध्यक्ष

मुलताई सम्मेलन में किसान संघर्ष समिति की जो नई कार्यकारिणी गठित की गई है उसमें किसान संघर्ष समिति मध्य प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में छिंदवाड़ा की महिला नेत्री आराधना भार्गव को अध्यक्ष चुना गया है।
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उड़ीसा : गायब होता गंधमार्दन पर्वत

ओडिशा के गंधमार्दन पर्वत पर एक बार फिर उत्खनन का हमला होने वाला है और इस बार यह निजी क्षेत्र की अडाणी कंपनी करने…

‘विश्व आदिवासी दिवस’ 9 अगस्त : आदिवासियों का अपना दिन

. Acquistare cialisआदिवासी इतिहास में नौ अगस्त ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के रूप में दर्ज तो है, लेकिन क्या उन्हें इसे…

आपदा की अनदेखी के नतीजे

दिल्ली में नकली केदारनाथ धाम खड़ा करने के मंसूबे बांधने वाले हमारे समाज को ग्यारह साल पहले उत्तराखंड के असली केदारनाथ धाम में हुई भीषण त्रासदी कितनी याद है? क्या तीर्थाटन को मौज-मस्ती के पर्यटन में तब्दील करते लाखों-लाख कथित तीर्थ-यात्रियों ने केदार घाटी की विपदा से कुछ सीखा है? आज एक दशक से ज्यादा गुजर जाने के बाद वहां की क्या हालत है? बता रहे…
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हिमाचल प्रदेश : वन अधिकारों से वंचित किन्नौर के ग्रामीण

वन अधिकार अधिनियम को लागू हुए दो दशक होने जा रहे है लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में अभी तक 344 व्यक्तिगत…

बंदरगाह के विरोध में तमिल किसान

राजनीतिक रूप से भले ही सत्ताधारी दल अलग-अलग दिखाई देते हों, लेकिन विकास के मामले में सभी में गजब की एकरूपता है। तमिलनाडु को ही लें तो वहां उत्तर भारत की भाजपा-कांग्रेस जैसी पार्टियों से सर्वथा भिन्न ‘द्रविड मुनेत्र कषगम’ (डीएमके) सत्ता पर विराजमान है, लेकिन वहां भी ‘अदानी पोर्ट्स’ सरीखी कंपनियों की अगुआई में ‘विकास’ के नाम पर ‘विनाश’ किया जा रहा…
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छत्तीसगढ़ : फर्जी मुठभेड़, हत्या, गिरफ्तारी और दमन के खिलाफ नई सरकार के समक्ष…

रायपुर। 29-30 नवंबर 2023 को कांकेर में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई। बैठक में छत्तीसगढ़ बचाओ…

उत्तराखण्ड : सुरंग में मजदूरों का फंसना कोई अकेली त्रासदी नहीं है

अभी 28 नवंबर को करीब 17 दिन से बारामासी सड़क की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों का सुरक्षित बाहर निकलना कोई…

तबाह होता हिमाचल प्रदेश

मणिपुर की हिंसा की तरह पिछले पांच-छह महीनों से जारी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तबाही रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ध्यान से देखें तो ये दोनों संकट मानव-निर्मित विकास के नतीजे दिखाई देते हैं। क्या हम कभी इन त्रासदियों से कोई सबक ले सकेंगे? प्रस्तुत है, इसी की पड़ताल करता कुलभूषण उपमन्यु का यह लेख; हिमाचल प्रदेश में बाढ़-भूस्खलन का सिलसिला थमने…
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