संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

डॉ सुनीलम की रिहाई के लिए भोपाल में दस्तक: किसान-मजदूर-आदिवासियों ने किया प्रदर्शन

कंपनियों की जागारी नहीं, मध्यप्रदेश हमारा है! 
लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी!!

इस उद्घोष के साथ मध्यप्रदेश के कोने-कोन से आए किसानो, मजदूरों आदिवासियों, दलितो, स़्त्री-पुरूषों ने मध्य प्रदेश  सरकार को चेतावनी दी कि वह कंपनियों की दलाली करना और प्रदेश की जनता पर जुल्म ढाना बंद करें। जन संघर्ष मोर्चा, मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित इस चेतावनी रैली में हजारों की संख्या में आम जनता 23 नवम्बर को यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क में इकट्ठे हुए और एक रैली की शक्ल में लिली टाकीज चौराहे तक गये। रैली मे आगे-आगे जंजीरों में अपने को बांधे हुए आदिवासी महिलाऐं एवं किसान चल रहे थे। उन्होंने इसके द्वारा दर्शाया कि प्रदेश की गरीब जनता के साथ कैसा सुलूक सरकार द्वारा किया जा रहा है।

लिली टाकीज चौराहे पर आम सभा को संबोधित करते हुए, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सुनील ने प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही इन्वेस्टर्स मीट का विरोध करते हुए कहा कि प्रदेश के संसाधनों को लूटने व लुटाने को विकास कहना एक धोखा है। कंपनियों की दलाली के तहत जल-जंगल-जमीन से जुडे़ किसानों-मजदूरों-आदिवसियों को बेदखल किया जा रहा है और उन पर अत्याचार किये जा रहे हैं।
 नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेता श्री आलोक अग्रवाल ने मुलतई कांड में हुए घोर अन्याय का विरोध करते हुए कहा कि यदि एक फायर ब्रिगेड कर्मचारी की मौत के लिए भीड़ के मुखिया होने के नाते डॉ. सुनीलम को उम्र कैद दी जाती है, तो 24 किसानों की हत्या के लिए सरकार के मुखिया होने के नाते दिग्विजय सिंह को 24 गुना सजा दी जानी चाहिए।
किसान संघर्ष समिति के संतोष बारस्कर ने कहा कि मुलताई में किसानों द्वारा फसल नुकसान का मुआवजा मांगना क्या गुनाह था? बड़वानी के जागृत आदिवासी दलित संगठन की आदिवासी महिला नारसी बाई ने बताया कि हमने महीनों से लंबित मनरेगा की मजदूरी मांगी, तो नेता-पुलिस ने मिलकर  हमें जेल में डाल दिया। होशंगाबाद से जिला पंचायत सदस्य फागराम ने कहा कि चाहे जेल जाना पड़े, चाहे फांसी लगे, हम लड़ते जाएंगे। ‘जान जावे तो जावे, हक मेरा न जावे’- का नारा उन्होंने लगाया।
भारतीय किसान संघ के नेता श्री शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने भी इस आंदोलन को समर्थन प्रदान करते हुए कहा कि सारे राजनैतिक दल किसान-विरोधी हैं। किसान संघर्ष समिति की नेता एडवोकेट अराधना भार्गव ने पूछा कि रात को साढ़े ग्यारह बजे उनके घर से मेधा पाटकर को कौन से कानून के तहत गिरफ्तार किया गया हौ? घर में कैसे धारा 144 लग सकती है? डॉ. सुनीलम ने जेल के अंदर कैदियों के साथ मारपीट को लेकर अनशन शुरू कर दिया है।
सिंगरौली, सीधी, मंडला, हरदा, खंडवा, आदि में विभिन परियोजनाओं से उजड़ने वाले गांववासियों के प्रतिानिधियों ने एलान किया कि वे अपनी जमीन नही छोडे़ंगे। चुटका परमाणु, बिजलीघर, हिंडाल्को, जेपी समूह, एस्सार, रिलायन्स, मोजरबेयर, महेश्वर, इंदिरा सागर, ओकांरेश्वर, सरदार सरोवर बांध आदि कई परियोजनाओं के विस्थापितों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
सभा को अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच के अध्यक्ष, मंडल के सदस्य डॉ. अनिल सदगोपाल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. प्रेम सिंह, जनांदोलनों के राष्ट्रीय समवन्य के संदीप पाण्डे, किसान मंच के विनोद सिंह, नर्मदा बचाओ आंदोलन के मंशाराम भाई, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार आदि ने भी संबोधित किया। सभा के अंत में राज्यपाल को संबोधित एक चार-सूत्री ज्ञापन भी सभी जन संगठनों की ओर से दिया गया।
इस चेतावनी रैली का आयोजन मध्यप्रदेश जन संघर्ष मोर्चा ने किया था। इससे देश भर के अनेक जन संगठनों और आंदोलनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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