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चुटका परमाणु पॉवर प्लांट पर्यावरणीय प्रभाव पर जन-सुनवाई रोकने में राज्यपाल पहल करें: डॉ. सुनीलम

जबलपुर। चुटका परमाणु विद्युत परियोजना मध्यप्रदेश के पांचवीं अनुसूचि वाले क्षेत्र में प्रस्तावित की जा रही है। संविधान में क्षेत्र की ग्राम सभा की सहमति के बाद ही भूमि का अधिगृहण करने का प्रावधान है। प्रभावित होने वाले ग्रामों की ग्राम सभा ने परियोजना का विरोध किया है। ऐसी दशा में परमाणु संयंत्र के लिए तैयार पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन रिपोर्ट पर 24 मई को जन सुनवाई किया जाना असंवैधानिक है। उच्चतम न्यायालय ने नियामगिरी खनन प्रकरण में पिछले दिनों संविधान के इस प्रावधान को रेखांकित करते हुये स्पष्ट किया था कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की इच्छा ही निर्णायक है। इसी आधार पर केन्द्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री ने उड़ीसा में हुये समझौते को असंवैधानिक बताया है।

म.प्र. किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम तथा अ.हि.अग्रगामी किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राघव शरण शर्मा ने एक वक्तव्य में कहा है कि संविधान के रक्षक होने के नाते राज्य पाल को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुये प्रस्तावित जन सुनवाई को रद्द करना चाहिए।

डॉ. सुनीलम ने कहा है कि मंडला जिला पांचवीं अनुसूचि के तहत संविधान में वर्गीकृत है। पेसा कानून में क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण और विवाद निपटान के रूढ़िगत तरीको पर ग्राम सभा का पूरा नियंत्रण है। इस अधिकार को छीनने की छूट किसी को नहीं है। ऐसी दशा में परियोजना हेतु भूमि का अधिग्रहण अन्यायपूर्ण होगा। उल्लेखनीय है कि चुटका परियोजना के कारण बरगी बांध से एक बार विस्थापित हो चुके गांव के आदिवासी दोबारा विस्थापित किए जावेंगे।

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