संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

छत्तसीगढ़ पुलिस की ताज़ा उपलब्धिः माओवादी होने झूठा इल्जाम लगाकर सात मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार

बस्तर की सुकमा
पुलिस ने 26 दिसंबर 2016 की रात आंध्र प्रदेश और तेलगांना के हाईकोर्ट में
प्रैक्टिस कर रहे दो अधिवक्ताओं, एक पत्रकार सहित
सात मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के झूठे आरोप
में जनसुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.  इस गिरफ्तारी
देश भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में रोष छाया हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का
कहना है कि गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता पुलिस प्रताड़ना के शिकार आदिवासियों
के गांवों में जाकर रिपोर्ट बनाने वाले थे. लेकिन पुलिस ने अपनी कलई खुलने के डर
से इन लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया. हम यहां आपके साथ इस पूरे मामले पर कैच
न्यूज़ में प्रकाशित राजकुमार सोनी की रिपोर्ट साझा कर रहे हैः

बस्तर की सुकमा
पुलिस ने 26 दिसंबर 2016 की रात आंध्र प्रदेश और तेलगांना के हाईकोर्ट में
प्रैक्टिस कर रहे दो अधिवक्ताओं, एक पत्रकार सहित
सात मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में
जनसुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस का आरोप है
कि जिन्हें जेल भेजा गया है वे सभी बस्तर के हालात पर रिपोर्ट तैयार करने के बहाने
माओवादियों को सहयोग करने का काम करते हैं.
पुलिस के मुताबिक
गिरफ्तार आरोपी तेलगांना के खम्मम और भद्राचलम से होकर बस्तर में प्रवेश कर रहे
थे. पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से प्रतिबंधित माओवादी साहित्य,
पर्चे, पोस्टर और प्रचलन से बाहर हो चुके 500-1000 के नोटों में करीब एक लाख रुपए भी जब्त किया.
झूठे आरोप में
फंसाया?
अधिवक्ता और
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद बवाल मच गया. देशभर के सामाजिक
कार्यकर्ता और अधिवक्ता इस मामले की सच्चाई जानने में जुट गए हैं. आंध्र और
तेलगांना में मानवाधिकारों के लिए कार्यरत मदन कुमार स्वामी ने बताया कि बस्तर में
पुलिस और सुरक्षा बल के लोग निर्दोष आदिवासियों को मौत के घाट उतार रहे हैं.
स्वामी बताते हैं
कि आदिवासियों के घरों को उजाड़ देना और महिलाओं से बलात्कार करना इस इलाके में आम
बात हो गई है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से दो
हाईकोर्ट में नियमित रुप से प्रैक्टिस करने वाले वकील हैं. क्या कोई माओवादी
न्यायालय में प्रैक्टिस कर सकता है? स्वामी ने कहा कि सभी लोग पुलिस प्रताड़ना के शिकार आदिवासियों के गांवों में
जाकर रिपोर्ट बनाने वाले थे. लेकिन पुलिस ने अपनी कलई खुलने के डर से इन लोगों को
पहले ही गिरफ्तार कर लिया.
तेलगांना
डेमोक्रेटिक फोरम के समन्वयक प्रोफेसर पीएल विश्वेश्वर ने बताया कि फोरम से जुड़े
सभी सदस्य 25 दिसम्बर की सुबह
अपने वाहन से हैदराबाद से बस्तर के लिए रवाना हुए थे. सुबह नौ बजे वे लोग तेलगांना
के खम्मम इलाके में पहुंचे तो वहां अधिवक्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से
दुगुडम इलाके की पुलिस ने कड़ी पूछताछ की.
सभी कार्यकर्ताओं
ने अपना आईकार्ड, ड्राइविंग
लायसेंस, आधार कार्ड आदि परिचय
पत्र दिखाया. लेकिन खम्मम पुलिस ने उन्हें माओवाद प्रभावित सुकमा के धरमपेटा इलाके
की पुलिस को सौंप दिया. घटना की जानकारी मिलने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का
एक प्रतिनिधि मंडल हैदराबाद के पुलिस महानिदेशक अनुराग शर्मा से मिला और उनसे इस
बारे में स्पष्टीकरण मांगा.
शर्मा ने इन
कार्यकर्ताओं से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ में हुई है इसलिए
वे कुछ नहीं कर सकते. विश्वेश्वर ने बताया कि फिलहाल तेलगांना में विधानसभा का
सत्र चल रहा है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से उठे बवाल से बचने के लिए
पुलिस अपना दामन बचाने में लगी है.
गिरफ्तारी की
निंदा
अधिवक्ताओं और
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि किरण
जैन और महासचिव वी सुरेश ने अलोकतांत्रिक करार दिया है. एक बयान में उन्होंने कहा
कि कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए आईजी शिवराम कल्लूरी ने पूरे बस्तर को
युद्ध के मैदान में बदलकर अशांत कर दिया है. जो लोग बस्तर की सच्चाई दुनिया के
सामने लाना चाहते हैं पुलिस उन्हें झूठे मामलों में फंसा देती है.
सुकमा के
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि माओवादी गतिविधियों में
लिप्तता के पर्याप्त सबूत मिलने के बाद ही पुलिस ने अधिवक्ताओं और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. इधर 27 दिसम्बर को हैदराबाद से 10 अधिवक्ताओं की
एक टीम छत्तीसगढ़ में आने वाली है.
तेलगांना के एक
सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि जिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई
है उन्हें जमानत मिलने के बाद बस्तर की सुकमा पुलिस के अधिकारियों पर वैधानिक
कार्रवाई की तैयारी की जाएगी.
किन्हें
गिरफ़्तार किया
बाला रविंद्रनाथ
( अधिवक्ता )
सीएच प्रभाकर (
अधिवक्ता )
दुर्गा प्रसाद (
पत्रकार )
डी प्रभाकर
आर लक्ष्यैया
राजेंद्र प्रसाद
मोहम्मद नजीर
साभारः कैच न्यूज़
इसको भी देख सकते है