संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांटों के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नवलगढ़ बंद : किसान, मजदूर, व्यापारी हुए एकजूट निर्णायक संघर्ष का ऐलान


राजस्थान के झुंझुनू जिले के नवलगढ़ तहसील भवन के सामने किसान अपनी उपजाऊ जमीन बचाने के लिए 6 साल से घरने पर बैठे है। इन किसानों की 72 हजार बिघा ज़मीन नवलगढ़ में प्रस्तावित बांगड़-बिरला के सीमेंट प्लांटों में जा रही है। कई बार बंद, प्रदर्शन, रैली और धरने जैसे आयोजन कर सरकार को चेतावनी दे चुके किसानों ने एक बार फिर 29 अगस्त 2016 को  नवलगढ़ व्यापर मंडल ने समर्थन  से  बाजार बन्द रख कर  सरकार को चेतावनी दी है कि बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांटों  रद्द  किया जाए. मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम, नवलगढ़ को ज्ञापन देते हुए  किसानों ने एक बार पुन : कहा है कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकन किसी भी सूरत में अपनी जमीन कंपनियों को नहीं देंगे। पेश है किसान संघर्ष समिति नवलगढ़ का ज्ञापन;

प्रति,                                                                                                               29 अगस्त 2016
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार
जयपुर
राजस्थान
द्वारा- एस.डी.एम, नवलगढ़, जिला – झुंझुनु, राजस्थान
विषय : नवलगढ़ में श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट और इंडिया सीमेंट लि. के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को रद्द करने के बाबत
महोदया,
सविनय निवेदन है कि हम नवलगढ़ के निवासी पहले भी कई बार आपसे अपनी जमीनें बचाने के लिए गुहार कर चुके हैं और नवलगढ़ एसडीएम कार्यालय के सामने पिछले 6 सालों से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। पिछले 6 सालों से जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों के न तैयार होने के बावजूद सरकार लगातार एकतरफा कार्यवाही करती जा रही है।
हम आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं कि श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट और इंडिया सीमेंट लि.  प्लांट और खनन के लिए नवलगढ़ की लगभग 72,000 बीघे भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित हैं। इस 72000 बीघे में 18 गांव-ढानिया है जिनमें 45000 से भी ज्यादा लोग पीढ़ीयों से यहां रह रहे हैं। यह जमीनें न सिर्फ उनकी जीविका का साधन है बल्कि उनके अस्तित्व की पहचान हैं। प्रस्तावित भूमि बहुफसलीय भूमि है जिसको प्रशासन द्वारा बंजर दिखाने का भी प्रयास किया गया। बहुफसलीय जमीनों के साथ शमशान घाट, आम रास्ते, तीर्थ स्थल, गोचर भूमि भी श्री सीमेंट कंपनी के लिए रिको के नाम की जा चुकी है। इनके अलावा पर्यटन स्थल, पर्यावरण, जोहड़, खेजड़ी, मोर इत्यादि को हानि पहुंचेगी। इस भूमि अधिग्रहण में 45,000 लोगों के विस्थापन से इस पूरी आबादी का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। अधिग्रहण में जा रही इस जमीन का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा कृषि भूमि का है और यहां के निवासी मुख्यतः किसान हैं जिनका उगाया अन्न इस देश की जनता का पेट भरता है।
इस अधिग्रहण के प्रस्ताव के समय से ही किसान अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं जिसके बावजूद प्रशासन बिना किसानों की सहमति और मुआवजा उठाए ही उनकी जमीनें राजस्थान इंडस्ट्रियल इन्वेसटमेंट कॉर्पोरेशन (रिको) के नाम कर चुका है जो कि संविधान का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। प्रशासन द्वारा लगातार इलाके में समाचार-पत्रों के माध्यम से यह खबर फैलाकर कि बहुत जल्द इस क्षेत्र को जबरन खाली करा दिया जाएगा किसानों को डराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन लगातार इस कोशिश में है कि किसान डर कर अपना आंदोलन छोड़ दें जबकि किसान इस बात के लिए दृढ़ संकल्प हैं कि वह जान दे देंगे किंतु अपनी जमीनें नहीं छोड़ेगें।
इस आंदोलन में वृद्ध से लेकर गांव के बच्चे और महिलाएं सभी सक्रिय हैं। यदि प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की जोर जबर्दस्ती की कार्रवाई होती है तो उसमें होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी सीधी प्रशासन की होगी। छह साल से अपना आंदोलन शांतिपूर्वक लड़ रहे यह किसान अपने देश के संविधान में पूरी तरह से भरोसा करते हैं और संविधान के तहत दिए गए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत ही अपने विरोध को दर्ज करवा रहे हैं। किंतु प्रशासन सभी संवैधानिक प्रावधानों को दर किनार कर चंद उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए हजारों परिवारों के जीवन की बलि चढ़ाने पर तुला हुआ है।
हम प्रशासन के इस कृत्य का तीव्र विरोध करते हुए मांग करते हैं कि-
1. प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण तत्काल रद्द किया जाए।
2. रिको के नाम दर्ज की गई जमीनों को वापस किसानों के नाम पर दर्ज किया जाए।
3. प्रशासन द्वारा किसी भी जबरन कार्रवाई की योजना की जांच कर उसको तुरंत रुकवाया जाए।
4. रिको तथा कंपनियों के पक्ष में जमीनों की गलत रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करने वाले कर्मचारियों तथा अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
इस अधिग्रहण की वजह से इस क्षेत्र के निवासियों तथा पर्यावरण के उपर आने वाले संकट के मद्देनजर आपसे निवेदन है कि उपरोक्त मांगों पर यथा शीघ्र कार्रवाई की जाए।

द्वारा
भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ तथा प्रभावित किसान

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