संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मांगों के बदले दमन बन चुकी है भाजपा सरकार की नई जन नीतिः बेगा जनजाति के शांतिपूर्ण मार्च पर पुलिस का कहर

उधर नरेंद्र मोदी ने बनारस में बयान दिया कि अब आंदोलनों तथा प्रदर्शन से मांगे मनवाने का समय खत्म हो चुका है और इधर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने उसपर अमल करना भी शुरु कर दिया। कान्हा तथा अचानकमार टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले टाइगर रिजर्व कॉरिडोर के खिलाफ छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के पंडरिया ब्लॉक की बेगा जनजाति द्वारा निकाले जा रहे एक तीन दिवसीय शांतिपूर्ण मार्च को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरा जोर लगा दिया। किंतु इसके बावजूद बेगा लोगों ने यह मार्च निकाला जो 19 मार्च को पंडरिया ब्लॉक पर एक जनसभा तथा ज्ञापन सौंपने के साथ समाप्त होगा। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट;


महाराष्ट्र के किसानों का लंबा मार्च खत्म होते ही उनके छत्तीसगढ़ के भाई आंदोलन में जुट गए। किंतु छत्तीसगढ़ किसानों के इस शांतिपूर्ण प्रदर्शऩ का छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार ने बहुत ही निर्दयता के साथ दमन किया। उन्होंने न केवल किसानों को धमकाया बल्कि कुछ हिरासत में भी ले लिया।

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के पंडरिया ब्लॉक की पहाड़ियों में बसने वाले बेगा जनजाति बहुल गांवों ने तीन दिन का एक शांतिपूर्ण मार्च आयोजित किया। मार्च कंडवानी से पंडरिया तक जाने वाला था। दो दिनों तक चलने वाला यह मार्च छत्तसीगढ़ सरकार द्वारा कान्हा तथा अचानकमार टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले टाइगर रिजर्व कॉरिडोर परियोजना के खिलाफ था।

17 मार्च 2018 की सुबह जब बेगा लोग विभिन्न गांवों तथा बस्तियों से कंडवानी ग्राम पंचायत के बाहपनी गांव में एकत्रित हो रहे थे तभी पुलिस की तीन गाड़ियां मार्च स्थल पर पहुंच गईं। करीब आधे घंटे तक पुलिस वालों ने मार्च के लिए आए लोगों से लोगों से पूछ-ताछ की तथा उन्हें मार्च न निकालने के लिए डराया धमकाया। पुलिस वालों का कहना था कि चूंकि प्रदर्शनकारियों ने थाने में मार्च के बारे में सही समय पर सूचना नहीं दी थी इसलिए उन्हें यह मार्च निकालने की अनुमति नहीं है।

जबकि गांव बचाओ समिति नामक जन संगठन ने दो दिन पहले ही कुकदर पुलिस थाने में तथा पंडरिया उप न्यायधीश को इस मार्च की सूचना दे दी थी।

प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस को इस बात का पूरा आश्वासान दिए जाने के बावजूद की यह मार्च शांतिपूर्ण है पुलिस ने लोगों के गिरफ्तार करने की धमकी दी।
समिति सदस्य नरेश बुनकर और उनके पुत्र सत्य प्रकाश तथा कृष्ण परास्ते को मार्च स्थल से उठा लिया गया।

बुनकर इस बात पर अड़े रहे कि मार्च शांतिपूर्ण है तथा लोगों को प्रदर्शन करने तथा उनकी मांग को सुने जाने का पूरा हक है।

पंडरिया में पोलमी ग्राम पंचायत के निवासी बुनकर का कहना है कि हम पहली बार कोई रैली नहीं करने जा रहे हैं। वनाधिकार दावों का क्रियान्वयन न होना, जल सुविधा का अभाव तथा राशन की दुकानों से अनियमित आपूर्ती हमारी ऐसी मांगें हैं जिन पर लंबे समय से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लेकिन यह पहली बार है कि राज्य द्वारा किसी प्रदर्शन पर इस तरह से दमन किया जा रहा है। जैसे ही यह खबर फैली तो कवारदाह जिला पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि तथा दोगी कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग प्रदर्शनकारियों के समर्थन में पहुंच गए।

करीब शाम को तीन बजे पूरे जोशो-खरोश के साथ मार्च शुरु हुआ तथा करीब 300 बेगा लोगों ने कांडवानी से होते हुए बाफनी से कुकदर तक 20 किमी तक मार्च करके वह कुकदर में रात्रि विश्राम के लिए रुके। 18 मार्च को पंडरिया ब्लॉक पर जाकर मार्च खत्म हो जएगा। 19 मार्च को एक जनसभा की जाएगी तथा उप मंडलीय न्यायधीश को ज्ञापन दिया जाएगा।

credit : Humans of Gondwana 

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