संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

डाबला में संकल्प सभा, जारी रहेगा अवैध खनन विरोधी आंदोलन

राजस्थान के सीकर जिले की तहसील नीमकाथाना के ग्राम डाबला में अवैध खनन के खिलाफ चल रहे संघर्ष को एक साल पूरे होने पर 4 मई को श्री भोमिया जी ग्राम विकास समिति व पी.यू..सी.एल. राजस्थान की ओर से संकल्प सभा आयोजित की गई। उल्लेखनीय यह है कि गत वर्ष इसी दिन अवैध खनन के खिलाफ व अपने पहाड़ को बचाने के लिए शांतिपूर्वक धरने पर बैठी ग्रामीण जनता पर जिला प्रशासन की ओर से बर्बर पुलिस ने लाठी चार्ज किया था।

सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधापाटकर ने कहा कि इस पहाड़, जंगल, जमीन व पानी पर सबसे पहले हक डाबला गांव के लोगों का है। यहां की जनता की राय लिए बिना और ग्रामीणों के हितों की अनदेखी करके जिला प्रशासन व खनन माफिया के गठजोड़ के चलते ही यहां अवैध खनन हो रहा है जो कि अन्याय है और हमारे प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट है। इसके खिलाफ लड़ना स्थानीय जनता का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का निर्णय सर्वोपरि होना चाहिए न कि किसी निजी स्वार्थों वाले नेता, अफसर व माफियाओं का। उन्होंने इस जनसंघर्ष को व्यापक स्तर पर ले जाने का भी आह्वान किया और उसके तरीके भी बताये।
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने भी संघर्षशील जनता को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान व्यवस्था केवल 20 प्रतिशत लोगों के लिए काम कर रही है। 80 प्रतिशत ग्रामीण व आदिवासी जनता के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने में लगी ये सरकारें विकास के नाम पर संपूर्ण मानव जाति को विनाश की और धकेल रही है। सरकारों की जनविरोधी नीतियों के चलते ही देश आज गृहयुद्ध के कगार पर खड़ा है। इसलिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल, जमीन को बचाने के संघर्षों को तेज करना समय की मांग है।
इस संकल्प सभा को जनसंघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय व नवलगढ़ भूमि बचाओ के संयोजक कैप्टन दीपसिंह शेखावत, पी.यू.सी.एल. की राज्य महासचिव कविता श्रीवास्तव, किसान सभा के मोहरसिंह, बसपा के स्थानी जुझारू नेता सावरमल यादव, संघर्षशील सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश मीणा, जयपुर से मजदूर यूनियन के नेता हरकेश बुगालिया, स्थानीय संघर्ष समिति के वीरचक्र से सम्मानित फौजी जयरामसिंह व पूर्व पटवारी स्वामी जी ने भी संबोधित किया।
सभा के बाद जुलूस के रूप में एक वर्ष पूर्व हुए दमन की घटना स्थल पर सभी महिला-पुरुष गये और मशाल जलाकर संघर्ष को तीखा करने का सभी ने संकल्प लिया। – हरकेश बुगालिया
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