संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

रेवाड़ी में भूमि अधिग्रहण के विरोध में महापंचायत कल

भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति ने रेवाड़ी  में  भूमि अधिग्रहण के विरोध में 22 जुलाई को राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित आसलवास गांव में 51 गांवों की महापंचायत बुलाई गई है. जिसमें संघर्ष की भावी रणनीति तय की जाएगी. भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को महापंचायत का न्यौता दे रही है. 22 जुलाई की पंचायत में समिति द्वारा अनेक दिग्गज व किसान नेताओं को बुलाया गया है. गौरतलब है कि बावल क्षेत्र के गांव आसलवास सहित अनेक गांवों के लोग भूमि अधिग्रहण के विरोध में पिछले डेढ़ माह से आंदोलनरत हैं.

ज्ञात रहे कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की ओर से रेवाड़ी जिले के 21 गांवों की  लगभग 3700 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. इन 21 गांवों में से 16 गांव बावल खंड के हैं, जिसमें बनीपुर, खेड़ा मुरार, पातुहेड़ा, आसलवास, इब्राहिमपुर, मंगलेश्वर, कसौली, कसौला, बखापुर, ड्योढई, बगथला, बोलनी, गढ़ी व पीथनवास शामिल हैं. इसी तरह पांच गांव कालाका, मांढैया, कोनसीवास, पीवरा की ढाणी, झांझनवास रेवाड़ी तहसील के हैं.
एक नजर अब तक के आंदोलन पर 
आसलवास में चल रहे आंदोलन की आंच अब रेवाड़ी तक पहुंच गई है. 11 जुलाई से किसानों जिला सचिवालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया. किसानों को समर्थन देने राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठन के प्रतिनिधि भी पहुंचने लगे हैं. धरने पर हर रोज  सैकड़ों की संख्या में किसान बैठे रहते हैं.
किसानों की चर्चा मुख्यमंत्री के उस बयान पर ज्यादा होती है जिसमे वह लोगों को यह कहकर गुमराह करते रहे हैं कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण सम्बंधी कोई नई नीति लागू नहीं की जाती, तब तक किसी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा. किसान आरोप लगाते है कि दक्षिणी हरियाणा के किसानों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है. लघु सचिवालय पर धरने पर बैठने के लिए किसानों को प्रशासन व सरकार ने ही मजबूर किया है.
किसानों ने देखा की प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है तो 15 जुलाई को  जिला सचिवालय की तालाबंदी की योजना बनाई.  जब किसान अंदर घुसे तो किसानों व पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। 
पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू कर दी. आंदोलन में शामिल 15 के करीब महिला व पुरुष घायल हो गए. एक महिला की हालत गम्भीर होने पर उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया है. भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति के सदस्य गुरदयाल नम्बरदार कहते कि यह धरना अब दिन-रात चलेगा और टैंट लगाकर यहीं पर खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी. वह आगे कहते है  कि जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे.

पुलिस दमन के विरोध में भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति ने 17 जुलाई को रेवाड़ी बंद का  आह्वान किया. रेवाड़ी बंद के तहत समिति से जुड़े सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों के साथ नगर के सभी बाजारों में प्रदर्शन करते हुए व्यापारियों से अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की, साथ ही प्रशासन द्वारा किसानों पर की जा रही दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में चल रहे आंदोलन में सहयोग करने की. 

फिलहाल संघर्ष जरी है पुलिस पथराव में घायल 15 से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं.  संघर्ष समिति 22 जुलाई को जिले की  तीनों विधानसभा क्षेत्रों के 51 गांवों की महापंचायत की तैयारी में लगी है. जिसमें भावी रणनीति तय की जाएगी.

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