संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

छत्तीसगढ़ : अधूरे डैम की जानकारी मांगी तो वन विभाग ने फ़ाइलें ही जला दी

-रमेश अग्रवाल 

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में बढ़ते हाथियों के प्रकोप से बचाने और उनके लिये पानी की व्यवस्था करने के लिये जगह जगह पानी के डेम बनाये गये हैं | जिले में बनाये गये सभी डेम की लागत का मदवार ब्यौरा माँगा गया तो वन मंडलाधिकारी रायगढ़ के कार्यालय द्वारा बताया गया कि 2014-15 के पहले की फ़ाइलें जला दी गई हैं और उसके बाद कोई डेम बना हीनहीं है|

जन चेतना सदस्य रमेश अग्रवाल द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में ये बड़ा खुलासा हुआ है| दिनांक 22.01.2018 को आवेदन दिया गया था जिस पर 19.02.2018 को कार्यलय आकर दस्तावेजों का अवलोकन करने के लिये कहा गया | हालाकि आवेदन अवलोकन के लिये नहीं था बल्कि दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ मांगी गई थी | फिर भी नियत दिनांक को कार्यालय पंहुचने पर बड़ी मुश्किल से वर्ष 2013-14 की एक डेम की फ़ाइल् दिखाई गई जिसमें की पूरी जानकारी ही नहीं थी | ये जरुर मालूम हुआ कि एक डेम 25 लाख में बनाया गया है | बाकी के बारे में पूछने पर बताया गया कि बाकीफ़ाइलें विभाग के नियमानुसार जला दी गई हैं |

इसके पूर्व ऐसे  ही एकप्रकरण में कटंगडीह भेंगारीवन परिक्षेत्र  के पास बने रिजर्व फारेस्ट के  कच्छ क्र 1271में वर्ष 2010-11 में बने डेम की फ़ाइल् गायब हो गई थी |

जन चेतना की टीम ने घने जंगलों में बने कई डेमों का निरिक्षण किया है | 2015-16 में बना एक डेम तो आज तक अधूरा पड़ा हुआ है जबकि वन विभाग का कहना है कि वर्ष 2013-14के बाद कोई डेम बना ही नहीं | स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे डेम तो वो मात्र एक दो लाख में बना देंगें | रमेश अग्रवाल का कहना है अवलोकन के समय एक शिकायत पत्र ऐसा  भी देखने को मिला जिसमें एक ही डेम को तीन बार बना कर राशी आहरण की बात कही गई थी लेकिन कापी मांगने पर इंकार कर दिया गया |

भारी गड़बड़ी की आशंका जताते हुये रमेश अग्रवाल ने प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ़ फारेस्ट रायपुर से जांज की मांग की गई है |

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