संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड-छत्तीसगढ़ के संगठनों की पहल काम आया आपसी तालमेल: बंधुआ हुए मुक्त

उल्लेखनीय यह है कि बंधुआ मजदूरों को आपसी समन्वय से इन संगठनों ने मुक्त तो करा लिया परंतु भट्ठा मालिक के खिलाफ बंधुआ श्रमिक एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया गया, जबकि होप (झारखण्ड) एवं छत्तीसगढ़ महिला मंच (छ.ग.) जैसे संगठन इस पर लगातार जोर देते रहे…..

8 जनवरी 2012 को सुबह 7-8 के बीच मुझे देवघर के साथी ने फोन पर यह सूचना दी कि आपके क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के कुछ साथी ईंट भट्ठे में कैद हैं और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उस वक़्त तो मैं नींद में था लेकिन कुछ समय पश्चात् जब मैं अपने कार्यालय  गया और वहां जाकर मैंने अपनी साथी मनोरमा एक्का से इस संदर्भ में बात की तो उसने देवघर के साथी से संपर्क किया लेकिन वह साथी पूर्ण जानकारी नहीं दे पाया तब उस साथी से सुश्री मनोरमा एक्का ने कहा  कि आप उस साथी को मुझसे बात करने को कहिए ताकि मैं यथास्थिति से अवगत हो सकूं तभी हम आगे की कार्यवाही कर पाएंगे। उसके पश्चात् छत्तीसगढ़ की साथी अनीता ने सुश्री मनोरमा एक्का से संपर्क किया और बतलाया कि रांची के मांडर थाना के उचरी नामक ग्राम में छत्तीसगढ़ के मजदूर जिनमें महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे सभी कैद हैं और उन्हें नहीं जाने दिया जा रहा है। तब मनोरमा एक्का ने 10 तारीख को रांची के अर्बन एस.पी. असीम विक्रांत मिंज से बात कर स्थिति से अवगत कराया। इसके बाद हमलोग मांडर थाना के उचरी नामक ग्राम, जहां ईंठ-भट्ठा था वहां पहुंचे। पहुंचने पर हमने वहां देखा कि पुरुष मिट्टी काट रहे थे महिलाएं मिट्टी गूंथ रही थीं और छोटे-छोटे बच्चे ट्राली को जिसमें कुदाल वगैरह थी, रखकर इधर-उधर ले जा रहे थे। उस जगह पहुंचकर सभी को हमने एक जगह इकट्ठा किया एवं वस्तुस्थिति उन्हीं की जुबानी सुनी। उन्होंने कहा कि हमें मारा-पीटा जाता है, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ भी की जाती है और जब ईंट भट्ठे के मालिक से पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, ये लोग रुपए-पैसे एडवांस के रूप में जो मिला है लेकर भागना चाह रहे थे और हमने ऐसा नहीं करने दिया इसलिए हम पर यह आरोप लगाया जा रहा है। इसमें कुल 27 बंधक मजदूर थे जिनमें महिलाएं पुरुष एवं बच्चे भी थे, उन्हें पुलिस के सहयोग से छुड़ाया एवं एक डंपर के माध्यम से ईंट-भट्ठे से निकालकर हटिया रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया। उन बंधकों में एक गर्भवती महिला भी थी जो गाड़ी में चढ़ भी नहीं पा रही थी तब उस गांव से सीढ़ी लाकर उस महिला को गाड़ी में चढ़ाया गया एवं उन्हें हटिया स्टेशन के लिए रवाना किया। तब तक मीडियावालों को भी खबर हो चुकी थी और मीडिया वालों ने हटिया स्टेशन पहुंचकर उनसे घटना के बारे में जानना चाहा। टेलीविजन में इसका सीधा प्रसारण भी हो रहा था और दूसरे दिन सारे अखबारों में यह समाचार के रूप में भी आया। इस कार्य में अरविंद वर्मा, मनोरमा एक्का, उज्ज्वल कुशवाहा, अनीता व संतन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। – अरविन्द वर्मा (झारखण्ड) एवं संतन (छत्तीसगढ़)

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