संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन

जैतापुर न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट से विस्थापित हुए हजारों किसान-मछुआरे अपनी जमीन पाने के लिए सड़क पर उतरे

जैतापुर न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट (जेएनपीपी) के खिलाफ आंदोलन एक बार पुनः तेज हो गया है। 13 मई 2012 को करीब तीन हजार किसानों-मछुआरों ने अपने पशुओं के साथ प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई अपनी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया। कोंकण एंटी-न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट कमेटी के पदाधिकारी प्रदीप इंदुलकर ने कहा कि जैतापुर प्रोजेक्ट के आस-पास के लगभग 10…
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पेंच व्यपवर्तन परियोजना के विरोध में भूला मोहगांव में प्रतिरोध दिवस मनाया गया

छिंदवाडा के भूला मोहगांव में 22 मई 2012 को प्रतिरोध दिवस के रूप में महापंचायत का आयोजन किया गया। इस मौके पर साथी…

भूमि अधिग्रहण के विरोध में महेन्द्रगढ के किसानों का धरना एवं भूख-हड़ताल शुरू

महेन्द्रगढ़ के पास रिवाड़ी रोड पर 28 मई 2012 से निकटवर्ती गांव रिवासा और माजरा खुर्द के किसान अपनी उपजाऊ भूमि…

गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का आन्दोलन तेज हुआ

गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विरोध में आंदोलन 670 दिन से चल रहा है। 17 अगस्त 2010 से किसान धरने पर बैठे हुये हैं। पिछली 10 फरवरी को आंदोलन गोरखपुर के अलावा 10-12 गांवों में पहुंचा है। इसको लेकर गोरखपुर गांव के आसपास के गांव के लोगों ने फतेहाबाद के उपायुक्त को प्रदर्शन करते परमाणु विरोधी मोर्चा के बैनर तले ज्ञापन देते हुए कहा कि हम गोरखपुर…
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करछना पॉवर प्लांट का भूमि अधिग्रहण रद्द किसानों के आंदोलन के आगे नहीं टिक पाया…

करछना में पॉवर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों को अंततः जीत हासिल हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के…

गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना से जे.पी. कंपनी ने हाथ खींचे

उ. प्र. विधानसभा चुनाव 2012 की अधिघोषणा जारी होने के बाद चुनाव होने से पहले गंगा एक्सप्रेस-वे की विकासकर्ता कम्पनी जे.पी. गंगा इन्फ्रास्टक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने तथा मायावती सरकार की संभावित हार के भय से उ.प्र. की मायावती सरकार से गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जमा की गयी अपनी जमानत राशि वापस ले ली, जिससे एक…
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किसानों का अंतिम फैसला, हम जमीन नहीं देंगे

नवलगढ़ क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन को दो टूक कह दिया है कि जमीन का अधिग्रहण किसी सूरत में नहीं होने…

मध्य प्रदेश के जनसंघर्ष: आजीविका का सवाल

प्रदेश में 11 प्रमुख नदियाँ बहती हैं. यह नदियाँ कभी लोगों की खुशहाली का कारण होती थीं, लेकिन आज कंपनियों, कार्पोरेट्स और सरकारों के मुनाफ़ा कमाने का साधन बन चुकी हैं, क्योंकि सरकारें इन नदियों पर बाँध बनाकर इनका पानी बेचने का काम करने लगी हैं. नर्मदा, चम्बल, ताप्ती, क्षिप्रा, तवा, बेतवा, सोन, बेन गंगा, केन, टोंस तथा काली सिंध इन सभी नदियों के…
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