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राज्यवार रिपोर्टें
बलिया: नदी कटाव से प्रभावित लोग करेंगे अनिश्चितकालीन धरना
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नदी कटाव से हर वर्ष प्रभावित होने वाले लाखों लोगों की आवाज़ और परेशानियों को शासन-प्रशासन तक पहुँचाने के लिए 'नदी कटान खेती व गांव बचाओ संघर्ष समिति, बलिया' ने 4 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरना का आह्वान किया है और प्रभावित जिलों की जनता से इसमें शामिल होने की अपील किया है:-
नदी कटान क्षेत्र के लोगों से अपील…
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हिमाचल प्रदेश में वन व सरकारी भूमि पर अबैध कब्जों का समाधान
पिछले कुछ वर्षों से अबैध कब्जों पर हिमाचल उच्च न्यायलय में केस चल रहा है। इस पर कई बार उच्च न्यायलय बेदखली के आदेश…
MP: किसान संघर्ष समिति का 27 वां सम्मेलन समाप्त, आराधना भार्गव बनीं पहली महिला…
मुलताई सम्मेलन में किसान संघर्ष समिति की जो नई कार्यकारिणी गठित की गई है उसमें किसान संघर्ष समिति मध्य प्रदेश के…
उड़ीसा : गायब होता गंधमार्दन पर्वत
ओडिशा के गंधमार्दन पर्वत पर एक बार फिर उत्खनन का हमला होने वाला है और इस बार यह निजी क्षेत्र की अडाणी कंपनी करने वाली है। अस्सी के दशक में सरकारी क्षेत्र की ‘बाल्को’ कंपनी को बॉक्साइट की आपूर्ति की खातिर गंधमार्दन को खोदना प्रस्तावित था, लेकिन आदिवासियों और स्थानीय समाज के आंदोलन ने इन पहाडों को बचा लिया। क्या है, गंधमार्दन की हैसियत? बता रहे हैं,…
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‘विश्व आदिवासी दिवस’ 9 अगस्त : आदिवासियों का अपना दिन
. Acquistare cialisआदिवासी इतिहास में नौ अगस्त ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के रूप में दर्ज तो है, लेकिन क्या उन्हें इसे…
आपदा की अनदेखी के नतीजे
दिल्ली में नकली केदारनाथ धाम खड़ा करने के मंसूबे बांधने वाले हमारे समाज को ग्यारह साल पहले उत्तराखंड के असली…
हिमाचल प्रदेश : वन अधिकारों से वंचित किन्नौर के ग्रामीण
वन अधिकार अधिनियम को लागू हुए दो दशक होने जा रहे है लेकिन हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में अभी तक 344 व्यक्तिगत और 1 सामुदायिक दावें को मंजूर किया गया है।
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किसान मजदूर आयोग ने जारी किया किसान एजेंडा 2024
दिल्ली, 19 मार्च 2024 को किसान मजदूर कमिशन ने दिल्ली के प्रेस क्लब में किसानों के संकट पर प्रेस वार्ता का आयोजन…
बंदरगाह के विरोध में तमिल किसान
राजनीतिक रूप से भले ही सत्ताधारी दल अलग-अलग दिखाई देते हों, लेकिन विकास के मामले में सभी में गजब की एकरूपता है।…
मध्य प्रदेश : बसनिया बांध की वापसी
कुछ साल पहले कतिपय बांधों को निरस्त कर देने की मध्यप्रदेश सरकार की घोषणा ने नर्मदा घाटी के रहवासियों को राहत दी थी, लेकिन अब दी गई प्रशासनिक स्वीकृति ने उन्हें फिर चिंता में डाल दिया है। बड़े बांधों को बनाने की सरकारी जिद सत्तर के दशक से घाटी में हाहाकार मचा रही है, जबकि उनसे गिनाए गए लाभ आज तक कारगर नहीं हो सके हैं। प्रस्तुत है, फिर स्वीकृत किए गए…
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