संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

सरकारी उपेक्षा के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार : देश भर में 10,000 से ज्यादा जगहों पर विरोध प्रदर्शन

सरकारी उपेक्षा के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार

मध्य प्रदेश सहित देश के 10,000 से ज्यादा गांवों, टोला, तहसील, ब्लॉक कस्बों और जिलों में विरोध प्रदर्शन

प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कहा किसानों को विशेष पैकेज दे सरकार

250 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किया था आव्हान

 27 मई 2020 नयी दिल्ली।  पिछले 2 महीने से देश भर में चल रहे लॉक डाउन के कारण देशभर के किसान परेशान हैं, खेती किसानी में भारी परेशानी आ रही है उनकी उपज या तो बिक नहीं रही है, मंडियां बंद होने के कारण या फिर ओने पौने दामों पर व्यापारियों द्वारा उन्हें लूटा जा रहा है सरकार द्वारा किसानों को कोई राहत नहीं दी गई है। ऐसे तमाम सवालों को लेकर ढाई सौ से ज्यादा किसान संगठनों की किसान संघर्ष समन्वय समिति के आवाहन पर देश के 600 से ज्यादा जिलों में 10,000 से ज्यादा स्थानों पर किसान बचाओ – देश बचाओ दिवस, गाँव, टोला, ब्लॉक तहसीलों, जिलों और किसान संगठनों के कार्यालयों में उत्साह पूर्वक मनाया गया । किसान संघर्ष समन्वय समिति के आव्हान को देशभर में भारी समर्थन मिला और जगह-जगह प्रदर्शन हुए किसानों ने इसमें व्यक्तिगत स्तर पर सोशल मीडिया के माध्यम से भी भागीदारी की।

देश के लगभग सभी राज्यों में समन्वय समिति से जुड़े किसान संगठनों के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की संयोजन समिति के सदस्य तथा मध्य प्रदेश किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने इस विरोध दिवस के मौके पर फेसबुक लाइव में बोलते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा ₹200000 तक के कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं होने से अधिकांश किसान सोसायटी ओं में डिफाल्टर हो गए हैं और उन्हें खाद बीज नहीं मिल रहा है ।तुरंत सभी किसानो को बिना ब्याज के खाद बीज उपलब्ध कराने की जरूरत है।

किसान संघर्ष समन्वय समिति की मांग है कि बिजली बिल माफ किए जाएं सभी किसानों को सोसाइटी से बगैर किसी किंतु-परंतु के खाद बीज उपलब्ध कराए जाएं तथा अंतरराष्ट्रीय दामो में कमी का लाभ देते हुए किसानों को भी ₹22 प्रति लीटर कम दाम में डीजल उपलब्ध कराया जाए। पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बिजली बिल की माफी की मांग को लेकर पूर्व में भी किसान संघर्ष समिति ने मध्य प्रदेश में आंदोलन कर बिजली बिल माफी करायी थी। यदि सरकार ने बिल माफी की मांग मंजूर नहीं की तो फिर तेज आंदोलन किया जाएगा। डॉ सुनीलम ने टिड्डी प्रभावित 28 जिलों के किसानों को विशेष पैकेज देने की मांग की।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आवाहन पर मध्य प्रदेश में भी किसान संघर्ष समिति ने व्यापक रूप से विरोध दिवस मनाया और मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में तथा तहसील और गांव में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम, कलेक्टर, संभाग आयुक्त व अन्य अधिकारियों को सौंपा गया।

मुलताई में किसान संघर्ष समिति के जगदीश दोड़के, छिंदवाड़ा में एडवोकेट आराधना भार्गव, कटनी में डॉ एके खान, इंदौर में रामस्वरूप मंत्री, रायसेन में टी आर आठ्या, नीमच में राजेंद्र पुरोहित, रीवा में इंद्रजीत सिंह, टीकमगढ़ में महेश पटेरिया ,झाबुआ में राजेश बैरागी, देवास में लीलाधर चौधरी, सिलवानी में श्री राम सेन ,ग्वालियर में पूरन सिंह राठौड़, सिवनी में डॉक्टर राजकुमार सनोडिया, मऊ में दिनेश सिंह कुशवाहा,पीथमपुर में अमरदास उपररिया व उमाकांत मिश्रा, बैतूल में राकेश महाले, पृथ्वीपुर में लखन चंद जैन, दमोह में राजेश आठ्या, विदिशा में राजेश तामेश्वरी, मंदसौर में दिलीप सिंह पाटीदार, पन्ना में पदाली यादव ,झाबुआ में राजेश बैरागी, उज्जैन में कमलेश परमार सहित संघर्ष समिति के सभी पदाधिकारियों के नेतृत्व में किसान बचाओ – देश बचाओ दिवस मनाया गया और ज्ञापन सौंपा गया।

प्रधानमंत्री के नाम भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि हम भारत के किसान, देश की किसान जनता के सामने उत्पन्न गम्भीर समस्याओं, जो कोविड-19 महामारी और लगातार चले लाॅकडाउन की स्थिति में और बढ़ गयी हैं, को सम्बोधित करने व उनका हल निकालने में आपकी सरकार की लगातार विफलता पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए आपसे आग्रह करते हैं कि निम्न समस्याओं को हल करने के लिए तुरन्त कदम उठाए जाएं।

यह एक उचित समय था, जब किसानों और खेत मजदूरों को, देश के कुल श्रम शक्ति का 50 फीसदी हैं, पर्याप्त राहत प्रदान करके सबसे निचले पायदान पर जीवन बसर कर रहे नागरिकों का विकास सुनिश्चित किया जा सकता था।

ज्ञापन में मांग की गई है सभी किसानों के, भूमिहीन किसान व खेत मजदूर समेत, सभी कर्जे माफ करो। सभी पुराने केसीसी कर्ज माफ करो व नए केसीसी कर्ज तुरन्त जारी करो, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सी2 +50 फीसदी की घोषणा करो, सुनिश्चित करो कि इसी दाम पर सारी फसलें खरीदी जाएं व इसके लिए सरकारी खरीद का प्रावधान करो। इन फसलों में दूध, सब्जी, फल व सभी बर्बाद होने वाली फसलें शामिल हों।

लागत के दाम घटाओ, विशेषकर डीजल के दाम, हवाई जहाज के ईंधन के दाम 22 रुपये प्रति लीटर के बराबर करो।
इस पूरी अवधि के बिजली के घरेलू, व्यवसायिक व ट्यूबवेल के बिल माफ करो।
बीज, खाद, कीटनाशक दवा के दाम इस सत्र में कम से कम 50 फीसदी करो।
सभी बटाईदार किसानों का पंजीकरण करो और उन्हें एमएसपी, कर्जमाफी, कर्जे, छूट पर मिलने वाली लागत व फसल नुकसानी के सरकारी लाभ मिलने की गारंटी करो। पीएम किसान का भुगतान 18,000 रुपये प्रति वर्ष करो।
गन्ना किसानों का भुगतान तुरंत करो ।
केवल कार्ड धारकों को 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह देने की नीति बदलो और उन सबको 15 किलो अनाज और कम से कम 1 किलो दाल, तेल व चीनी प्रति माह उपलब्ध कराओ। यदि सभी 135 करोड़ लोगों को 15 किलो अनाज दिया जाए तो इसका बोझ मात्र लगभग 2 करोड़ टन प्रति माह ही पड़ेगा।
सुनिश्चित करो कि हर व्यक्ति जिसे काम चाहिए उसे 6 माह तक मनरेगा के अन्तर्गत काम मिले या कानून के अनुसार इस अवधि का पेमेन्ट मिले; कोरोना संकट से उबरने के लिए, इस दौरान हुई जीविका के नुकसान की भरपाई के लिए हर व्यक्ति को 10,000 रुपये प्रतिमाह पेमेन्ट किया जाए।
सारी स्वास्थ्य सुविधाएं तुरन्त चालू कराई जाएं और हर गांव में डिस्पेन्सरी खोली जाएं।
सभी ट्रैन व अन्तर्राज्यीय बसें तुरंत शुरु की जाएं ताकि प्रवासी मजदूर घर लौट सकें।
हर गांव में सभी प्रवासियों के सर्विलांस और जांच का प्रबंध किया जाए और कोविड की सभी हिदायतों, यानी मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना, चेहरे को ना छूना व हाथ धोना, आदि का सामाजिक अभियान चलाया जाए।
सभी छोटे व्यवसायियों, उत्पादन व स्थानीय परिवहन को तुरंत चालू किया जाए।

आपकी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु कानून व मंडी कानून समाप्त करने, ई-नाम, खेत की दहलीज से बड़े व्यापारियों व व्यवसायिक एजेंटों द्वारा फसलें खरीदने, ठेका खेती शुरु कराने, निजी भंडारण, शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण और सप्लाई चेन, आदि में करापोरेट को बढ़ावा देने से किसानों की बची-खुची स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाएगी। किसान संघर्ष समिति ने निम्न मुद्दों पर तुरंत कार्यवाही की मांग की है-

1. पिछले वर्ष मंडी में और सोसायटियों में गेंहूँ के खरीद मूल्य में अंतर कम होने से इस वर्ष कई किसान पंजीयन नहीं करा पाये। जिसका फायदा उठाते हुए व्यापारी 1600-1700 रूपये प्रति क्विंटल गेहूँ खरीद रहे हैं। पंजीकृत और अपंजीकृत सभी किसानों की रकबे के अनुसार सम्पूर्ण उपज की समर्थन मूल्य खरीद की जाए।

2. खरीफ की फसल बोवनी का समय आ रहा है। अभी तक सोसायटियों में रासायनिक उर्वरक एवं बीज का भंडारण नहीं हुआ है। खाद बीज नहीं मिलने से किसानों की बोवनी प्रभावित होगी। तत्काल खाद बीज भंडारण किया जाए।

3. सरकार ने विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन कर अनियोजित तरीकें से विद्युत अधिनियम2020 पारित किया है जिसका असर लोगों के जीवन, आजीविका और ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ेगा। किसानों की सहमति के बिना ही उनके कृषि पंप के 3 एचपी के कनेक्शन को 5 एचपी मे परिवर्तित किया जा रहा है । अभी 3 एच पी कनेक्शन धारी किसानों को एक वर्ष में 2100 रू बिना सब्सिडी के बिल चुकाना पड़ता है। 5 एचपी में परिवर्तित करने पर 3500 रूपये चुकाना पड़ेगा जो कि 1400 रू अधिक है। यह किसानों की बहुत बड़ी लूट है। किसानों की लूट तत्काल बन्द की जाए।

4. सभी सब्जी एवं दुध उत्पादक किसानों की सब्जी और दुध खराब होने से हुए आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतू किसानों को तत्काल राहत राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।

5. सभी खरीद केंद्रों पर तुलाई इलेक्ट्रॉनिक कांटों से किसानों से सामने सुनिश्चित की जाए।
6. टिड्डी पीड़ित किसानों को विशेष पैकेज दिया जाय।

हमारा आग्रह है कि उपरोक्त सभी किसान विरोधी कदमों को रोककर किसान संगठनों से इन पर चर्चा की जाए ताकि इन सबसे देश में खेती की आत्मनिर्भरता को होने वाले नुकसान को रेखांकित कर उसमें आवश्यक सुधार किए जा सकें।

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