संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

बड़कागांव गोलीकांड : एनटीपीसी के जीएम समेत पच्चीस पर हत्या का मुकदमा दर्ज

हाईकोर्ट के निर्देश पर बड़कागांव थाना में दर्ज हुआ मामला

हजारीबाग 4 जुलाई 2018।  भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में रैयतों के विरोध के बावजूद जमीन अधिग्रहण और खनन करने के दौरान रैयतों और प्रशासनिक टकराव के दौरान हुए मुकदमों में अब तक एकतरफा प्रशासनिक डंडा सिर्फ रैयतों पर चलता रहा। इस दौरान रैयतों-पुलिसिया दमन के शिकार पीड़ितों द्वारा दायर परिवारवाद पर एसडीजीएम के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नही की जा रही थी। इन मामलों को लेकर जबसे हाईकोर्ट में क्रिमलन रिट याचिका दायर करने के बाद सरकार से जवाब-तलब करने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आ गई है। थानों के रिकॉर्ड में जंग लग रही फाइलों में अचानक तेजी से कार्रवाई होती दिखने लगी है। जिसमें कंपनी और जिला प्रशासन के कई बड़े अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ है।

बड़कागांव के चिरुडीह में तीन मांगो को लेकर चल रहे कफन सत्याग्रह के दौरान एक अक्टूबर 2016 को पुलिसिया कार्रवाई से रैयतों और पुलिस में झड़प हो गई थी। इस दौरान पुलिस की गोली से चार लोगों की मौत हो गई थी। उसी में मृतक अभिषेक राय के पिता पवन राय के द्वारा हजारीबाग एसडीजीएम कोर्ट परिवारवाद संख्या 1592/2016 दायर की गई थी। उसके बाद कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज कर सूचित करने का आदेश दिया था। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई पुलिस द्वारा नही की जा रही थी। हाईकोर्ट में संबंधित मामले पर क्रिमिनल रिट दायर करने के बाद कोर्ट द्वारा सरकार से जवाब-तलब करने के बाद पुलिस हरकत में आई और बड़कागांव थाना में धारा 302,34 भादवी के तहत कांड संख्या 106/18 दर्ज किया। हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक गुप्ता व जिला कोर्ट में अधिवक्ता संजीव कुमार और अनिरुद्ध कुमार ने पीड़ित पक्ष की तरफ से पैरवी किया।

अधिकारी जिन पर दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा

बड़कागांव के चिरुडीह गोलीकांड मामले में मृतक अभिषेक राय के पिता पवन राय की पिटीशन पर बड़कागांव थाने में जिन अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज हुआ है उसमें मुख्य रूप से एनटीपीसी के तत्कालीन जीएम टी गोपाल कृष्णा, एएसपी अभियान कुलदीप कुमार, डीएसपी प्रदीप पाल कच्छप, सीओ शैलेश कुमार, त्रिवेणी सैनिक माईनिंग कंपनी के निदेशक श्री निवासन, प्रबंधक बी प्रभाकरण, सुरक्षा एजेंट व पूर्व डीएसपी एसडी सिंह उर्फ सत्येंद्र सिंह, निदेशक डीआरडीए विज्ञान रंजन प्रभाकर, इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह, थाना प्रभारी अकील अहमद, एनटीपीसी के एजीएम एसके तिवारी, बी बी महापात्रा सहित कुल पच्चीस लोग नामजद अभियुक्त बनाए गए हैं।

एनटीपीसी, त्रिवेणी सैनिक और प्रशासन के लिए मुसीबत बना एसडी सिंह उर्फ सत्येंद्र सिंह

एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में त्रिवेणी सैनिक को खनन करने का टेंडर मिलने के बाद कंपनी की गतिविधि चालू होने के बाद सुरक्षा एजेंट के रूप में एसडी सिंह उर्फ सत्येंद्र सिंह आया है। बताया जाता है कि इसके आने के बाद क्षेत्र में आमलोगों पर यातना की हदें पार कर दी जाने लगी। आमलोगों को जानवरों से भी बदतर तरीके से सताया जाने लगा। इस संबंध में चर्चा यह है कि एसडी सिंह उर्फ सत्येंद्र सिंह त्रिवेणी सैनिक कंपनी ज्वाइन करने के पूर्व हजारीबाग सदर ग्रामीण डीएसपी था। तब पद में रहते इसने एनटीपीसी को अपने तरीके से काफी मदद की थी। जिसके ईनाम स्वरूप रिटायर होने के बाद इसे त्रिवेणी सैनिक में सुरक्षा एजेंट के तौर पर रखा गया। आम लोग आरोप लगाते हैं कि जिला पुलिस प्रशासन एनटीपीसी से प्रभावित होकर आमलोगों पर एकतरफा कार्रवाई करती है। जिसको एसडी सिंह के त्रिवेणी सैनिक में मिले पद का उदाहरण देकर आरोप की पुष्टि करने में इस्तेमाल किया जाता है। एसडी सिंह पूर्व डीएसपी के रुप में अपना खौफ आमलोगों में दिखा कर, अपना दहशत कायम कर, कंपनी का काम आसान करता है। अब मामला चूंकि कोर्ट में है और कोर्ट में इसका उदाहरण देकर एनटीपीसी और पुलिस-प्रशासन की अवैध सांठ-गांठ का आरोप भी लगाया जाता है, जिसका जवाब देना दोनों के लिए मुश्किल होगा।

credit : newswing.com

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