संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

किसकी है जनवरी किसका अगस्त है : विस्थापितों ने फहराया डूब के गाँवों में तिरंगा; 25 गांवों में डूब प्रभावितों का क्रमिक अनशन तेरहवें दिन भी जारी

25 गांवों में 175 विस्थापितों के द्वारा 13 दिन से क्रमिक अनशन जारी।

पिछोडी, अवल्दा, कसरावद, राजघाट कुकरा,भीलखेडा बगुद, पिपलुद, सेगांव, धनोरा, निसरपुर, खापरखेडा, कडमाल, बाजरीखेडा, चिखल्दा, गोपालपुरा, गांगली, कवठी, बडा बडदा, धमरमपुरी, नावडाटौली इत्यादि गांवों में क्रमिक अनशन जारी।

15 अगस्त 2018 तिरंगा फराहया गया डूब के गांवों में।

15 अगस्त 2018 व 16 अगस्त 2018 विशेष ग्राम सभा में विस्थापितों ठहराव-प्रस्ताव किया गया।

आज भी सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित मध्यप्रदेश राज्य के 192 गांव व एक नगर का पुनर्वास नहीं हुआ है। आज भी मध्यप्रदेश सरकार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण व नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा 35 हजार विस्थापितों का पुनर्वास करना बाकी है, एक तरफ सरकार 4 हजार विस्थापितों का पुनर्वास करने का दावा करते है, जो गैरकानूनी तरीके से गलत है, आंदोलन का दावा 35 हजार परिवारो का पुनर्वास करना बाकी है।

15 अगस्त 2018 को माॅ नर्मदा पर तिरंगा फराहया गया था, साथ आंदोलन का झण्डा भी फराहया गया था, राजघाट कुकरा में माॅ नर्मदा के पुराने घाट पर 15 अगस्त 2018 का कार्यक्रम मनाया गया था, इसके साथ क्रमिक अनशन स्थल अवल्दा, कडमाल, पिछोडी, चिखल्दा इत्यादि जगह पर किया गया था।

15 अगस्त 2018 के रोज अवल्दा, पिछोडी, बगुद, कसरावद, चिखल्दा, खापरखेडा इत्यादि जगह पर ग्राम सभा में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के नागरिक आदिवासी व अन्य समाज के लोग है। हमारा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति क्षेत्र होकर यहां ‘‘ पैसा ‘‘ कानून लागू है। इस कानून की धारा 4 के अनुसार भू-अर्जन के पहले तथा पुनर्वास के पहले ग्राम सभा से सलाह याने सहमति लेना जरूरी है। म.प्र. राज्य शासन में यह कार्य न करने से ग्रामसभा की अवमानना हुई है। यह ग्राम सभा इसका निषेध करती है।

आज भी सभी संसाधनों पर अधिकार जाहिर करती है। गांव के जल, पेड, जंगल, मछली व कोई भी संसाधनों पर हमारा ही अधिकार है। हमारी सहमति से ही इसका उपयोग व विकास का कोई कार्य होना चाहिए।

हमारे गांव की उपजाउ खेती, हजारों पेड, मवेशी,चारागाह,पानी के नाले, नर्मदा नदी है। गांव में बडे तने वाले पेड है, गांव में मंदिर, मस्जिद, धर्मशालाए, दुकाने है। गांव करीबन् व्यवासायिक व छोटे उ़द्योग है। इन सबके वैकल्पिक पुनर्वास के बिना डूब से विनाश हमें मंजूर नहीं। अगर होता तो गैरकानूनी होगा, नर्मदा ट्रिब्यूनल का फैसला व सर्वोच्च अदालत के फैसलों का उल्लघंन होगा।

आज भी हमारे गांवों का कानूनी पुनर्वास नहीं किया गया है, इसमें नर्मदा अवार्ड, सर्वोच्च अदालत फैसले 2000,2005,2017, राज्य की पुनर्वास नीति, मध्यप्रदेश राज्य के आदेश 05 जून से 19 जुलाई 2018 तक व जीआरए के आदेश 28/11/2017 के अनुसार आज तक इसका नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, मध्यप्रदेश सरकार व नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा उल्लघंन किया गया है।

सरदार सरोवर के गेट्स खुले रखकर नर्मदा बहती रखी जाये यह विशेष ग्रामसभा का प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित गया है। सरदार सरोवर से संपूर्ण पुनर्वास के पहले हमारे गांव में डूब और जबरन् विस्थापन नामजूर है।

रामेश्वर सोलकी, निर्भला बाई, हरेंसिह दरबार, विजय मरोला, राहुल यादव, देवेन्द्रसिंह, जगदीश पटेल, देवराम कनेरा, पवन यादव, बालाराम यादव, कैलाश यादव, वाहिद मसुरी, मयाराम भीलाला, बाउ अवास्या, कोरजी यादव

इसको भी देख सकते है