संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मध्य प्रदेश : 25 गांवों में डूब प्रभावितों का क्रमिक अनशन चौथे दिन भी रहा जारी; सरकार ने नहीं ली अनशन की सुध

25 गांवों में 150 विस्थापितों के द्वारा चैथे दिन क्रमिक अनशन जारी
पिछोडी, अवल्दा, कसरावद, राजघाट कुकरा,भीलखेडा बगुद, पिपलुद, सेगांव, धनोरा, निसरपुर, खापरखेडा, कडमाल, बाजरीखेडा, चिखल्दा, गोपालपुरा, गांगली, कवठी, बडा बडदा, धमरमपुरी, नावडाटौली इत्यादि गांवों में क्रमिक अनशन जारी

आज भी सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित मध्यप्रदेश राज्य के 192 गांव व एक नगर का पुनर्वास नहीं हुआ है। आज भी मध्यप्रदेश सरकार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण व नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा 35 हजार विस्थापितों का पुनर्वास करना बाकी है, एक तरफ सरकार 4 हजार विस्थापितों का पुनर्वास करने का दावा करते है, जो गैरकानूनी तरीके से गलत है, आंदोलन का दावा 35 हजार परिवारो का पुनर्वास करना बाकी है।

अवल्दा के विस्थापितों का कानूनी पुनर्वास आज तक मध्यप्रदेश सरकार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण व नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा कानून के अनुसार इसका पुनर्वास नहीं किया गया है। आज भी अवल्दा के विस्थापितों को 5.80 लाख रू मिला बाकी, घर प्लाॅट मिलना बाकी, किसी भी विस्थापित परिवार को भूखण्ड का समतीकरण करके नहीं दिया गया है, आज भी मूलअवार्ड करना बाकी है। पुनर्वास स्थल पर आज भी मूलभूत सुविधाएं मध्यप्रदेश सरकार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया हैं।

पिछोडी के विस्थापितो को नर्मदा अवार्ड के अनुसार का पुनर्वास नहीं किया गया है, इस विस्थापितों को 7 से 10 जगह बसाया गया है, जो गैरकानूनी तरीके से गलत है, इसको नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसले के अनुसार एक इकाई में बसाना था, जो आज तक मध्यप्रदेश सरकार, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण नहीं कर पाया है।

कसरावद के विस्थापितों के मकान बॅक वाटर लेव्हल से बहार कर दिया गया है, जो गैरकाननी तरीके से गलत है, पहले सर्वे सन् 2001 में 364 मकानों का सर्वे किया गया था, परन्तु नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा सन् 2010 में 25 मकान ही डूब में बताया गया है, बाकी मकान डूब से बहार है, जो गैरकानूनी तरीके से गलत है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण व नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा कोई भी सर्वे धरातल पर नहीं किया गया है।

राजघाट कुकरा के विस्थापितों का कानूनी पुनर्वास आज तक नहीं कर पाया है, जो जमीन गुरारात राज्य में दी गई है, परन्तु वह भी खराब है। इसके वयस्क पुत्र/वयस्क पुत्री मूलगांव में निवास कर रहे है, इसको कोई भी लाभ नहीं दिया गया है।

भीलखेडा के विस्थापितों का विधवा महिला खातेदार, महिला खातेदार इसको जीआरए के आदेश के बावजूद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा अमल नहीं किया गया है, आज भी कई ऐसे विस्थापित परिवार है, इसको 60 लाख रू मिलना बाकी है, इसका नाम भी रिकाॅर्ड में दर्ज नहीं है।

बगुद के विस्थापितों का आज भी नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, राज्य की पुनर्वास नीति, सर्वोच्च अदालत फैसले 2000,2005,2017 व मध्यप्रदेश शासन के आदेशों के अनुसार पुनर्वास नहीं किया गया है, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा।

पिपलुद के विस्थापितों का आज भी कानून में जो लिखा गया है, उसके अनुसार लाभ नहीं दिया गया है। सेगांव के विस्थापित का आज भी नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, राज्य की पुनर्वास नीति, सर्वोच्च अदालत फैसले 2000,2005,2017 व मध्यप्रदेश शासन के आदेशों के अनुसार पुनर्वास नहीं किया गया है। आज भी पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। जिन विस्थापितों के द्वारा पुनर्वास स्थलों पर समतलीकरण करके देना था, जो आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया है।

रामेश्वर सोलकी, धनराज अवास्या, कैलाश अवास्या, कैलाश यादव, हरेसिंग दबार, भागीराम भाई, कालूराम पटेल, राहुल यादव

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