संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड : अडानी के जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राज्यपाल से गुहार

गोड्डा  18 सितम्बर 2018। झारखण्ड के गोड्डा जिले में अडानी पॉवर प्लांट द्वारा  11 गांवों की भूमि  जबरन कब्ज़ा की जा रही है। आज गोड्डा जिला अधिकारी को विस्थापन विरोधी नव निर्माण मोर्चा के बैनर तले ज्ञापन दिया गया है। पढ़िए विस्थापन विरोधी नव निर्माण मोर्चा, झारखण्ड का राज्यपाल के नाम ज्ञापन;

सेवा में,
महामहिम राज्यपाल महोदया
झारखण्ड सरकार, रांची

विषय :- अडाणी पावर के लिए झारखण्ड सरकार द्वारा किये जा रहे जनविरोधी कार्यों में हस्तक्षेप के संबंध में,

महाशया,

झारखण्ड प्रदेश के गोड्डा जिला अंतर्गत 11 गांवों की जमीन अडाणी पावर के लिए वहां के जिला प्रशासन द्वारा उस परियोजना को ‘लोकहित की परियोजना’ बताकर अधिग्रहित की जा रही है, जबकि अडाणी पॉवर एक निजी कंपनी है । इतना ही नहीं इस कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने पुराने नियमों में भी संशोधन किया है जैसा कि ऊर्जा कानून में हुआ है।

(1) इस परियोजना में प्रस्तावित उत्पादित संपूर्ण 1600 मेगावाट बिजली बंगला देश भेजी जाएगी।
(२) इस परियोजना में कोयला, पानी और जमीन झारखण्ड का लगेगा।
(3) थर्मल पावर द्वारा उत्पादित हानिकारक एवं जहरीली गैसों से गोड्डा की जनता सीधे तौर पर तथा आसपास की जनता आंशिक रूप से प्रभावित होंगे । इस परियोजना में प्रतिदिन लगभग 20 हज़ार टन कोयला जलेगा। इतने कोयले का धुआं और अन्य गैसें हमारे वातावरण को कितना प्रभावित करेंगे , यह कोई भी समझ सकता है।

झारखण्ड सरकार ने इस कंपनी को 36 मिलियन घन मीटर अर्थात 360 करोड़ लीटर पानी चीर नदी से देने का समझौता किया है जबकि वह बरसाती नदी है। अन्य सूत्रों से जानकारी प्राप्त हो रही है कि कंपनी गंगा नदी से जल उपलब्ध करेगी।

अर्थात संसाधन झारखंड के, बिजली बांग्लादेश को ,मुनाफा अडाणी को, प्रदूषण एवं विस्थापन गोड्डा के प्रभावित किसानों का – फिर भी परियोजना लोकहित के लिए। यह गोड्डा की जनता के साथ बड़ा मजाक है ।

रैयत अपनी जीविका का साधन बचाना चाहे तो प्रशासन के सहयोग से गुंडे उन्हें प्रताड़ित करते हैं । कैसा विकास चाहती है सरकार, जो अपनी जनता को यह कहे कि ‘अगर जमीन नहीं दोगे तो उसी जमीन में गाड़ देंगे ” । या फिर किसानों की असहमति के बावजूद उसके खेत में लगी फसलों एवं उसके जीवनोपयोगी पौधों को बुलडोजर से ख़त्म कर दिया जाता है और किसानों को झूठे मुकदमे में फंसाकर प्रताड़ित किया जाता है ।

जनसुनवाई के नाम पर ऐसे नाटक किये जाते हैं :

(1) इस परियोजना के लिए 6 दिसंबर 2016 को गोड्डा के चार मौजा के लिए मोतिया में तथा पोड़ैयाहाट के 7 मौजा के लिए बक्सरा में जनसुनवाई की गई, जिसमें आम ग्रामीणों के स्थान पर कंपनी के हरा एवं नीला कार्डधारियों का प्रवेश कराया गया और वास्तविक किसानों को जनसुनवाई में प्रवेश से रोका गया। यह कृत्य भूमि अधिग्रहण नियम के खिलाफ है। विरोध करने पर लाठी गोली भी चलाई गई। कई मीडिया कर्मियों एवं स्थानीय लोगों के कैमरे छीन लिए गए। क्या इस जनसुनवाई का नियमसंगत वीडियो बनाया गया ?अगर हां तो उपलब्ध कराया जाए , और अगर नहीं तो जनसुनवाई रद्द कर दी जाए।

(2) 5 मार्च 2017 के पर्यावरणीय जनसुनवाई में भी कंपनी के भाड़े के लोगों को रैयत बनाकर खड़ा किया गया। इस बार भी प्रवेश द्वार पर भारी पुलिस बल तैनात थी। इस बार प्रवेश का पहचान था सिर पर सफेद पगड़ी । जाहिर है ऐसी पगड़ी कंपनी ने अपने लोगों को दी थी। लोक सुनवाई के समय इन्ही पगड़ीधारियों से सहमति ली गई ।शेष रैयतों को पुलिस का भय दिखाकर चुप बैठा दिया गया।

(3) पर्यावरणीय लोक सुनवाई के 2 दिन बाद ही यानी 7 एवं 8 मार्च 2017 को ग्रामीणों की सहमति सभा का आयोजन किया गया । सूचना अधिकार के तहत इन सभाओं के वीडियो मांगने पर भी मुहैया नहीं कराया गया । जाहिर है इन सभाओं में छद्म रैयतों को शामिल कराया गया है और वीडियो इस बेईमानी का पर्दाफाश कर देगा ।

ऊपर वर्णित तमाम दमनकारी और लोगों के लिए अहितकर कृत्यों को बंद करने तथा आदिवासियों एवं मूलवासियों के जीविका के साधन जमीन एवं लोगों के जीवन की रक्षा हेतु कंपनी के दलालों एवं ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे अनैतिक कार्यों पर रोक लगाने का हम सब आपसे आग्रह करते हैं ।

आपसे विनती है कि इस मामले में सार्थक हस्तक्षेप करें –

(1) जो किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहते उन्हें परेशान ना किया जाए।
(2) कंपनी द्वारा किए गए सभी जन सुनवाइयों की वीडियो उपलब्ध करवाई जाए।
(3) इस कंपनी के काम को सरकारी काम बता कर लोगों पर जो दमन किया जा रहा है उस पर तत्काल रोक लगाई जाए ।

धन्यवाद,
भवदीय

मन्थन
(संयोजक. विस्थापन विरोधी नव निर्माण मोर्चा )

 

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