संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

कंपनियों का करोड़ों रुपए बख्शने वाली सरकार किसानों को 27 रूपया भी नहीं दे पा रही है दूध का दाम

महाराष्ट्र में किसानों का दूध आंदोलन शुरू हो गया है। राज्य सरकार की ओर से एक लीटर दूध पर 27 रुपए देने का वादा पूरा न करने के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान किसानों द्वारा राज्य के कई जिलों में सड़कों पर दूध की नदियां बहाई गईं।

15 जलाई से महाराष्ट्र के स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ,अखिल भारतीय किसान संगठन तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के साथ मिलकर दूध के दाम बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। किसानों का कहना है कि यह सरकार बिल्डरों और ठेकेदारों को करोड़ों रुपए बख्श सकती है लेकिन आम किसानों के दूध का दाम बढ़ा पाने में वह असमर्थ है। गौरतलब है कि शासकों ने आज तक शासकीय दुग्ध व्यवसायों को ही नुकसान पहुंचाया है और मंत्रियों के दुग्ध व्यवसायों को मुनाफा कमाने का मौका दिया। हालत यह पहुंच गई है कि किसानों द्वारा बेचा जा रहा दूध पानी से भी सस्ता हो चुका है। हम यहां आपके साथ जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) की प्रेस विज्ञप्ति साझा कर रहे है;

18 जुलाई, 2018: नर्मदा बचाओ आन्दोलन महाराष्ट्र शासन में पशुपालक, दुग्ध विक्रेता किसानों के अहिंसक सत्याग्रही आन्दोलन के साथ अपनायें गये दमनकारी रुख का निषेध करता है। जैसे खेती उपज वैसे ही दूध का दाम भी सही न मिलने के कारण आज तक पशुपालक, धनगर किसान अन्याय भुगतते रहे हैं। उन्हें अपनी मेहनत तथा पशुओं के प्राक्रतिक योगदान की अमूल्यता समझकर, दूध का सही दाम देना भी व्यवस्था और महाराष्ट्र की सरकार वाजिब नहीं समझती, यह निन्दाजनक है। हम स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा के साथ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का हिस्सा हैं। उनका आन्दोलन शहरवासियों के विरोध में नहीं, गैरबराबरी बढ़ाने के विरोध में है। मध्यम वर्गियों को भी उचित दाम पर दूध मिलना ज़रूरी है। उसके लिए कंपनियों, बिल्डरों को, ठेकेदारों को करोड़ों रुपये बख्शने वाली सरकार को किसानों को सब्सिडी देकर उचित दाम पर दूध बेचना चाहिए।शासकों ने आज तक शासकीय दुग्ध व्यवसायों को नुकसान ही पहुँचाया है और मंत्रियों-संत्रियों के दुग्ध व्यवसायों को मुनाफा कमाने का मौका दिया। हमे जानने मिला है कि राजू शेट्टी जी जैसे किसान नेता की एकमात्र संस्था दूध का अधिक दाम दे रही है। ऐसा क्यों?

शासन ने दूध का दाम, खेती की उपज के दाम का ही हिस्सा मानकर, तत्काल बढ़ाना ज़रूरी है। उन्हें लागत का डेढ़ गुना दाम लेने का अधिकार है। मुंबई, पूना के शहरवासी, आन्दोलन में शामिल किसानों, पशुपालनों की ज़मीन सरकार द्वारा छीनने, उन्हें घाटे का सौदा रखकर धोखा देने और उनके बच्चों को भूखे-नंगे रखने की इस साज़िश को समझकर इस आन्दोलन को समर्थन ज़ाहिर करें।

युवा बुज़ुर्ग अपने-अपने फेसबुक, ट्विटर के या अन्य माध्यमों से अपनी सह्भावना करें और सरकार को झुकाएं। आज तक पिये या उपयोग में लिए दूध के एक-एक बूँद को याद करे, यह जरूरी है।

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