संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड : आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों तथा मानवाधिकारों पर हमले के खिलाफ जनसम्मेलन; 27-28 जुलाई 2018

झारखण्ड : आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों तथा मानवाधिकारों पर हमले के खिलाफ जनसम्मेलन
स्थान : थेलोजिकल हाल, जी.ई.एल. चर्च कम्पाउंड, रांची (झारखण्ड)
27 जुलाई: 10 बजे से कार्यकर्म शुरू किया जायेगा।
28 जुलाई 12 बजे तक कार्यकर्म चलेगा।

भाईयों एंव बहनों,

हम सभी जानते है की सांप, बिच्छू, भालू से लड़कर जंगल-झाडी को साफ़ कर हमारे पूर्वजों ने झारखण्ड की इस धरती को आबाद किया है। इसी लिए जंगल-जमीन-नदी, पहाड़ पर हमारा परम्परागत अधिकार है। अंग्रेजो ने जब हमारे परम्परागत अधिकार को छिनने की कोशिश की तब सिधु-कन्हु, चाँद-भैरव, सिंदराय-बिंदराय मानकी, वीर बिरसा मुंडा जैसे वीर नायको ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी। इनके संघर्ष और बलिदान के कारण ही छोटानागपुर सी.एन.टी. एक्ट और एस.पी.टी. एक्ट बना साथ ही आजाद भारत के संविधान में हमें पांचवी अनुसूची का प्रावधान के तहत आदिवासी इलाके को जल-जंगल-जमीन पर विशेष अधिकार मिला। इसी के आधार पर 1996 में हमें पेसा कानून के तहत गाँव सभा को विशेष अधिकार मिला। लेकिन आज इन तमाम कानूनों को तोड़ कर वर्तमान केंद्र और राज्य की भाजपा की सरकार हमारे सभी अधिकारों को छीन रही है। हमारे ऊपर चारों तरफ से हमले किए जा रहे है। अब जागने और आँख खोलने का समय आ गया।

छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सी.एन.टी.एक्ट) 1908 एंव संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एस.पी.टी. एक्ट) कैसे समाप्त किया जा रहा है? यह कितना हमारे लिए खरतनाक है? चर्चा कर समझने की जरुरत है, भविष्य में इन सभी का मुकाबला कैसे करे इस लिए चर्चा करने की जरुरत है।

भूमि बैंक क्या है? यह तुम्हारे गाँव की सीमा का गैर मजरुआ आम, खास, नदी-नाला, टंगर-टोंगरी जमींन है, जहाँ सदियों से हमारे गाँव के गाय, बैल, बकरी सुवर, मुर्गी चरते आ रहे है, नदी- ढोढहा जहा के पानी में हम नहाते-धोते हो, खेती करते है अब इस जमीन को भूमि बैंक में शामिल कर लिया है सरकार ने। इसी जमीन को सरकार देशी-विदेशी कम्पनियों को सिंगल विंडो सिस्टम द्वारा इन्टरनेट से बेच रही है।

क्या तुम जानते हो? सिंगल विंडो क्या है? इन्टरनेट क्या है? यह है –अमीरो की दुनिया का बाज़ार। पूंजी का बाज़ार। इस बाज़ार में विकास का मेला लगता है। जहाँ तुम्हारा धरती ख़रीदा और बेचा जनता है। यह विकास के नाम पर बड़ा फेका जाल है। जो तुम्हारे ऊपर फेका गया है। इस जाल में हम सब फंस चुके है। अब मौत हमारा इंतज़ार कर रहा है। जो विकास, नौकरी-चाकरी, का सुनहरा सपना दिखा कर हमारे गाँव, हमारे पहचान, जंगल-जमीन सब छीन लेगा।

यह झारखण्ड की धरती में आदिवासी-मूलवासी, किसानों, दलितों, मेहनतकशो सहित धरती पर जीने वाले सभी के लिए मौत का पैगाम लेकर, हम सभो का इंतज़ार कर रहा है। सी.एन.टी. एवं एस.पी.टी. एक्ट में संशोधित प्रावधान, अधिकारों पर हमला है, हमारा जंगल-जमीन, नदी-नालो, गाँव को हम से छीन कर पूंजीपतियों को झारखण्ड का मालिक बनाने का हथियार सरकार ने तैयार कर लिया है।

अगर बचना है, अपनी धरती को बचाना है, अपने आने वाले पीढ़ी के लिए खेत-खलियान, नदी-झील, झरना को बचाना है, अपना महुआ, सखुआ, केउंद, चार-पियर को बचाना है, तो उठो!! एकजुट होओ!!! एकता में ताकत है- यही एकता हमें बचायेगी। जाती-धरम के नाम पर हम को बंटा जा रहा है-सावधान!! जंगल-जमीन, गाँव-घर और ये धरती बचेगा!! तभी तुम्हारा जाती और धरम भी बचेगा।

इन हमलों को समझने के लिए इन गंभीर विषयों पर चर्चा करने की जरुरत है, और चर्चा करने के लिए 27-28 जुलाई 2018 को रांची में दो दिन का सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी समाज के शुभचिंतक आमंत्रित है।

आयोजक- झारखण्ड जनांदोलनो का संयुक्त मोर्चा
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क- जेरोम जेराल्ड कुजूर – 943705062, कुमार चंद मार्डी – 993465216, मिथलेश डांगी-9430708229, तुरतन तोपनो – 7091128043, जागेश्वर लकड़ा-7739606699, राजू लोहरा-8969503347, दयामनी बरला -9431104386, रेश्मा तोपना-9065736090

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