संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

लॉकडाउन में वन कर्मियों का कारनामा : उड़ीसा में 32 आदिवासी परिवारों को किया बेघर

भुवनेश्वर/नई दिल्ली। पुरे देश में लॉकडाउन जारी है परंतु इसी लॉकडाउन के बीच 24 अप्रैल 2020 को उड़ीसा के कालाहांडी जिले के खांडूअलमाली वन क्षेत्र के सागड़ा गाँव में  वन अधिकारियों ने आदिवासियों पर हमला बोल दिया जिसमे 32 घरों को ढहा दिया, लोगों के साथ मार पिट की गई है । इस भयानक गर्मी के बीच में उनके सिर के ऊपर से छत उड़ा दी गई है और आदिवासी अपने बच्चों के साथ बिना खाना और पानी के आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। इस घटना के विरोध में लोकशक्ति अभियान के प्रफुल्ल सामंतारा ने ओडिशा के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर न्याय और पुनर्वसन की मांग की है। पढ़िए लोकशक्ति अभियान का पत्र;

सेवा में,
मुख्य सचिव महोदय
ओडिशा सरकार
भुवनेश्वर,

श्रीमान,
यह चौंकाने वाली सूचना है कि वन विभाग द्वारा 24 अप्रैल को कालाहांडी जिले के खांडूअलमाली वन क्षेत्र के ग्राम सागड़ा में 32 आदिवासी परिवारों के फूस के घरों को तोड़ दिया गया है। लॉकडाउन की इस अवधि और गर्मियों के बीच में उनके सिर के ऊपर से छत उड़ा दी गई है और आदिवासी अपने बच्चों के साथ बिना खाना और पानी के आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

आज जब वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ नायक और सामाजिक कार्यकर्ता पीड़ित आदिवासी लोगों से मिलने के लिए टीवी रिपोर्टर के साथ सागड़ा पहुंचे, तो वन अधिकारियों और गार्डों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनके साथ हाथापाई की।

मैं आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि यह न सिर्फ लॉकडाउन का उल्लंघन है बल्कि उन ग्रामीणों का घर तोड़ देना जो अभी बेरोजगार हैं और जिनके पास जाने के लिए कोई दूसरा भी घर नहीं है, अपने आप में एक अमानवीय घटना है। वन अधिकारी मास्क पहन कर ग्रामीणों को बिना घर और मास्क के रहने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने आदिवासियों के खिलाफ गैरकानूनी और अमानवीय कृत्य तो किया ही है इसके साथ ही कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू शारीरिक दूरी के नियम को तोड़ने के लिए भी मजबूर किया है। अतः संबंधित अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए और पीड़ितों को घर और आजीविका के साथ उचित मुआवजा दे कर पुनर्वास किया जाना चाहिए।

आपके द्वारा तत्काल जांच और कार्यवाही किए जाने की प्रतीक्षा है।

प्रफुल्ल सामंतारा
अध्यक्ष, लोकशक्ति अभियान

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